कादम्बिनी क्लब की 380वीं मासिक गोष्ठी एक नये अंदाज़ में संपन्न सम्पन्न

हैदराबाद : कादंबिनी क्लब हैदराबाद साहित्यिक संस्था की निरंतर चलने वाली परम्परागत मासिक गोष्ठी एक नए अंदाज़ में संपन्न हुई। इसके प्रथम चरण में कहानी वाला के साथ एक घंटे की साहित्यिक यात्रा से पूर्व श्रीमती सासमिता नायक के माध्यम से निराला कृत “वर दे वीणा वादिनी वर दे” सरस्वती वंदना से आरंभ की गई।

क्लब के संस्थापक अध्यक्ष डॉक्टर अहिल्या मिश्र ने सभी सदस्यों का स्वागत करते हुए प्रथम सत्र की अध्यक्षता भी किया। अवधेश कुमार सिंह (नई दिल्ली) ने संगोष्ठी संयोजक के रूप में कहानी वाला सुहास भटनागर के परिचय एवं कार्य व्यवहार पर बात रखते हुए कहानी के पांचों तत्वों का परिचय दिया तथा कथा-कथन की शैली पर प्रकाश डालते हुए विचार की यात्रा आगे बढ़ाते हुए कहानी वाला को आमंत्रित किया। इन्होंने कथा कथन एवं नाट्य प्रस्तुति के सम्मिश्रण के माध्यम से विषय का विस्तार किया। उनकी पहली कहानी अपने पूर्व जन्म पर आधारित थी।

दूसरी कहानी “एक भूली हुए सी गली” एक स्कूल की नौकरानी की बेटी की थी, जो रास्ता भटक गयी थी और बंबई में एक कॉल गर्ल बन गयी थी। कुछ सिंगल पैराग्राफ कहानियां थीं, जिसमें प्रमुख थीं, “एक दिन प्रति दिन” ये एक मल्लाह की कहानी थी, जो कि तूफ़ान से गाँव वालों को बचाते-बचाते आख़िर में स्वयं डूब जाता है। “नीला आसमान” एक लेखक की कहानी, एक कहानी जिसे सुहास अपने दिल के करीब मानते हैं, वो थी, “तकिया” ये एक दादी और पोती की कहानी थी। सत्र की समाप्ति से पूर्व सुहास ने अपने नाटक, “द्रौपदी, समय साक्षी है” के प्रसंग नाटकीय अंदाज़ में प्रस्तुत किये।

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प्रस्तुत कहानियों पर चर्चा परिचर्चा में भाग लेते हुए अवधेश जी ने कहा कि कहानियों से लगा की आप इसे लघु कथा में परिवर्तन कर सकते हैं और कहानी के प्लॉट्स अच्छे हैं। चंद्र प्रकाश दाहिमा ने कहा कि लघुकथा अपने आप में संपूर्ण होती है और पूर्ण कहानी का आभास दिलाता है। राशि सिन्हा ने कहानी वाले द्वारा सूर्य को कटघरे में लाने के साहस को उकेरा। शिल्पी भटनागर ने भी अपने विचार रखे। आर्या झा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि कहानी से कविता लेखन कठिन होता है। अध्यक्षीय टिप्पणी में डॉ अहिल्या मिश्र ने कहानी की संक्षित प्रस्तुति एवं मूल तत्व के संरक्षण के तरीक़ों की सराहना की।

गोष्ठी के दूसरे सत्र में अवधेश कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में संपन्न काव्य गोष्ठी में प्रवीण प्रणव, शिल्पी भटनागर, सी पी दायमा, इंदु सिंह, अवधेश कुमार सिन्हा, विनोद गिरी अनोखा, उमा सोनी, आर्या झा, डॉ. अहिल्या मिश्र, भगवती अग्रवाल, रमा बहेड़, तृप्ति मिश्रा, डॉ राशि सिन्हा, डॉ. स्वाती गुप्ता, किरण सिंह, दर्शन सिंह, मोहिनी गुप्ता, हर्षलता दुधोरीया, डॉ. रमा द्विवेदी, रेखा अग्रवाल, सरिता दीक्षित, लीला बजाज, उमेश श्रीवास्तव, डॉ. सुरभि दत्त, ज्योति नारायण, भावना पुरोहित आदि ने हास्य व्यंग्य और समसामयिक विषयों पर कविता पाठ की।

सरिता सुराणा, तनुजा व्यास, मीना मुथा, गोपाल कुमार, सुषमा देवी, देवा प्रसाद मायला, मीरा ठाकुर, डॉ सुनील, वर्षा और सीताराम माने उपस्थित हुए। साहित्यकार प्रवीण प्रणव (वरिष्ठ निदेशक माइक्रोसॉफ्ट) ने आधुनिक तकनीक के माध्यम से इस आभासी गोष्ठी में अपना सकारात्मक सहयोग प्रदान किया। श्रीमती आर्या झा ने गोष्ठी में उपस्थित सभी को धन्यवाद अर्पित किया। श्रीमती शिल्पी भटनागर कार्यक्रम की सह संयोजिका ने कार्यक्रम का सरस एवं सुंदर संचालन करते हुए गोष्टी को गतिमान बनाए रखा।

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