सांसद असदुद्दीन ओवैसी को ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगना पड़ा मंहगा, जा सकती है सदस्यता, यह है नियम

हैदराबाद : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में शपथग्रहण के दौरान ‘जय भीम, जय मीम’ के साथ ‘जय फिलिस्तीन’ के नारे लगाए। आखिर में ‘तकबीर अल्ला हू अकबर’ का नारा भी लगाया। ‘जय फिलिस्तीन’ लेकर खूब बवाल मचा हुआ है। उनके ‘जय फिलिस्तीन’ नारे को संसद की कार्यवाही से तो निकाल दिया गया। लेकिन मामला संगीन होता चला जा रहा है। अब बुद्धिजीवियों का मानना है क‍ि इस नारे की वजह से ओवैसी की सांसदी भी छ‍िन सकती है। आइए जानते हैं क‍ि आख‍िर इस बारे में संसदीय नियम क्‍या हैं?

ओवैसी ने शपथ के दौरान जब फिलस्तीन का नारा लगाया तो केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद शोभा करंदलाजे ने तुरंत विरोध क‍िया। इसके बाद पीठासीन अधिकारी राधामोहन सिंह ने ओवैसी के इस बयान को रिकार्ड से निकालने के लिए कहा, लेक‍िन तब तक तीर कमान से निकल चुका था। संसद के मौजूदा नियमों के अनुसार, किसी भी सदन के सदस्य को किसी विदेशी के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने पर उसकी लोकसभा या किसी भी सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है. एक्‍सपर्ट के मुताब‍िक या तो उन्‍हें फ‍िर शपथ लेने को कहा जा सकता है या फ‍िर वे अयोग्‍य ठहराया जा सकता है।

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इन कारणों से छिन जाती सदस्‍यता

अगर कोई संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के लिए चुन लिया जाए तो उसे एक तय समय में किसी एक सदन की सदस्यता छोड़नी होती है। लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करता, तो संविधान के अनुच्‍छेद 101 में संसद को अध‍िकार है क‍ि उससे एक सदन या दोनों सदनों की सदस्‍यता छीन ले।

कोई भी संसद और विधानसभा का सदस्‍य एक साथ नहीं रह सकता। उसे एक पद से इस्‍तीफा देना ही होता है। अगर वह एक निश्च‍ित समय के अंदर दोनों में से एक सदस्‍यता नहीं त्‍यागता, तो उसकी संसद सदस्‍यता छीनी जा सकती है।

संसद के क‍िसी भी सदन का सदस्‍य बिना इजाजत अगर संसद की बैठकों-कार्यवाही से 60 द‍िनों तक गैर हाज‍िर रहता है, तो उसकी सीट को खाली घोषित क‍िया जा सकता है। यानी उसकी सदस्‍यता खत्‍म मान ली जाती है। इन 60 दिनों में उन दिनों को नहीं गिना जाएगा, जिस दौरान सत्र चार से अधिक दिनों तक स्थगित हो या सत्रावसन हो गया हो।

संव‍िधान के अनुच्‍छेद 102 डी के मुताबिक, अगर कोई सदस्‍य सरकार में लाभ के पद पर है, तो उसकी संसद सदस्‍यता चली जाती है। सिर्फ उस पद पर बने रहने पर वह अयोग्‍य घोषित नहीं होगा, जिस पद पर सांसदों का बना रहना क‍िसी कानून के तहत उसे अयोग्‍य नहीं ठहराता। वहां से वेतन, भत्‍ते और दूसरे सरकारी लाभ लेने पर मनाही है।

एक और बड़ी बात, अगर कोई सांसद किसी अदालत द्वारा मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर दिया जाए तो उसकी सदस्यता चली जाएगी। अगर कोई दीवाल‍िया घोषि‍त है, तो उसकी भी संसद सदस्‍यता छीनी जा सकती है।

सबसे अहम बात, अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक न हो, या फिर वह किसी और देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। संव‍िधान के अनुच्छेद 102 डी के मुताबिक, अगर वह किसी और देश के प्रति निष्ठा जताता है, तो भी उसकी सदस्‍यता जा सकती है। ओवैसी के मामले में यही दावा किया जा रहा है। चूंक‍ि उन्‍होंने फिलिस्तीन के प्रत‍ि निष्‍ठा प्रदर्शित की। इसल‍िए संसदीय कानूनों के मुताबिक, उनकी सदस्‍यता जा सकती है।

इसके अलावा, दल बदलने पर, पार्टी के आदेशों का उल्लंघन करने पर और दो या इससे अधिक साल की सजा होने पर भी संसद की सदस्‍यता चली जाती है। किसी सांसद ने अपने चुनावी हलफनामे में कोई गलत जानकारी दी है या फिर वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन करता है तो उसकी सदस्यता चली जाती है। (एजेंसियां)

