हैदराबाद : कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में 20 अक्टूबर को गूगल मीट के माध्यम से क्लब की 387वीं मासिक गोष्ठी का सफल आयोजन संपन्न हुआ। प्रेस विज्ञप्ति में डॉक्टर अहिल्या मिश्र (क्लब अध्यक्ष) एवं मीना मुथा (कार्यकारी संयोजिका) ने आगे बताया कि इस अवसर पर प्रथम सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार कहानीकार शांति अग्रवाल ने की। सस्मिता नायक द्वारा सुमधुर स्वर में सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई।
डॉक्टर अहिल्या मिश्र ने पटल पर उपस्थित सभी सदस्यों को साधुवाद देते हुए मासिक गोष्ठी की सफलता हेतु शुभकामना व्यक्त की। मीना मुथा ने कहा कि क्लब अपने 31वें वर्ष की साहित्यिक यात्रा में सबका साथ पाते हुए निरंतर गतिमान है। साथ ही जानकारी दी कि प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता राजेश पाठक (महासचिव, कादंबरी साहित्यिक संस्था, जबलपुर) ‘आज की कहानी का स्वरूप’ विषय पर अपने विचार रखेंगे। इस संगोष्ठी सत्र के संयोजक अवधेश कुमार सिन्हा (दिल्ली) होंगे। तत्पश्चात कादम्बनी क्लब के सदस्य स्व मयूर पुरोहित और स्व जुगल बंग जुगल को उनके दुखद निधन पर 2 मिनट का मौन रखकर भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित की गई।
संगोष्ठी सत्र संयोजक अवधेश कुमार सिन्हा ने मुख्य वक्ता राजेश पाठक का संक्षिप्त में परिचय देते हुए विषय प्रवेश किया और कहा कि कहानी साहित्य की ऐसी विधा है जहाँ दादा-दादी, नाना-नानी के ज़माने से भी पूर्व से चलती आ रही हैं। पहले पशु-पक्षी, जंगलों की कहानियाँ, पराक्रमों की कहानियाँ, घटना विशेष की कहानियाँ हुआ करती थी। बाद में वैश्विक बदलाव के साथ कहानी में दलित विमर्श, स्त्री विमर्श आदि नित नए तकनीकी विकास से जीवन शैली में आए परिवर्तनों का समावेश हुआ है।
यह भी पढ़ें-
मुख्य वक्ता राजेश पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा कि पहले कहानी के माध्यम ग्रामीण परिवेश हुआ करते थे जो कथा सृजन के लिए प्रेरित करते थे। अति प्राचीन काल से कहानी प्रारंभ हुई। पहले बैल गाड़ी की बात हुआ करती थी अब तो प्लेन और नेट आ गया है। पहले कहानियाँ अंदर के द्वंद उद्घाटित करती थी, आधुनिक कहानी अल्हड़ता के साथ आगे बढ़ रही है। संस्कार भाव वर्तमान कहानी में पिछड़ चुका है। तत्कालीन समय के हिसाब से कहानी नव चेतना का संदेश देती है। आज के परिवेश की कहानियों में पाखंड के साथ मूल जीवन के मूल तत्वों खोते हुए हम नज़र आ रहे हैं। अपने सांस्कृतिक वैभव को सहेजते हुए अभिव्यक्ति करें। अभिभावक बच्चों को बचपन से ही कहानी पढ़ने के लिए प्रेरित करें, परिवार संस्कार भाव देगा तब कहानियों की श्रीवृद्धि होगी।
अवधेश कुमार सिन्हा, मधु भटनागर, सुहास भटनागर ने पाठक से कुछ प्रश्न साझा किए जिसका निदान पाठक ने किया। सत्र की अध्यक्षा कथाकार शांति अग्रवाल ने कहा कि चर्चा बहुत ही सार्थक रही। कहानी पढ़ने की ओर पाठक की रुचि बढ़ाना आवश्यकहै। नेट के युग में किताबों की दुनिया मोबाइल में सिमट गई है। अवधेश कुमार सिन्हा ने सत्र का आभार व्यक्त किया।
दूसरे सत्र में मीना मुथा के संचालन में और चंद्र प्रकाश दायमा की अध्यक्षता में सामयिक विषयों पर केंद्रित कवि गोष्ठी सम्पन्न हुई। इसमें उमा सोनी, ईंदू सिंह, मीरा ठाकुर, दर्शन सिंह, विनोद गिरि अनोखा, स्वाति गुप्ता, हर्षलता दूधोडिया, तृप्ति मिश्रा, उषा शर्मा, डॉ किरण सिंह (राँची), चंद्रलेखा कोठारी, भावना पुरोहित, शोभा देशपांडे, सरिता सुराणा, विशाखा समीर, किरण सिंह, प्रवीण प्रणव, मीना मुथा ने काव्य पाठ किया।
चन्द्र प्रकाश दायमा ने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि सभी की रचनाएँ वैविध्यपूर्ण लगी। गीत, लघुकथा, शृंगार गीत, ग़ज़ल, हाइकु आदि विधाएँ सुनने को मिली। इसी तरह रचनाकार आगे बढ़ें और साहित्य की सेवा में जुड़े रहें। उन्होंने अध्यक्षीय काव्य पाठ की। सत्र में सत्यनारायण काकड़ा, डॉ गंगाधर वानोडे, डॉ आशा मिश्रा मुक्ता, शिल्पी भटनागर, प्रीति जैन, श्रीवास, सुनीता परसाई, डॉ मदन देवी पोकरणा, सुख मोहन अग्रवाल, राजेश पाठक उपस्थिति रहे। तृप्ति मिश्रा ने सत्र का धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रवीण प्रणव ने सराहनीय तकनीकी सहयोग प्रदान किया।