हैदराबाद: कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार को डॉ रमा द्विवेदी की अध्यक्षता में क्लब की 373वीं मासिक गोष्ठी का गूगल मीट पर आयोजन संपन्न हुआ। प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए डॉ अहिल्या मिश्र (क्लब अध्यक्ष) एवं मीना मूथा (कार्यक्रम संयोजिका) ने आगे बताया कि इस अवसर पर डॉक्टर अहिल्या मिश्र ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि ऑनलाइन की बैठक में सभी का स्वागत है। साथ ही अगले माह में तृतीय रविवार को रूबरू कार्यक्रम रहेगा जिसमें सभी की उपस्थिति प्रार्थनीय है।
MIDHANI
प्रथम सत्र में संगोष्ठी सत्र संयोजक अवधेश कुमार सिन्हा (दिल्ली) ने मुख्य वक्ता डॉक्टर मनोज कुमार पांडे का परिचय देते हुए कहा कि ये संत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय से संलग्न हैं और हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में अपनी ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं। आज आप ‘आज का समय और साहित्य’ विषय पर अपने विचार रखेंगे।
डॉक्टर मनोज पांडे ने उपरोक्त विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि साहित्य मानव समाज को बेहतर बनाने का माध्यम है। साहित्य तभी बदलाव लाएगा जब उस समय की परिस्थितियां उसे विवश करेगी। मध्यकाल, रीतिकाल, आदिकाल, रासो काव्य परम्परा में उस समय के समाज की ज़रूरत के अनुसार लेखन हुआ है। जिस तरह की स्थितियाँ सामने थीं वैसा ही साहित्य सृजन हुआ। हमारे भारतीय भाषाओं के सामने संकट है। तमाम क्षेत्रीय स्कूल बंद हो रहे हैं। सहित और कहीं से कुछ नहीं लाता। दर्पण है तो अक्स भी वैसा ही दिखेगा। समय और साहित्य साथ साथ चलते हैं।
अवधेश कुमार सिन्हा ने सत्र संचालन करते हुए कहा कि विषय देखने में छोटा है पर गंभीर हैं। इस देश की दशा और दिशा बदलने में साहित्य की अहम भूमिका है। पूंजीवाद, बाज़ारवाद में व्यक्ति व्यक्ति न रहकार कमोडिटी बनकर रह गया है। भारत में युवाओं की संख्या ज़्यादा है पर साहित्य में रुचि कम है। लेखकों की संख्या में वृद्धि है पर किताबों की मार्केटिंग करनी पड़ रही हैं।
डॉक्टर आशा मिश्रा ‘मुक्ता ने कहा कि साहित्य की आवश्यकता हमेशा ही रहेगी। हम इससे बहुत कुछ सीखते हैं। साहित्य वह बीच है जो मानव को मानव बनाए रखता है। ज्योति नारायण ने कहा कि साहित्य समय के साथ मार्गदर्शन करता है। वेद हो या ज्ञान सभी साहित्य से जुड़े हुए हैं।
डॉ निशी मोहन ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। आदिवासी विमर्श, दलित विमर्श सब कुछ उभरकर सामने आ रहा है। आर्थिक परिस्थितियों के कारण कई पत्रिकायें बंद हो गई हैं। अन्य सदस्यों ने भी अपनी बात साझा की। अवधेश कुमार सिन्हा ने सत्र का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के शुरुआत में शुभ्रा महंतों द्वारा सस्ती वंदना की प्रस्तुति दी गई।
दूसरे सत्र में शिल्पी भटनागर के संचालन में कवि गोष्ठी सम्पन्न हुई। इसमें स्वाति गुप्ता, निशि कुमारी मोहनी गुप्ता, रमा बहेड़, पूजा महेश, तृप्ति मिश्रा, भावना पुरोहित, विनोद गिरि अनोखा, ज्योति नारायण, सुनीता परसाई, ईन्दू सिंह, तरुणा, मोहिनी गुप्ता, डॉ आशा मिश्रा, शिल्पी भटनागर ने विभिन्न विषयों पर गीत, गज़ल, मुक्तक आदि सुनाया।
डॉ रमा द्विवेदी ने गीत की प्रस्तुति देते हुए कहा कि दोनों सत्र सुंदर ढंग से संचालित हुए हैं। साहित्य व समय पर चर्चा रोचक रही। कवि गोष्ठी में भी नई नई रचनाएँ सुनने को मिली। इनके अतिरिक्त किरण सिंह, सरोज अग्रवाल एवं गंगाधर वानोडे की उपस्थिति भी रही। प्रवीण प्रणव और डॉक्टर आशा मिश्रा मुक्ता ने तकनीक संचालन में सहयोग किया। मीना मुथा के धन्यवाद के साथ गोष्ठी का समापन हुआ।