हैदराबाद: तेलंगाना हाई कोर्ट ने केसीआर सरकार को कोरोना मामलों को लेकर एक बार फिर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों से ज्यादा फीस वसूल किये जा रहे हैं। कोर्ट ने सवाल किया कि अधिक फीस को नियंत्रित करने के लिए जीओ जारी करने में क्या मुश्किलें आ रही है? कोरोना इलाज के लिए फीस निर्धारित करने के बारे में कोर्ट के कहने पर भी ऐसा क्यों नहीं किया है?
कोर्ट ने कहा कि कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली जीवन रक्षक दवाओं (लाइफ सेविंग ड्रग्स) को आपातकालीन दवाओं की सूची में शामिल क्यों नहीं किया है? हाई कोर्ट ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य के बारे में सरकार की नजर में क्या मायने रखती है। लोगों के जीवन से खिलवाड़ करना कहां तक उचित है?
मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली और जस्टिस विजय सेन रेड्डी की डिवीजन बेंच कोरोना के खिलाफ दाखिल याचिकों पर सुनवाई की। कोर्ट ने चार सप्ताह तक का समय दिया जाता है तो जीओ जारी करने की सरकार की अपील को गलत ठरहराया। हाई कोर्ट ने कहा कि कॉरपोरेट अस्पतालें फीस के नाम पर मरीजों को परेशान कर रहे हैं। मरीजों का खून चूस रहे हैं। क्या सरकार को यह सब दिखाई नहीं दे रहा है?
कोर्ट ने आगे कहा कि जीओ जारी करने में देरी का मतलब मरीजों के साथ शोषण करने के द्वार खोलना नहीं तो और क्या है? इस महीने की 23 तारीख को होने वाली सुनवाई के दौरान संपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करने का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी आदेश दिया कि कोरोना के लिए इलाज में इस्तेमाल होने वाली जीवन रक्षक दवाओं को आपातकालीन दवाओं की सूची के बारे में ठीक प्रकार से जानकारी नहीं दी है। जल्द ही होने वाली सुनवाई में संपूर्ण जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने कोरोना दवाओं की कीमतों को कम करने के आदेशों को लागू नहीं किये जाने पर नाराजगी जताई है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) उप निदेशक द्वारा दायर रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त किया है।