हैदराबाद: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवाद-लेनिनवाद) माओवादी 21 से 27 सितंबर तक 17वां वार्षिकोत्सव मना रहा है। तत्कालीन पीपुल्स वार ने 21 सितंबर 2004 में अपना नाम बदल कर माओवादी रख लिया है। इसके चलते हर साल 21 सितंबर को माओवादी वार्षिकोत्सव मनाता आ रहा है।
इसी क्रम में माओवादी ने लोगों को वार्षिकोत्सव मनाने और शामिल होने का आह्वान किया है। साथ ही अनेक इलाकों में वार्षिकोत्स से संबंधित पोस्टरों को दीवारों पर चिपकाये हैं। दूसरी ओर माओवादियों ने 27 सितंबर के भारत बंद का भी समर्थन किया। माओवादियों ने इस आशय का एक पत्र मीडिया को जारी किया है।

पुलिस सतर्क
इसी के चलते छत्तीसगढ़ के सीमांत क्षेत्र भद्रादी कोत्तागुडेम जिले के एजेंसी एरिया के चर्ला व दुम्मगुडेम मंडलों के अलावा मुलुगु जिले के वेंकटापुरम, वाजेडु मंडलों में पुलिस सतर्क हो गई है। कोत्तागुडेम के ओएसडी तिरुपति ने रविवार को दुम्मगुडेम थाने दौरा किया। उन्होंने सीआई, एसआई के साथ सुरक्षाकर्मियों को आवश्यक सुझाव दिया। माओवादियों की गतिविधियों पर चर्ला के सीआई अशोक और दुम्मगुडेम के सीआई वेंकटेश्वर्लु के नेतृत्व में चौकसी को बढ़ा दी है।

दंडकारण्य के गांवों से आने-जाने वालों पर कड़ी नजर
इतना ही नहीं माओवादियों का गढ़ माने जाने वाले छत्तीसगढ़ से दंडकारण्य के गांवों से आने-जाने वालों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। इतना ही नहीं आदिवासी संघों के नाम पर माओवादियों के खिलाफ पोस्टर जारी किये गये है। बताया गया है कि माओवादियों की हिंसक गतिविधियों के कारण आदिवासियों का कैसे नुकसान हो रहा है।

माओवादियों की वार्षिकोत्व में भाग न लें: पुलिस अधीक्षक सुनील दत्त
दूसरी ओर भद्रादी कोत्तागुडेम के जिला पुलिस अधीक्षक सुनील दत्त ने माओवादियों की ओर से आयोजित वार्षिकोत्व में शामिल नहीं होने का लोगों से अपील की है। उन्होंने बताया कि माओवादियों ने 21 सितंबर को तेलंगाना के सीमांत क्षेत्र छत्तीसगढ़ के पुट्टपाडू व पेसर्लपाडू गांवों के बीच जंगलों में होने वाले मीटिंग में भाग लेने की अपील की है। साथ ही मीटिंग में भाग लेने के लिए आने वाले अपने साथ चावल, दाल, तेल, नमक, सब्जी लेकर आये। चेतावनी दी है कि मीटिंग के लिए नहीं आने वालों के खिलाफ एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
एसपी ने कहा कि माओवादी आदिवासियों को प्रताड़ित कर रहे हैं और उनकी जिंदगी बर्बाद कर रहे है। एसपी ने आदिवासियों से अपील की है कि वो माओवादियों के कार्यकलापों में सहयोग न करें। जहां कहीं पर भी माओवादी मीटिंग कर रहे हैं वहां पर आदिवासी न जाये। सुनील दत्त ने कहा कि माओवादी आदिवासियों को भयभीत कर रहे हैं।