हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद तथा विश्व हिंदी सचिवालय के तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार द्वारा आयोजित रविवारीय आभासी वैश्विक संगोष्ठी का विधिवत आयोजन किया गया। कार्यक्रम में वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष एवं साहित्यकार अनिल जोशी द्वारा सान्निध्य प्रदान किया गया, जिसमें 30 से अधिक देशों के हिन्दी से जुड़े विचारकों, साहित्यकारों और भाषाकर्मियों, शिक्षकों तथा शोधार्थियों ने अपार हर्ष के साथ सहभागिता की।
कार्यक्रम दो चरणो में सम्पन्न हुआ। स्वागत के बाद विशेष उल्लेख के तहत प्रथम चरण में विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस में हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित विविध कार्यक्रमों में सचिवालय की महासचिव डॉ माधुरी रामधारी और भारत से मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रण पर मॉरीशस पहुंचे वैश्विक हिंदी परिवार के संयोजक डॉ जवाहर कर्नावट द्वारा सारगर्भित जानकारी दी गई। डॉ कर्नावट ने बड़े हर्ष से बताया कि सचिवालय के अलावा मॉरीशस ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन, महात्मा गांधी संस्थान, नागरी प्रचारिणी सभा और मॉरीशस विश्वविद्यालय आदि संस्थाओं द्वारा हिन्दी से संबन्धित खचाखच भरे सभागारों में गीत संगीत, पुस्तक लोकार्पण और व्याख्यान तथा विभिन्न देशों के हिन्दी विद्यार्थियों के उद्गार सहित अनेक शानदार कार्यक्रम कई दिनों तक आयोजित हुए। इनमें बुजुर्गों ने भी उत्साह से भाग लिया।
डॉ कर्नावट ने मॉरीशस में हिंदी की समृद्धि हेतु भाषा प्रशिक्षण आदि क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक सहयोग की आवश्यकता बताई। विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस की महासचिव डॉ माधुरी रामधारी ने बताया कि हिंदी दिवस के लिए 6 माह पहले से ही तैयारी और प्रतियोगिताएँ आदि जारी थीं जिसमें 31 देशों के बच्चों ने प्यारी हिन्दी हेतु भाग लिया। भारतीय उच्चायोग का सक्रिय सहयोग मिला। अमेरिका और चीन आदि से वर्चुअल कार्यक्रम हुए। हिन्दी के प्रभाव की अनुगूँज को बढ़ाने का सतत प्रयास जारी रहेगा।
यह भी पढ़ें:
कार्यक्रम के दूसरे चरण में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (ए आई सी टी ई) के मुख्य समन्वयक अधिकारी एवं चर्चित तकनीकीविद बुद्धा चन्द्रशेखर की ‘अनुवादिनी टूल’, से संबंधित चमत्कारिक प्रस्तुति हुई जिसका संचालन राजभाषा विभाग के पूर्व निदेशक डॉ राकेश दूबे द्वारा किया गया। चंद्रशेखर ने भारत एलएलएम (लार्ज लेवेल मॉडल) की जानकारी देते हुए बताया कि विश्व की सभी भाषाएँ एक समान नहीं हैं। हिन्दी में वाक्य रचना में कर्ता, कर्म और क्रिया का रूप चलता है जो दुनियाँ की 497 भाषाओं में है। जबकि अंग्रेजी वाक्य में कर्ता क्रिया और कर्म स्थापित है। इसके परिणाम स्वरूप अनुवाद में वाक्य खंडित हो जाते हैं। अनुवादिनी टूल, गूगल से भी बहुत कम समय में संदर्भ के अनुसार सही अनुवाद देता है।
बेशक इसके प्रयोगकर्ताओं की अभी कमी है किन्तु किसी भी भारतीय भाषा और उप भाषाओं में भी बहुत ही कम खर्च में तुरंत अनुवाद संभाव्य है। अनपढ़ लोगों के लिए भी यह आवाज देकर सक्षम है। अनेक विदेशी भाषाओं के लिए कार्य जारी है। इंजीनियरिंग की सैकड़ों पुस्तकों का 10 भारतीय भाषाओं में प्रभावी अनुवाद, अनुवादिनी टूल के माध्यम से करके पाठ्यक्रम चल रहे हैं। उन्होने चुटकी कार्यक्रम को भी बताया जिससे अविलंब अनुवाद आता है। अनुवादिनी से बटन दबाते ही किसी भी भाषा में अनुवाद चमत्कारिक है। इसके विविध पक्षों पर अनुसंधान कार्य जारी है। निश्चय ही यह आमूल परिवर्तन करने में सक्षम है। उन्होने पूछे गए प्रश्नों का बेबाक विश्लेषण सहित उत्तर भी दिया।
