हैदराबाद (डॉ सुरभि दत्त की रिपोर्ट): हिंदी साहित्य भारती अंतरराष्ट्रीय (पंजीकृत) संस्था की तेलंगाना इकाई की ओर से तेलंगाना सरकार द्वारा सर्वोत्तम प्राध्यापक के रूप में पुरस्कृत, उस्मानिया विश्वविद्यालय सहित अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा अनेक स्वर्ण एवं रजत पदक से सम्मानित और विवेक वर्धिनी स्नातक एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विद्याधर की अध्यक्षता में तरंग माध्यम से ‘हिंदी में घर से रोजगार की संभावनाएँ’ विषय पर व्याख्यान कार्यक्रम और तत्पश्चात काव्यगोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य वक्ता तेलंगाना हिन्दी साहित्य भारती के महामंत्री पाठ्यपुस्तक शृंखलाओं में लेखक के रूप में योगदान देते आ रहे तेलंगाना सरकार और तेलंगाना भाषा भारती द्वारा पाठ्य पुरस्कार पुस्तकों के लेखन के लिए पुरस्कृत, शिक्षा विद्, लेखक एवं कवि डॉ. राजीव सिंह रहे हैं।
दो सत्रों में आयोजित कार्यक्रमों का संचालन डॉ इंद्रजीत सिंह एवं बिनोद गिरी अनोखा ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ कवयित्री मोहिनी गुप्ता द्वारा स्वरचित मधुर स्वर में प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। डॉ इंद्रजीत सिंह ने कार्यक्रम अध्यक्ष, मुख्य वक्ता, कार्यकारिणी सदस्यों, कविगण एवं श्रोता अतिथिगण का पुष्प शब्दों से स्वागत किया। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ विद्याधर एवं मुख्य वक्ता का परिचय प्रस्तुत किया।
डॉ राजीव सिंह जी ने अपने उद्बोधन में कहा…
मुख्य वक्ता डॉ राजीव सिंह जी ने अपने उद्बोधन में कहा हर व्यक्ति स्वयं रोजगार का निर्माण करने में सक्षम है। थोड़ी तकनीकी जानकारी से यह और भी सरल हो गया है। हिन्दी भाषा घर से रोजगार के अनेक अवसर प्रदान कर रही है। घर में रहते हुए हिन्दी विषय की कक्षाएं ली जा सकती हैं। प्रत्यक्ष भी और आन लाईन भी। उन्होंने बताया कि भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि एक से अधिक भाषाओं के जानने वाले अनुवाद कार्य द्वारा आय अर्जित कर सकते हैं। कुछ संस्थाएं प्रशिक्षण देने हेतु अनुवाद केंद्र चला रही हैं। उन से संपर्क किया जा सकता है। अपने रुचि के क्षेत्र में यू ट्यूब चैनल बना सकते हैं। एक हज़ार पसंद मिलने के साथ आय के स्रोत खुल जाते हैं। इंश्योरेंस, बैंक आदि कंपनियों को द्वि भाषी टेलिफोन आपरेटर अथवा एग्ज़ीक्यूटिव की आवश्यकता रहती है। यह भी आय का अच्छा स्रोत है। आवश्यकता है किसी भी कार्य को प्रारंभ करने की व्यक्ति में लगन और दृढ़ता हो। समय का सदुपयोग कर समय सारिणी बना कर चलने वाला हमेशा सफल होता है।
डॉ. विद्याधर ने कहा…
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. विद्याधर ने कहा कोरोना काल में गृह से कार्य की अवधारणा अधिक विकसित हुई है। भर्तृहरि नीति शतक की “सर्वे गुणा: कांचनम् आश्रय:” उक्ति को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा धन की आवश्यकता हर किस को है। जीवन चलाने के लिए, आजीविका के लिए हर कोई प्रयत्न रत है। प्रयास से ही इच्छित मार्ग पर बढ़ा जा सकता है। हिन्दी टंकण जानकार की मांग बढ़ रही है। शोधकर्ताओं, लेखकों, अनुवादक पांडुलिपि टंकण कराने तथा वर्तनी दोष दूर कराने के लिए डीपीटी ओपरेटर और प्रूफ रीडर की खोज में रहते हैं। मोबाइल पर टाईप सरल है, परंतु लेखों को सही रूप में प्रकाशित करना सरल नहीं है। टंकण नियम और वर्तनी की सूक्ष्म जानकारी प्राप्ति के आधार पर घर पर बैठे अच्छी आय हो सकती है। इसके लिए ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा, कड़ी मेहनत गुणों को अपनाना आवश्यक है।
