कौशाम्बी (नरेंद्र दिवाकर की रिपोर्ट) : 14 दिसंबर को पूरे देश में लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन विवादों के सरल समाधान का स्वर्णिम अवसर होता है। इस अवसर का लाभ अधिक से अधिक लोग उठा सकें इसीलिए जनपद न्यायाधीश कौशाम्बी (उत्तर प्रदेश) अनुपम कुमार ने मंगलवार को राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रचार-प्रसार हेतु प्रचार वाहन को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। जनपद न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी अनुपम कुमार ने आम जन मानस से अपील की कि लोक अदालत में भाग लेकर अपने मामलों/वाद का सुगमता से निस्तारण कराएं एवम “तारीख पे तारीख” की समस्या से हमेशा के लिए निजात पाएं।
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राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से पक्षकारों के वादों-विवादों का सुलह- समझौता के माध्यम से निस्तारण किया जाता है। प्री लिटिगेशन वैवाहिक विवादों का लोक अदालत में समाधान, वैवाहिक विवादों में पति पत्नी के विवाद का संक्षिप्त विवरण देते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में प्रार्थना पत्र दिया जाता है। परिवार न्यायाधीश एवं मध्यस्थ द्वारा विपक्षी को बुलाकर, समझौता से समाधान कराकर, लोक अदालत में निर्णय पारित किया जाता है।
राष्ट्रीय लोक अदालत में निम्न लिखित वाद/मामले लाए जा सकते हैं-
- समस्त प्रकार के शमनीय आपराधिक मामले
- बिजली एवं जल के बिल से सम्बधित शमनीय दण्ड वाद
- चेक बाउंस से सम्बन्धित धारा 138 एन. आई. एक्ट एवं बैंक रिकवरी
- राजस्व वाद एवं सिविल वाद
- मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद
- आरबिट्रेशन से सम्बधित इजरा वाद
उपरोक्त वाद के निस्तारण हेतु जिला विधिक सेवा प्रधिकरण, कौशाम्बी में सम्पर्क करें। लोक अदालत में पारित निर्णय अन्तिम होता है एवं इसकी अन्य न्यायालय में अपील नही होती हैं। यातायात सम्बन्धी चालानों को वेबसाइट vcourts.gov.in के द्वारा ई-पेमेंट के माध्यम से भुगतान कर घर बैठे ही निस्तारण करा सकते है।
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जनपद न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कौशाम्बी अनुपम कुमार ने जनपद कौशाम्बी के नागरिकों से अपील की कि अधिक से अधिक लोग इस स्वर्णिम अवसर का लाभ उठाएं और मुकदमेबाजी से मुक्ति पाएं। लोक अदालत उन विवादों का निपटारा कर सकती है, जहां कानून व्यक्तियों के बीच समझौते या समाधान की अनुमति देता है। यह मुकदमेबाजी से पहले के चरण के मामलों के साथ-साथ अदालत में लंबित मामलों पर भी विचार कर सकता है। लोक अदालत निम्नलिखित परिस्थितियों में किसी मामले का संज्ञान ले सकती है।
जब दोनों विवादित पक्ष किसी विवाद/मामले को लोक अदालत में भेजने के लिए सहमत हों। जब कोई पक्ष संबंधित न्यायालय से मामले को लोक अदालत में भेजने का अनुरोध करता है और न्यायालय को स्वयं लगता है कि लोक अदालत में मामले के समाधान की संभावना है, तो मामले को स्थानांतरित करने से पहले न्यायालय को दूसरे पक्ष की बात सुनी जाती है। जब कोई पक्षकार लोक अदालत आयोजित करने वाले प्राधिकरण या समिति को आवेदन करता है, और वे उसे लोक अदालत को संदर्भित करते हैं। जब संबंधित न्यायालय को लगता है कि मामला लोक अदालत के लिए उपयुक्त है तो मामले को स्थानांतरित करने से पहले न्यायालय को दोनों पक्षों की बात सुनते हैं।
लोक अदालत में मामला दायर करने पर कोई न्यायालय शुल्क देय नहीं होता है। लोक अदालतों में मामलों का निर्णय करने वाले व्यक्ति लोक अदालत के सदस्य होते हैं उनकी भूमिका केवल वैधानिक मध्यस्थ की होती है उनकी कोई न्यायिक भूमिका नहीं होती इसलिए वे केवल लोक अदालत में न्यायालय के बाहर विवाद को निपटाने के लिए पक्षकारों को किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए राजी कर सकते हैं और किसी भी पक्षकार पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मामले या मामले को समझौता करने या निपटाने के लिए दबाव नहीं डालते या मजबूर नहीं करते। लोक अदालत में पक्षकारों के बीच समझौते या समाधान के आधार पर उसका निर्णय किया जाता है। सदस्य स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से पक्षों को उनके विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के उनके प्रयास में सहायता करते हैं।
लोक अदालत के लाभ के बारे बताते हुए अध्यक्ष ने कहा कि लोक अदालत में विवादों के निपटारे से पक्षकारों के मध्य आपसी सद्भाव बढ़ता है व कटुता समाप्त होती है। पक्षकारों के समय, धन व श्रम की भी बचत होती है। लोक अदालतों में पहले से चल रहे मामलों में लगा न्यायालय शुल्क वापस हो जाता है। लोक अदालत द्वारा पारित आदेश/अवार्ड की निःशुल्क सत्यप्रतिलिपि पक्षकारों को तुरंत प्रदान की जाती है। लोक अदालत का आदेश/अवार्ड अन्तिम होता है व इसके विरूद्ध कोई अपील नहीं होती है। आदेश/अवार्ड का फल तुरंत प्राप्त होता है।पक्षकारों के मध्य विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है जिससे सुख शान्ति मिलती है।अधिक जानकारी के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कौशाम्बी के कार्यालय से संपर्क करें।
इस अवसर पर अपर जिला जज सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी पूर्णिमा प्रांजल, नोडल अधिकारी राष्ट्रीय लोक अदालत, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी शीरीन ज़ैदी, जनपद न्यायालय के न्यायिक अधिकारी व कर्मचारी, पैनल अधिवक्ता, और पैरा लीगल वालंटियर आदि उपस्थित रहे।