विशिष्ट वक्ता के रूप में भारतीय भाषा मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ राजेश्वर कुमार ने अनुवादिनी टूल को अत्यंत कारगर करार देते हुए इसे मील का पत्थर बताया। प्रख्यात भाषा विज्ञानी प्रो वी आर जगन्नाथन ने अनुभवजन्यता के आधार पर अनुवादिनी टूल को अब तक का सबसे अच्छा टूल बताया। केंद्रीय हिन्दी संस्थान भुवनेश्वर केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक एवं तकनीकीविद डॉ रंजन दास ने अनुवादिनी को भारतीय भाषाओं के लिए सबसे अधिक उपयोगी बताते हुए इसके बड़े पैमाने पर प्रचार की आवश्यकता बताई। जापान से जुड़े पद्मश्री डॉ तोमियो मिजोकामी ने जी 20 शिखर सम्मेलन नई दिल्ली के आयोजन में राष्ट्राध्यक्षों के लिए 20 भाषाओं में अनुवाद को ए आई का चमत्कार बताते हुए प्रशंसा की।
वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संरक्षक अनिल जोशी ने विश्व हिंदी सचिवालय के हिंदी दिवस संबंधी सदप्रयासों की सराहना की एवं डॉ बुद्धा चन्द्रशेखर की अनुवादिनी संबंधी सतत साधना की भूरि भूरि प्रशंसा की तथा इस टूल से अपनी सन्निकटता बताते हुए भाषा के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं की खोयी हुई अस्मिता को वापस लाने में बहुत सहायक बताया। उन्होंने शासन प्रशासन और सर्वोच्च न्यायालय तथा मेडिकल आदि विविध क्षेत्रों में इसकी बहुत उपयोगिता बताई तथा प्रचार प्रसार जरूरी बताया। जोशी जी ने भारत सरकार के भाषाई प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और इस कार्यक्रम से जुड़े सभी के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।
संयोजन एवं सहयोग मॉरीशस से विश्व हिंदी सचिवालय की महासचिव डॉ माधुरी रामधारी, केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक प्रो सुनील कुलकर्णी, सिंगापुर से प्रो संध्या सिंह, कनाडा से डॉ शैलेजा सक्सेना, यू के की साहित्यकार दिव्या माथुर एवं डॉ पदमेश गुप्त तथा भारत से डॉ नारायण कुमार, प्रो वी जगन्नाथन, डॉ जवाहर कर्नावट, डॉ विजय द्वय, डॉ गंगाधर वानोडे तथा डॉ जयशंकर यादव द्वारा किया गया। तकनीकी सहयोग का दायित्व डॉ मोहन बहुगुणा और डॉ सुरेश मिश्र उरतृप्त तथा कृष्ण कुमार द्वारा बखूबी संभाला गया। शोधार्थियों का शालीन समन्वय दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो विवेक शर्मा ने किया।
समूचा कार्यक्रम वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी के कुशल मार्गदर्शन में संचालित हुआ। धन्यवाद ज्ञापन से पूर्व वैश्विक हिन्दी परिवार के विविध कार्यों को बखूबी संभाल रहे सेवियों की पहली बार एक मिनट की फ्लायर संबंधी वीडियो प्रस्तुत की गई। अंत में नई दिल्ली से गृह मंत्रालय के सहायक निदेशक एवं तकनीकीविद डॉ मोहन बहुगुणा द्वारा अनुवादिनी टूल की प्रशंसा करते हुए सभी अतिथियों, वक्ताओं, शोधार्थियों एवं सुधी श्रोताओं के प्रति संयत और आत्मीय भाव से आभार प्रकट किया गया। यह कार्यक्रम “वैश्विक हिन्दी परिवार” शीर्षक से यू ट्यूब पर द्रष्टव्य है। रिपोर्ट लेखन का कार्य सेवानिवृत्त राजभाषा निदेशक डॉ जयशंकर यादव ने किया।