तारीख-25 नवम्बर 2025, दिन-शनिवार। स्थान-गोरखनाथ मंदिर परिसर। हर बार की तरह इस बार भी गोरखपुर आगमन की अगली सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनता दर्शन कार्यक्रम में फरियादियों को सुन रहे थे। इन्हीं फरियादियों में से एक महिला ने मुख्यमंत्री को अपनी बेटी की गंभीर बीमारी के बारे में बताया। साथ ही आयुष्मान कार्ड नहीं होने की जानकारी भी दी। महिला की बात सुनते ही मुख्यमंत्री ने वहां मौजूद अधिकारियों को बच्ची को तुरंत लखनऊ एसजीपीजीआई या केजीएमयू में भर्ती कराने और खर्च का अनुमान तैयार करने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री के इस तुरत-फुरत निर्णय ने मां-बेटी के चेहरे पर मुस्कान ला दी। पिछले छह सालों के दौरान उत्तर प्रदेश में हुए मुख्यमंत्री के जनता दर्शन कार्यक्रमों में ऐसी फरियादों और उनके तत्काल निस्तारण के हजारों उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन से संचालित आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दृष्टिकोण से देश के सबसे बड़े सूबे में नया सोपान मिला है। गरीबों के इलाज की यह डबल डोज, 2024 के लोकसभा चुनाव में डबल इंजन सरकार के नारे को मजबूत आवाज देते हुए 80 की 80 सीटें जीतने का दावा कर रही भाजपा के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।
सांसद के रूप में भी योगी आदित्यनाथ इलाज के लिए बड़े पैमाने पर गरीबों की मदद करते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद इस मदद का दायरा लगातार बढ़ता चला गया। अपने पहले कार्यकाल के पहले ही साल में मुख्यमंत्री योगी, इलाज के मोर्चे पर लोगों की मदद करने में पिछले सारे रिकार्ड तोड़ चुके थे। साल-2021 के अप्रैल महीने तक ही वह गरीबों के इलाज के लिए 10 अरब रुपए तक की सहायता कर चुके थे। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा तब जारी ब्यौरे में बताया गया था कि 2017 से 2021 (चार सालों में) के बीच योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से एक हजार करोड़ रुपए तक की मदद की है। मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से लोगों की मदद करने का नियम रहा है। इससे मुख्यमंत्री अपने विवेकानुसार किसी की भी किसी हद तक जाकर मदद कर सकते हैं। यह फैसला पूरी तरह मुख्यमंत्री के विवेक पर होता है। अपने कार्यकाल के शुरुआती सालों में ही योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में अब तक के सभी मुख्यमंत्रियों को पीछे छोड़ दिया था।
पुराने आंकड़ों को खंगालने पर पता चलता है कि उत्तर प्रदेश की सत्ता पर पांच साल (2012 से 2017) तक काबिज रहने के दौरान समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने 42,508 लोगों की मदद की थी। उन्होंने 552 करोड़ रुपए की सहायता दी थी। जबकि मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने पांच साल में 18,462 लोगों को 84 करोड़ रुपाए की मदद दी। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल के पहले ही साल यानी 2017-18 में 13,224 एक अरब 84 करोड़ 42 लाख रुपए की मदद की। 2018-19 में उन्होंने 17, 772 लोगों को 2 अरब 56 करोड़ 34 लाख रुपए की मदद दी। इसी तरह 2019-20 में 18,014 लोगों को दो अरब 80 करोड़, 23 लाख रुपए की मदद दी। 2020-21 में उन्होंने 64, 357 लोगों को 996 करोड़ रुपए की मदद दी। मदद का ये सिलसिला साल दर साल कायम रहा और आज भी बदस्तूर जारी है। मुख्यमंत्री से सहायता पाने वालों में सबसे ज्यादा किडनी, दिल और कैंसर के मरीज रहे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बयान अक्सर सामने आता रहता है। वह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में किसी का इलाज धन के अभाव में नहीं रुकेगा। पिछले छह सालों में उत्तर प्रदेश में आम धारणा है कि यदि कोई जरूरतमंद मुख्यमंत्री के संज्ञान में आ जाए तो उसे महंगे से महंगा इलाज भी सुलभता से उपलब्ध हो जाएगा। मुख्यमंत्री की इसी सोच के चलते उत्तर प्रदेश में आयुष्मान योजना को भी नया विस्तार मिला है। अक्टूबर-2023 में हुई कैबिनेट बैठक में इससे सम्बन्धित प्रस्ताव को हरी झंडी मिलते ही 3.19 करोड़ पात्र घरेलू राशन कार्ड धारक परिवारों के कुल 13.74 करोड़ परिवारों को हर साल पांच लाख रुपए का मुफ्त इलाज मिलने का रास्ता साफ हो गया है। ये लोग अब आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कवर हो रहे हैं। इसके तहत हर परिवार को हर साल पांच लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिल सकता है। योजना के तहत हर वो व्यक्ति कवर होगा जिसके पास पात्र गृहस्थी का राशन कार्ड है। पात्र गृहस्थी का राशन कार्ड उन परिवारों का बनता है जिनकी सालाना आय शहरी क्षेत्रों में तीन लाख रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में दो लाख रुपए से कम है।
अब आयुष्मान योजना के लाभार्थियों पर एक नज़र डाल लेते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुताबिक उत्तर प्रदेश अक्टूबर 2023 में 3.71 आयुष्मान कार्ड के साथ देश में सबसे अधिक आयुष्मान कार्ड बनाने वाला राज्य बन गया था। प्रदेश के 3,603 अस्पतालों में इस कार्ड से गरीबों को इलाज मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में एक विशेष अभियान के तहत 17 सितम्बर से एक महीने में 50 लाख से अधिक नए कार्ड बनाकर एक नया कीर्तिमान भी बनाया गया। सरकार ने अभियान चलाकर लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए। राशन कार्ड भी कैंप लगाकर बांटे गए। राशन की दुकानों से भी आयुष्मान कार्डों का वितरण होने लगा।
जानकारों का कहना है कि मोदी और योगी सरकार ने पहले जहां मुफ्त राशन के जरिए समाज के एक बड़े तबके को लाभान्वित किया वहीं अब आयुष्मान योजना के जरिए मुफ्त इलाज तक सभी की पहुंच सुनिश्चित कर रही है। यह देश और प्रदेश के करोड़ों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव ला रहा है। सम्मानजनक ढंग से गुणवत्तापूर्ण इलाज और स्वास्थ्य देखभाल पाने का अधिकार पाकर लोग खुश हैं। जाहिर है लोगों की यह खुशी अगले कुछ महीनों में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए बड़ी खुशखबरी की वजह बन सकती है। हालांकि विपक्ष इसकी क्या काट खोजेगा और वो कितनी कारगर होगी यह देखना अभी बाकी है।
एस. हनुमंतराव, वरिष्ठ पत्रकार की कलम से लखनऊ