केंद्रीय हिंदी संस्थान: ‘ऑनलाइन हिंदी शिक्षण-नई दिशाएँ’ विषय पर व्याख्यान, इन विद्वानों ने रखी अपनी राय

हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, विश्व हिंदी सचिवालय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के सहयोग से वैश्विक हिंदी परिवार के तत्वावधान में विश्व में ऑनलाइन हिंदी शिक्षण की जरूरतों और नई दिशाओं की महत्ता के मद्देनजर रविवारीय व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के भाषाविद प्रो पीटर फ्रिडलैंडर ने आयोजन पर हर्ष प्रकट करते हुए विभिन्न देशों के वक्ताओं को हिंदी नक्षत्र की संज्ञा दी।

उन्होने कहा कि ऑनलाइन हिंदी शिक्षण अंधेरे में भी रोशनी देकर दिलचस्पी लेने वालों की समसामयिक वैश्विक जरूरत पूरी कर सकता है। वाराणसी, लंदन, सिंगापुर और आस्ट्रेलिया में दीर्घानुभवी तथा संत रविदास पर विद्या वाचस्पति कर चुके प्रो पीटर ने कहा कि शिक्षण मंडल के माध्यम से भी विभिन्न स्तरों पर ऑनलाइन भाषाई क्षमता बढ़ाई जा सकती है। मानव जीवन को सफल बनाने हेतु हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति में अद्भुत सामग्री विद्यमान है।

चीन के क्वानतोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के प्रो विवेक मणि त्रिपाठी ने ऑनलाइन हिंदी शिक्षण को नितांत नई दिशा बताते हुए कहा कि चीन में विदेशी भाषा के रूप में हिंदी को पी पी टी के माध्यम से पढ़ाना काफी प्रभोत्पादक है। इसमें दृश्य श्रव्य सामग्री के अलावा अर्थ संप्रेषण में चित्रों का सहारा सहज ही बोधन कराता है किंतु विद्यार्थियों को अनुशासित रखना अपेक्षाकृत कठिन होता है। उन्होंने विभिन्न देशों की शिक्षा प्रक्रिया के अनुसार हिंदी शिक्षण का स्तरीय मानक पाठ्यक्रम बनाने और अधिकाधिक देशों में हिंदी केंद्र खोलने की सलाह दी।

अमेरिका से सैन फ्रांसिस्को से जुड़े ऑनलाइन हिंदी यूनिवर्सिटी के संस्थापक और तकनीकीविद श्री आशुतोष अग्रवाल ने सहर्ष कहा कि हम हर रविवार भी मुफ्त हिंदी कक्षाएँ पढ़ाते हैं जिसमें ‘पेंगु लर्न हिंदी पुस्तक काफी सहायक है। उन्होंने प्रयोग और अनुभवजन्यता से कहा कि यहाँ अभिप्रेरण से हिंदी सीखने वाले जिज्ञासु स्वतः स्फूर्त होकर जुड़ते और हिंदी पढ़ते हैं। उनका मत था कि ऑनलाइन शिक्षण में सरलीकरण, अनुशासन, प्रभावी पद्धति और विषय संकेंद्रण आदि अति आवश्यक है।

स्वीटजरलैंड मूल की प्राध्यापिका और फ्रेंच, जर्मन आदि सात भाषाओं की ज्ञाता डॉ अनीता स्यूस का कहना था कि उन्हें हिंदी व्याकरण बहुत पसंद है और वे हर सेमेस्टर में ऑनलाइन कक्षाएँ आनंद से पढ़ाती हैं तथा उत्तरोत्तर हिंदी का ज्ञान बढ़ा रही हैं। सिंगापुर में हिंदी अध्यापन से जुड़ी प्राध्यापिका थेरेसा बेलमोंट ने कहा कि मूलत: वकील होने के बावजूद उन्हें हिंदी फिल्मों से हिंदी सीखकर पढ़ाने की प्रेरणा मिली।

