MIDHANI: हिंदी कार्यशाला में प्राध्यापक डॉ एस रविचंद्र राव व वैज्ञानिक ई अमित कुमार गुप्ता का दमदार व्याख्यान

हैदराबाद: रक्षा मंत्रालय के उपक्रम मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानि) में न मिधानि की राजभाषा कार्यान्वयन समिति के तत्वावधान में कर्मचारियों के लिए एक पूर्ण दिवसीय हिंदी कार्यशाला का आयोजन संपन्न हुआ।

प्रथम सत्र के वक्ता डॉ एस रविचंद्र राव, वरिष्ठ प्राध्यापक, हिंदी शिक्षण योजना, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, सिकंदराबाद ने ‘राजभाषा और संप्रेषण’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान भारत संघ की भाषा नीति के इतिहास को रेखांकित करते हुए भाषा और संप्रेषण पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यालय में प्रयुक्त होने वाले राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3 (3) के अंतर्गत आनेवाले दस्तावेजों में प्रयोग की जाने वाली भाषा का ज्ञान कराकर उनमें इस्तेमाल होने वाले सामान्य वाक्यांशों का अभ्यास करवाया।

द्वितीय सत्र में आरसीआई के वैज्ञानिक ई अमित कुमार गुप्ता ने ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कृत्रिम बुद्धिमता की आवश्यकता’ विषय पर हिंदी में मल्टि मीडिया के माध्यम से व्याख्यान दिया। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के द्वारा प्रतिभागियों को कृत्रिम बुद्धिमता का परिचय दिया। तृतीय सत्र में आरसीआई के के सहायक निदेशक (राजभाषा) डॉ काज़िम अहमद ने कार्यालयीन कामकाज में प्रयुक्त प्रशासनिक शब्दावली पर व्याख्यान दिया। विभिन्न प्रशासनिक शब्दावली के निर्माण पर विस्तार से चर्चा करते हुए उनकी उत्पत्ति की जानकारी दी। प्रशासनिक शब्दावली के अनुप्रोयग के विभिन्न संदर्भों से प्रतिभागियों का परिचय कराते हुए कार्यालय के कामकाज में प्रशासनिक शब्दावली के प्रयोग का अभ्यास कराया।

चार सत्रों में संचालित कार्यशाला के चतुर्थ संत्र में उद्यम के उप प्रबंधक (हिंदी अनुभाग एवं निगम संचार) डॉ बी बालाजी ने प्रतिभागियों से हिंदी कार्यशाला के आयोजन के महत्व पर चर्चा करते हुए हिंदी में कंप्यूटर पर काम करने की सुविधा की जानकारी दी। की-बोर्ड ले आऊट का ज्ञान कराते हुए सभी प्रतिभागियों से टंकण का अभ्यास कराया।

साथ ही उन्होंने कार्यालय के कामकाज में हिंदी में काम करने की संभावनाओं पर अपने विचार रखते हुए राजभाषा कार्यान्वयन के लिए कर्मचारियों के दायित्व को रेखांकित किया। राजभाषा अधिनियम, 1963 और राजभाषा नियम 1976 के क्रमशः धारा 3(3) और विविध नियमों पर प्रकाश डालते हुए कर्मचारियों को हिंदी में कार्यालयीन लेखन के अवसरों पर विस्तार से चर्चा की।

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