कौशाम्बी (डॉ नरेन्द्र दिवाकर की रिपोर्ट): जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी की सचिव/अपर जिला न्यायाधीश पूर्णिमा प्रांजल ने प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) स्थित बाल सुधार गृह एवं महिला शेल्टर होम का औचक निरीक्षण किया। महिला शेल्टर होम में कुल 124 लोग (109 महिलाएं और 15 बच्चे) रह रहे हैं, जबकि कुल क्षमता मात्र 50 की ही है। निरीक्षण के दौरान रहवासियों को पर्याप्त भोजन, दैनिक उपयोग की आवश्यक वस्तुएं, चिकित्सीय सुविधाओं, खाद्य पदार्थ में गुणवत्ता और संख्यानुरूप भोजन की मात्रा में कमी पाई गई। संज्ञान में आया कि समूह ग के पुरूष कर्मचारियों रामशंकर तिवारी और प्रेमशंकर द्वारा महिला रहवासियों पर अश्लील टिप्पणियां की जाती हैं और कर्मचारियों द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है। चिकित्सक द्वारा प्रिस्क्राइब दवाएं भी नहीं उपलब्ध कराई जातीं। बाल सुधार गृह में कुल 104 बच्चे हैं जिसमें 18 बच्चे कौशाम्बी के हैं।
सचिव ने सबसे पहले बच्चों के पुनर्वास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये जाने हेतु निर्देश दिये। सचिव ने स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी के साथ लीगल हेल्प, क्लास रूम, बाथरूम, रसोई, भंडारण गृह और स्टॉक रजिस्टर का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान यह पाया कि बच्चों को निर्धारित मेनू के अनुरूप भोजन नहीं दिया जाता, दूध में पानी की मात्रा अधिक रहती है। फल के नाम पर केवल केला दिया जाता है जबकि बाजार में बहुत से मौसमी फल उपलब्ध हैं। निरीक्षण के दौरान दाल में पानी की मात्रा अधिक पाई गई। रसोईघर में अग्निशमन की व्यवस्था का अभाव पाया गया। भंडारण/स्टॉक रजिस्टर अपूर्ण पाया गया और उसमें अनियमितता देखने को मिली। सीसीटीवी फुटेज दिखाने को कहने पर केयर टेकर ने बताया कि सीसीटीवी कैमरे खराब हैं जबकि सीसीटीवी कैमरे चलते हुए पाए गए। पूंछ-तांछ करने पर केयर टेकर शीतला प्रसाद सचिव के सवालों का जवाब नहीं दे पाए।
बल सुधार गृह में शिक्षकों के शिक्षण कार्य के निरीक्षण के दौरान यह पाया गया शिक्षक नियमित रूप से बच्चों की कॉपियां चेक नहीं करते। संज्ञान में आया कि प्रसाशन द्वारा बालकों मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। शिक्षण कार्य सुचारू रूप से करने, पढ़ने के लिए पुस्तकें वितरण करने, योगा और ड्रामा के अलावा अन्य शिक्षणेत्तर गतिविधियों को शुरू करने, चिकित्सा और गुणवत्तापूर्ण भोजन की उचित व्यवस्था करने के लिए निर्देश दिये जिससे बच्चों को पढ़ाई व स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें न आने पाएं, उनके सर्वांगीण विकास के लिए किसी कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। शिक्षकों को बालकों को उनकी आयु और शैक्षणिक स्तर के अनुसार पृथक-पृथक पढ़ाए जाने के निर्देश दिये गए। यदि कोई बालक सुधार गृह की सभी गतिविधियों में भागीदारी नहीं कर रहा है तो उसकी समस्या जानकर कार्यकलापों में भागीदारी करने हेतु प्रोत्साहित करें।
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बालकों को सभी दैनिक उपयोग की आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करवाई जाएं। उपयुक्त पोषण व आहार प्रदान किया जाए। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के चरित्र निर्माण के बारे में भी बात की जाय जिससे वे आगे चलकर अपने आपको समाज में समायोजित कर सकें और बेहतर नागरिक की तरह जीवनयापन कर सकें व देश के विकास में योगदान दे सकें। इस दौरान जो कमियां पायी गयीं, उनको पूरा करने का निर्देश जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया गया। इस दौरान महिला शेल्टर होम और बाल सुधार गृह के कई पदाधिकारी, कर्मी पीएलवी डॉ. नरेन्द्र दिवाकर एवं ममता उपस्थित रहे।