शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) तक केंद्र सरकार की ओर से सभी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए किया गया 2 करोड़ कोरोनावायरस वैक्सीन का आवंटन स्कूलों के सार्वभौमिक कवरेज की तरफ एक सराहनीय कदम है। केंद्र सरकार के इस पहल से एक विश्वास आता है कि सरकार सितंबर से विद्यालयों में शुरू होने वाली आमने-सामने की कक्षाओं में वायरस के खतरे की संभावना कम करने की पुरजोर कोशिश कर रही है।
कई राज्य सरकारे भी अगले महीने से कक्षा 9 और उच्चतर कक्षाओं के लिए स्कूलों को फिर से खोलने की तैयारी में लगे हैं। हरियाणा, तेलंगाना और गुजरात सहित कुछ राज्यों ने तो घोषणा की है कि वे छोटे बच्चों के लिए भी ऑफ़लाइन कक्षाओं की अनुमति देने वाले हैं।
महामारी की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच
महामारी की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच महामारी विशेषज्ञ शिक्षाविद और नीति निर्माता लगातार उपाय ढूंढने में लगे हैं, जिससे अपनाने में कम से कम जोखिम हो। सरकारों की कोशिश है कि लंबे समय तक स्कूल बंद रहने के कारण जो बच्चों को पर्याप्त शिक्षा नहीं मिल पाई उस कमी को दूर किया जा सके। साथ ही वायरस के खतरे से बच्चों की सुरक्षा को भी संतुलित किया जा सके जिससे बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित हो पाये और वो सुरक्षित भी रहें।
टीकाकरण
यह उत्साहजनक है कि आधिकारिक अनुमानों के अनुसार देश के 97 लाख शिक्षकों में से आधे का टीकाकरण पहले ही किया जा चुका है। जिससे 5 सितंबर तक बाकी शिक्षकों का भी टीकाकरण पूर्ण रूप से हो पाना संभव दिखता है।
एक एक कदम सतर्कता
हालांकि स्कूलों में बच्चों को वायरस से संक्रमण का खतरा बना हुआ है और इसका समाधान किया जाना चाहिए। विशेष रूप से सभी राज्यों में मौजूद तेजी से फैलने वाले वायरस वेरिएंट के मुद्दे को अत्यंत गंभीरता से लिए जाने की जरुरत हैं। यह समय एक प्रभावी प्रतिक्रिया की मांग करता है, जिसमें महामारी विशेषज्ञ को एक एक कदम सतर्कता से सलाह देना है और स्थानीय प्रशासन को भी परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेने की छूट दिए जाने की भी आवश्यकता है।
वैक्सीन ZyCoV-D की तीन-खुराक
यह निश्चित रूप से सराहनीय कदम है कि वैक्सीन ZyCoV-D की तीन-खुराक को 12-18 आयु वर्ग के लिए अनुमोदित कर दिया गया है। यह भी सर्वविदित है कि इसे केवल अक्टूबर से ही दिया जाना है। ऐसे में फेस टु फेस कक्षाओं के बारे में कोई भी निर्णय सावधानी से लेना होगा।
12 वर्ष से अधिक वालों के आयुवर्ग
कुछ देशों में 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को टीकाकरण की अनुमति दी गई है, लेकिन महामारी में विद्यालय में होने वाले पाठ्यक्रम अभी भी संदेहजनक है। इज़राइल में, जहां 12 वर्ष से अधिक वालों के आयुवर्ग में तक़रीबन 78 फीसदी से अधिक का टीकाकरण हो चुका है। उसी देश में डेल्टा वेरिएंट तेजी से संक्रमण फैल गया। क्योंकि इज़राइल में दुरी बनाये रखने वाले सारे मानदंड समाप्त कर दिए गए थे. मास्क लगाने की पाबन्दी और यात्रा प्रतिबंधों को भी समाप्त कर दिया गया था।
स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं
स्थिति की गंभीरता पता चलती है जिसमें छात्रों की एक पूरी कक्षा एक बिना टीकाकरण वाले बच्चे से संक्रमित हो गयी थी जो बच्चा छुट्टी पर था। इस बात से सबक लिया जा सकता है कि बच्चों में टीकाकरण को प्राथमिकता दिया जाना कितना जरूरी है। टीकाकरण की शुरूआत में उन बच्चों को प्राथमिकता दिए जाने की जरुरत है, जिनमे स्वास्थ्य सम्बन्धी अलग समस्याएं भी हैं। सुरक्षा प्रोटोकॉल बनाए जा सकते हैं और जहां भी संभव हो कक्षा में वेंटिलेशन और खुली हवा के निर्देश को अपनाया जाना भी बहुत जरूरी है।
अलर्ट्स
अमेरिका में क्रेडेंशियल अध्ययन से संकेत मिलता है कि टीकाकरण के साथ-साथ स्थिति का कदम दर कदम अध्ययन और विवेचना स्थिति की गंभीरता समझने के लिए प्रभावी उपाय हैं। केंद्र सरकार के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वह सभी राज्यों के साथ स्कूल फिर से खोलने के अनुभव को साझा करें और समय समय पर अलर्टस जारी करे, ताकि सही निर्णय सही समय पर लिया जा सके। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान जैसे संगठनों से भी उपयोगी अंतर्दृष्टि लेते रहना जरुरी होगा। जब आधिकारिक उपाय पारदर्शी होंगे तब माता-पिता भी आश्वस्त हो सकेंगे कि उनके बच्चों का स्वास्थ्य और शिक्षा की संभावनाएं सुरक्षित हाथों में हैं।
– अमृता श्रीवास्तव की कलम से…