ఎంపీ అసదుద్దీన్ ఓవైసీ మరియు జై పాలస్తీనా నినాదం

హైదరాబాద్ : లోక్‌సభలో ప్రమాణ స్వీకారం సందర్భంగా ఎంఐఎం అధినేత, హైదరాబాద్ ఎంపీ అసదుద్దీన్ ఎంపీ చేసిన వ్యాఖ్యలు ప్రస్తుతం దేశవ్యాప్తంగా తీవ్ర చర్చనీయాంశంగా మారాయి. ప్రమాణ స్వీకారం చివర్లో జై పాలస్తీనా అని అసదుద్దీన్ ఓవైసీ అనడం పట్ల అధికార బీజేపీ నేతలు తీవ్ర స్థాయిలో మండిపడుతున్నారు. అసద్‌పై చర్యలు తీసుకోవాలని కమలం పార్టీ నేతలు స్పీకర్‌కు, పార్లమెంటరీ వ్యవహారాల శాఖ మంత్రికి విజ్ఞప్తి చేశారు. మరోవైపు ఇదే వ్యవహారంపై కొందరు న్యాయవాదులు రాష్ట్రపతి ద్రౌపదీ ముర్మూకు కూడా ఫిర్యాదు చేశారు.

మంగళవారం లోక్‌సభలో ప్రమాణ స్వీకారం చేసిన అసదుద్దీన్ ఓవైసీ.. చివర్లో జై భీమ్, జై మీమ్, జై తెలంగాణ, జై పాలస్తీనా అంటూ నినాదాలు చేశారు. అయితే మన దేశ లోక్‌సభలో జై పాలస్తీనా అనడాన్ని బీజేపీ నేతలు తీవ్రంగా తప్పపడుతున్నారు. ఈ క్రమంలోనే అసదుద్దీన్ చేసిన నినాదంపై లోక్‌సభలో కొద్దిసేపు తీవ్ర గందరగోళ పరిస్థితులు నెలకొనడంతో అసదుద్దీన్ వ్యాఖ్యలను రికార్డుల నుంచి తొలగిస్తామని ప్రొటెం స్పీకర్ భర్తృహరి మహతాబ్ ప్రకటించడంతో తాత్కలికంగా శాంతించారు. అయితే ప్రస్తుత నిబంధనల ప్రకారం పాలస్తీనాకు కట్టుబడి ఉన్నందుకు అసదుద్దీన్ ఒవైసీ తన లోక్‌సభ సభ్యత్వానికి అనర్హుడు అంటూ బీజేపీ ఐటీ సెల్ హెడ్ అమిత్ మాలవీయ ట్విటర్ వేదికగా పేర్కొన్నారు. అంతేకాకుండా రాజ్యాంగంలోని ఆర్టికల్ 102 (డీ) ప్రకారం అసదుద్దీ్న్ ఓవైసీపై అనర్హత వేటు వేయాలని డిమాండ్ చేశారు.

ఇక ఇదే అంశంపై దేశంలోని పలువురు న్యాయవాదులు రాష్ట్రపతి ద్రౌపదీ ముర్ముకు కూడా ఫిర్యాదు చేశారు. సుప్రీంకోర్టు లాయర్ అలఖ్ అలోక్ శ్రీవాస్తవ పాలస్తీనాకు అనుకూలంగా లోక్‌సభలో అసదుద్దీన్ ఓవైసీ నినాదం చేయడంపై రాష్ట్రపతికి చేసిన ఫిర్యాదులో తీవ్ర అభ్యంతరం తెలిపారు. ఇది భారతదేశ సమగ్రతకు, విధేయతకు సంబంధించిన అంశమని కానీ ఆయన విదేశానికి కట్టుబడి ఉన్నానని పార్లమెంటు సాక్షిగా అంగీకరించడమేనని పేర్కొన్నారు. రాజ్యాంగంలోని ఆర్టికల్ 102 (డీ) ప్రకారం అసదుద్దీన్ ఓవైసీ తక్షణమే పార్లమెంట్ సభ్యుడిగా అనర్హుడని ఆ ఫిర్యాదులో తెలిపారు. పాలస్తీనా పట్ల అసదుద్దీన్ ఓవైసీ విధేయతను చూపుతున్నారని ఇలా వ్యవహరించడం తొలిసారి కాదని మండిపడ్డారు. సీనియర్ లాయర్ విష్ణు శంకర్ జైన్ కూడా ఓవైసీపై రాష్ట్రపతికి ఫిర్యాదు చేశారు. (ఏజెన్సీలు)

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