भारत विभाजन की घटना ने उन्हें बहुत प्रभावित किया और भारत भ्रमण के दौरान नागालैंड सहित भारत के अनेक हिस्सों के मित्रों से भारतीय भाषा और संस्कृति सीखने में बहुत मदद मिली। वे नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर की प्रो संध्या सिंह से हिंदी सीखकर मनोयोग से पढ़ाती हैं। उन्होंने ऑनलाइन हिंदी शिक्षण को बहुत प्रभावशाली एवं दूर दराज तक आसान पहुँच वाली प्रक्रिया बताया। मौके पर ही श्रोताओं और चैट बॉक्स के प्रश्नों का वक्ताओं द्वारा बेबाक विश्लेषण सहित उत्तर दिया गया।

दिल्ली से साहित्यकार डॉ राजेश कुमार द्वारा विषय प्रवर्तन और सारगर्भित शुरुआत के साथ आत्मीयता पूर्वक स्वागत किया गया। आस्ट्रेलिया से प्रवासी साहित्यकार डॉ रेखा राजवंशी द्वारा यथोचित भूमिका के साथ शालीनता और बड़े इतमीनान से संतुलित संचालन किया गया। उन्होंने बारी-बारी वक्ताओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए सहज भाव से सादर आमंत्रित किया।

कार्यक्रम में जापान से पद्मश्री प्रो तोमियो मिजोकामी, अमेरिका से अनूप भार्गव, अमिताभ सक्सेना, यू के की साहित्यकार शैल अग्रवाल, सिंगापुर से प्रो संध्या सिंह, डेनियल आदि, खाड़ी देश से आरती लोकेश, थाइलैंड से प्रो शिखा रस्तोगी तथा भारत से प्रो राजेश गौतम, विजय कुमार मल्होत्रा, बरुन कुमार, परमानंद त्रिपाठी, के एन पाण्डेय, प्रो पुष्पा निगम, सत्य प्रकाश, सोनू कुमार, अंजलि, वंदना, कविता, सरोज कौशिक, ए के साहू, ऋषि कुमार, परेश सनान्से, माधुरी क्षीरसागर, यमुना सिंह, परशुराम मालगे, डॉ विजय द्वय, डॉ जयशंकर यादव, डॉ गंगाधर वानोडे, विनय शील चतुर्वेदी, जितेंद्र चौधरी, स्वयंवदा एवं अनुज आदि सुधी श्रोताओं की गरिमामयी उपस्थिति रही। तकनीकी सहयोग का दायित्व कृष्ण कुमार द्वारा बखूबी संभाला गया। तत्समय थाईलैंड में चल रही हिंदी परीक्षा में सम्मिलित पचास विद्यार्थियों की एक झलक प्रो शिक्षा रस्तोगी ने हर्षित भाव से दिखाई।

समूचा कार्यक्रम केंद्रीय हिंदी संस्थान, विश्व हिंदी सचिवालय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के सहयोग से वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी के मार्गदर्शन और सुयोग्य समन्वयन में संचालित हुआ। अंत में सिंगापुर से कार्यक्रम की मुख्य संयोजक प्रो संध्या सिंह द्वारा वक्ताओं के मुख्य अंशों को रेखांकित करते हुए आत्मीय भाव से माननीय अध्यक्ष, विशिष्ट वक्ताओं, संचालकों, संयोजकों, प्राध्यापकों, सहयोगियों, शोधार्थियों एवं देश विदेश से जुड़े सुधी श्रोताओं तथा कार्यक्रम टीम सदस्यों आदि के नामोल्लेख सहित कृतज्ञता प्रकट की गई। समूचा कार्यक्रम तकनीकी के व्यापक प्रभाव और सही दृष्टिकोण के साथ विश्व भाषा हिंदी की सुखद आत्मीय अनुभूति और आनंद सहित सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम ‘वैश्विक हिंदी परिवार’ शीर्षक से यू-ट्यूब पर उपलब्ध है। रिपोर्ट लेखन कार्य डॉ जयशंकर यादव ने किया।

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