व्याकरण के प्रकांड पंडित महऋषि पतंजलि ने बताया…
व्याकरण के प्रकांड पंडित महऋषि पतंजलि अष्टाध्याई की भूमिका में लिखित उपदेश का उल्लेख करते हुए बताया कि हम जिस कार्य को प्रारंभ करते हैं, सीखते हैं, शिक्षा प्राप्त करते हैं उससे पूर्व चार बातें हमें ध्यान में रखनी चाहिए ,आगम काल – गुरू जो बताता है उसे ध्यान से सुनें। स्वाध्याय काल- गुरु का पढ़ाया स्वयं पढ़ना। प्रवचन काल- आपस में चर्चा। व्यवहार काल- जो सीखा पढ़ा है उसे व्यवहार में अपनाना। इन मूल्यों को अपना कर कार्य निश्चित करें तो मार्ग प्रशस्त होता जाएगा।
डॉ सुरभि दत्त ने जानकारी दी…
प्रभारी डॉ सुरभि दत्त ने जानकारी दी कि साहित्य सेवा की ओर अग्रसर तेलंगाना हिन्दी साहित्य भारती इकाई ने जुलाई 2023 में अपने गठन के तीन वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। सितंबर महीने में अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष उत्तरप्रदेश के पूर्व शिक्षामंत्री डॉ रवींद्र शुक्ल जी की अध्यक्षता में बृहद कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित ने बताया…
इकाई अध्यक्ष लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित ने बताया कि जून महीने में रखी गई कार्यकारिणी की बैठक में स्कूल, इंटर एवं कॉलेज स्तर पर प्रतियोगिताएं रखे जाने का निर्णय लिया गया है। महामंत्री डॉ राजीव सिंह ने बताया कि इनके आयोजन के लिए विद्यालयों और महाविद्यालयों के विभागाध्यक्षों से संपर्क किया जा रहा है। इसी के साथ साझा संकलन प्रकाशित करने का भी विचार है।
दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी
दूसरे सत्र में डॉ इंद्रजीत सिंह ने डॉ सुरभि दत्त की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी सत्र प्रारंभ हुआ। कविगण द्वारा प्रस्तुत हर रंग से रंगी रचनाओं ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस गोष्ठी में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय लब्धप्रतिष्ठ कविगण- विनीता शर्मा, सुनीता लुल्ला, ज्योति नारायण, रमा द्विवेदी, चन्द्र प्रकाश दायमा, दयाशंकर प्रसाद, मोहिनी गुप्ता, डॉ कामेश्वरी, अजय पांडेय, उमेश चंद यादव, डॉ सुषमा देवी, डॉ इंद्रजीत सिंह, बिनोद गिरी अनोखा, वर्षा शर्मा, डॉ किरण शास्त्री, लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक दीक्षित, ममता जायसवाल, रेखा अग्रवाल, डॉ राजीव सिंह, डॉ सुरभि दत्त और अन्य ने काव्य पाठ किया।
शोभा बढ़ाई…
इस कार्यक्रम में ज्योति गुरुवार, सी. पी. सिंह, डॉ विद्याधर, कल्पना, मंजू शर्मा, साईंनाथ चापले, शिल्पी भटनागर ने शोभा बढ़ाई। बिनोद गिरी अनोखा ने कुशल संचालन किया और धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। कल्याण मंत्र के साथ गोष्ठी का समापन हुआ।