आत्मसमर्पण कर चुके माओवादी रंजीत का बड़ा बयान, बोले- “वर्तमान में माओवादी विचारधारा का कोई फायदा नहीं हैं”

हैदराबाद : माओवादी सदस्य रावुला रंजीत उर्फ ​​श्रीकांत बुधवार को डीजीपी महेंद्र रेड्डी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। डीजीपी ने रंजीत के सरेंडर को लेकर प्रेस मीट की। पुलिस ने माओवादी नेता और प्लाटून पार्टी कमेटी के सदस्य रावुला रंजीत को मीडिया के सामने पेश किया।

इस मौके पर डीजीपी महेंद्र रेड्डी ने आह्वान किया कि माओवादियों को मुख्यधारा में आना चाहिए। मुख्यधारा में आने वालों को सरकार हर संभव उनका मदद करेगी। यदि कोरोना पीड़ित माओवादियों आत्मसमर्पण करते हैं तो सरकार बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराएगी। माओवादी केंद्रीय समिति में 25 लोग हैं। इनमें तेलंगाना के 11 और आंध्र प्रदेश के 3 माओवादी हैं। डीजीपी ने सभी से तत्काल आत्मसमर्पण करने और खुद को कोविड से बचाने की अपील की।

डीजीपी महेंदर रेड्डी आगे बताया कि वरंगल जिले के मद्दुरु मंडल निवासी रावुला श्रीनिवास उर्फ रामन्ना और सावित्री का बेट रावुला रंजित है। रामन्ना और सावित्री दोनों माओवादी है। इस दंपत्ति को साल 1998 में रंजीत पैदा हुआ। इसके चलते रंजीत का बचपन पूरा माओवादियों के साथ ही बीता। रंजीत 1 से 6वीं कक्षा तक जनतक सरकार स्कूल में पढ़ाई की। इसी क्रम में माओवादी गतिविधियों में सक्रिय भाग लिया।

रामन्ना ने अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से रंजीत को गुप्त रूप से दसवीं कक्षा तक पढ़ाया। माओवादी नेता नगेश के सहयोग से निजामाबाद जिले के काकतीया स्कूल में भर्ती करवाया। हर छुट्टियों के वक्त दंडकारण्य में रहे पिता रामन्ना के पास रंजीत जाता था। साल 2015 में उसने एसएससी की पढ़ाई पूरी की। इसी दौरान नगेश की मौत हो गई। इसके चलते रामन्ना ने रंजीत को आगे की पढ़ाई के लिए नहीं भेजा। क्योंकि माओवादियों की गतिविधियों की जानकारी उजागर होने के डर से उसकी पढ़ाई वहां तक ही रोक दी।

साल 2015 से 2017 तक रंजीत माओवादी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लिया। पिता के सुझाव पर 2017 में माओवादी बटालियन में शामिल हो गया। साल 2019 में रंजीत के पिता रामन्ना की अस्वस्था के चलते मौते हो गई। रंजीत ने पिता को अच्छे इलाज करवाने के लिए बाहर लेकर जाने का प्रस्ताव रखा। मगर पार्टी ने ऐसा करने से मना कर दिया।

पिता की मौत के बाद रंजीत को पार्टी में अधिक प्रताड़ित किया जाने लगा। इसके चलते उसने पार्टी के सामने आत्मसमर्पण करने का प्रस्ताव रखा। मगर माओवादी ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसके चलते उसने दंडकारण्य में सक्रिय रूप से कार्यरत उसकी मां सावित्री से मिलकर आत्मसमर्पण की बात बताई। कुल मिलाकर मां की अनुमति से रंजित ने आत्मसमर्पण किया है।

इस अवसर पर रंजीत ने कहा कि वर्तमान में माओवादी विचारधारा का कोई फायदा नहीं है। उसने बाकी माओवादियों से भी आत्मसमर्पण करने की अपील की है। डीजीपी ने बताया कि रंजीत कहने के अनुसार हर महीने पांच लोग माओवादी में शामिल होते हैं और पांच लोग भाग जाते हैं। इस दौरान डीजीपी महेंद्र रेड्डी ने रंजीत के नाम घोषित इनाम के 4 लाख रुपये चेक सौंप दिया। साथ ही तत्काल आवश्यकता के लिए 5,000 रुपये भी उसे दिये।

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