हैदराबाद : हिंदी आंदोलन परिवार (पुणे, महाराष्ट्र) की होली विशेष अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक मासिक गोष्ठी हाल ही में भव्य और हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुई। इस गोष्ठी का नामकरण ‘फाग के रंग : हिंआंप के संग’ किया गया था। गोष्ठी में में गीत, लोकगीत, कविता, लघुकथा, आलेख जैसी विभिन्न विधाओं में रचनापाठ हुआ।
आयोजन में रचनाकार चेहरे पर रंग लगाकर सम्मिलित हुए। गोष्ठी में भारत के विभिन्न नगरों- पुणे, दिल्ली, कोलकाता, जयपुर, लखनऊ, हैदराबाद, सुल्तानपुर और अन्य क्षत्रों से रचनाकार जुड़े। साथ ही अमेरिका एवं दुबई से जुड़े हिन्दी रचनाकारों ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
सहभागी प्रमुख हस्ताक्षरों में सुधा भारद्वाज, संजय भारद्वाज, रमणी थापर, वीनु जमुआर, उमंग सरीन, अलका अग्रवाल, रेणु गुप्ता, रेखा सिंह, डॉ. पुष्पा गुजराथी, डॉ. अरुण निषाद, शिप्रा मिश्रा, रीता पांडेय, डॉ. नितिन उपाध्ये, गौतमी पांडेय, डॉ. लतिका जाधव, भावना पुरोहित (हैदराबाद), शैली त्रिपाठी, प्रणति ठाकुर, इंदिरा पूनावाला, मीरा गिडवानी, सुदर्शन मनचंदा, श्वेता मिश्रा आदि सम्मिलित थे। गोष्ठी की अध्यक्षता रमणी थापर ने की और संचालन संजय भारद्वाज ने किया।
गौरतलब है कि हिंआंप विगत 29 वर्ष से निरंतर बहुभाषी मासिक गोष्ठियाँ आयोजित करता आ रहा है। हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे, महाराष्ट्र स्थित संस्था है। हिंदी आंदोलन परिवार की स्थापना संजय भारद्वाज एवं सुधा भारद्वाज ने 30 सितंबर 1995 को पुणे में की थी। तब से अब तक संस्था प्रतिमाह एक साहित्यिक गोष्ठी करती आ रही है। संस्था की यह 295वीं मासिक गोष्ठी रही है। विशेष बात यह है कि इस गोष्ठियों में किसी भी भारतीय भाषा में रचना पढ़ी जा सकती है।
हिंदी के साथ-साथ मराठी, संस्कृत, उर्दू, सिंधी, गुजराती, कन्नड़, तेलुगू, कोंकणी आदि में भी रचनापाठ होता रहा है। साहित्य के साथ संस्था समाज सेवा के क्षेत्र में भी यथाशक्ति योगदान करती है। वेश्याओं के बच्चों, दृष्टि दिव्यांग बच्चों, मूक-बधिर बच्चों, फुटपाथ पर रहनेवाले बच्चों के लिए भी हिंआंप ने अनेक कार्यक्रम किए है। वृद्धाश्रम के निवासियों के साथ भी हिंआंप ने कई आयोजन किए हैं।
साहित्य और सेवा के माध्यम से राष्ट्रीय एकता के लिए कार्य करने हेतु हिंदी आंदोलन परिवार के अध्यक्ष संजय भारद्वाज को इसी माह महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादमी ने ‘छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता जीवन गौरव सम्मान’ से विभूषित किया है। हिंदी साहित्य में योगदान के लिए भारद्वाज को भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभाताई पाटील के हाथों ‘विश्व वागीश्वरी सम्मान’ भी मिल चुका है। हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के ‘सम्मेलन सम्मान’ सहित उन्हें लगभग 50 सम्मान प्राप्त हुए हैं।