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रैतु बीमा योजना को 15 अगस्त को पांच साल पूरे हो गए हैं। तेलंगाना सरकार ने अब तक 5,402 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। मुख्यमंत्री केसीआर ने किसानों की समस्याएं और कठिनाइयों को जानते हुए अन्नदाताओं के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं और लागू किया हैं। इनमें रैतु बीमा एक है। दुनिया में रैतु बंधु और रैतु बीमा योजनाएं नहीं है। इन योजनाओं को लागू करके सीएम केसीआर हमेशा किसानों के दिलों में बस गये हैं।
इसी क्रम में तेलंगाना के वित्त मंत्री हरीश राव ने मंगलवार को रैतु बीमा योजना के पांच साल पूरे होने के अवसर पर ट्वीट किया। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि 15 अगस्त 2018 को मुख्यमंत्री केसीआर द्वारा शुरू की गई रैतु बीमा योजना ने पांच साल पूरे कर लिए हैं। इसका उद्देश्य किसी भी कारणवश किसान की मौत हो जाने पर उसके परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। सभी पात्र किसानों और परिवार के मुखिया को खोने वाले परिवार की ओर से तेलंगाना सरकार एलआईसी को प्रीमियम का भुगतान करती है।
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तेलंगाना सरकार पांच लाख की वित्तीय सहायता प्रदान करके किसानों के साथ मजबूती से खड़ी है। रैतु बीमा योजना की शुरुआत के पहले साल यानी 2018-19 में 31.25 लाख किसानों ने अपना नाम पंजीकृत कराया था। 2023-24 तक यह संख्या बढ़कर 41.04 लाख हो गई है। 2018 में प्रीमियम के रूप में 602 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। अब प्रीमियम के रूप में 1477 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा है।
सरकार ने अब तक किसानों की ओर से प्रीमियम के रूप में 6861 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जबकि विभिन्न कारणों से जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को 5,402 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। रैतु बीमा के लिए किसान को केवल जमीन का एक गुंटा भी काफी है। उसे किसान के रूप में मान्यता दी जाती है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो परिवार को पांच लाख रुपये दिए जाएंगे।
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दुनिया में कहीं पर भी रैतु बीमा योजना नहीं है। इसीलिए किसान सीएम केसीआर के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। यह गर्व की बात है कि मुख्यमंत्री केसीआर न केवल किसानों के बारे में सोचते हैं, बल्कि किसानों के परिवारों के बारे में भी सोच रखते हैं। अब विपक्षी दलों की आदत बन गई है कि सरकार की योजनाओं को कम आंकना और कोसना। तेलंगाना के लोग ही सोचे कि कौन सही है और गलत।