हैदराबाद: विहंगम योग संत समाज का शताब्दी समारम्भ महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर सुपूज्य श्री विज्ञान देव जी महाराज के पावन सानिध्य में कश्मीर से कन्याकुमारी तक राष्ट्रवव्यापी संकल्प यात्रा का भव्य स्वागत एवं दिव्य वाणी का आयोजन, महर्षि सदाफलदेव आश्रम (हैदराबाद) पर किया गया।
संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने दिव्य वाणी में जय स्वर्वेद कथा के माध्यम से बताया कि जिस प्रकार सूर्य के बिना निशा की निवृत्ति नहीं होती, उसी प्रकार सदगुरु बिना जगजीवों के मोहतम की निवृत्ति हो कर विमल विवेक नहीं होता। सदगुरु ही जीवों को ज्ञान उपदेश देकर सत्य मार्ग पर ले चलते हैं और वे उन्हें प्रभु तक और निर्वाण पद तक पहुंचा देते हैं। आत्मा चिरकाल से अपने अज्ञान से विषयों के मोह में पड़कर अपने कर्तव्य तथा वास्तविक स्वरूप को भूलकर अपने स्थूल देह को ही अपना स्वरूप और इसके आनन्द को ही अपना आनन्द समझता है और मानता है। इस भ्रान्ति को दूर करने वाली विद्या को ब्रह्मविद्या कहते हैं।
ब्रह्मविद्या विहंगम योग के विमल ज्ञान की प्राप्ति द्वारा ही हमारा जीवन प्रकाशमय हो कर परम लक्ष्य सच्चिदानंद की प्राप्ति कर पायेगा। संत श्री किशनलाल शर्मा जी ने संकल्प यात्रा के बारे में बता कर सभी गुरु भाई एवं गुरु बहनों को शताब्दी समारम्भ महोत्सव में उपस्थित हो कर 25000 कुण्डीय यज्ञ में अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए संकल्पित किया।
कार्यक्रम में हैदराबाद संत समाज के संरक्षक शिवकुमार अग्रवाल, प्रचारक रामकिशन भूरिया, श्याम सुन्दर अग्रवाल, सुभाष अग्रवाल, ओमप्रकाश अग्रवाल, रमाकांत अग्रवाल,अशोक अग्रवाल, देवेंद्र अग्रवाल, काशीराम, बिशन लाल संघी, मुकेश अग्रवाल, राकेश केडिया, आलोक अवस्थी, रतनलाल जाजु, मंटू केसरी, सुशील अन्ने, अजीत सिन्हा, चंदन कुमार एवं श्रीमती ज्योति राय सहपरिवार उपस्थित रहे ।साथ ही क्वालिटी लाइफ अपार्टमेंट के श्री भगवान दास, प्रदीप बंसल, दिनेश कुमार आदि उपस्थित रहे। संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज के आशिर्वाद, वंदना, आरती, शांति पाठ एवं अन्नकुट प्रशाद के साथ सत्संग का समापन हुआ।