హైదరాబాద్ : కాదంబినీ క్లబ్ హైదరాబాద్ ఆధ్వర్యంలో ఆదివారం రాంకోట్ మదన్ దేవి ప్రెషియస్ ఆడిటోరియంలో క్లబ్ 367వ నెలవారీ సమావేశం మరియు డాక్టర్ సంగీత శర్మ కవిత్వం “హరసింగార్ పై ప్రేమ లిఖూ”, భగవతి అగర్వాల్ కవిత్వం “పూజ యా విసర్జన్-అంతర్గద్వంద్ సే రోశని కీ ఓర్ మరియు త్రైమాసిక పత్రిక “పుష్పక్ లిటరరీ (సంవత్సరం 5 సంచిక 20 అక్టోబర్-డిసెంబర్ 2022)” డా. రిషభదేవ్ శర్మ అధ్యక్షతన ప్రారంభించబడింది.
हैदराबाद : कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार को मदन देवी क़ीमती सभागार रामकोट में क्लब की 367वीं मासिक गोष्ठी एवं डॉ संगीता शर्मा की काव्यकृति “हरसिंगार पर प्रेम लिखूँ”, भगवती अग्रवाल की काव्यकृति “पूजा या विसर्जन-अंतर्द्वंद से रोशनी की ओर” एवं त्रैमासिक पत्रिका “पुष्पक साहित्यिकी (वर्ष 5 अंक 20 ऑक्ट-दिसंबर 2022)” का लोकार्पण डॉ ऋषभदेव शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए डॉ अहिल्या मिश्र (क्लब संयोजिका) एवं मीना मुथा (कार्यकारी संयोजिका ने आगे बताया कि डॉ अहिल्या मिश्र, डॉ ऋषभदेव शर्मा (कार्यक्रम अध्यक्ष), डॉ संगीता झा (मुख्य अतिथि), कर्नल प्रसाद, डॉ संगीता व्यास, डॉ संगीता शर्मा, भगवती अग्रवाल मंचासीन हुए। मंचासीन अतिथियों के कर कमलों से दीप प्रज्वलन किया गया। तत्पश्चात् शुभ्रा महंतो ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की ।
डॉ अहिल्या मिश्र ने स्वागत भाषण में कहा कि आप सभी का साथ निरंतर कादम्बिनी क्लब की यात्रा को आगे बढ़ा रहा है । आज दो महिला रचनाकारों की उनके कृति के लोकार्पण पर यही कहेंगे कि कलम रुकनी नहीं चाहिए। डॉ संगीता शर्मा व भगवती अग्रवाल परिवार की ओर से मनचासीन अतिथियों, पुस्तक परिचय दाताओं, शुभ्रा मोहंतो, डॉ ऋषभदेव शर्मा, पूर्णिमा शर्मा, भगवती जी की माता जी का सम्मान किया गया।
डॉ संगीता व्यास ने पूजा या विसर्जन.. का परिचय देते हुए कहा कि शीर्षक सार्थक है। जो मनुष्य के अंदर उथल पुथल चल रही होती है वो शब्दों का रूप लेकर कागज पर उतर जाती है। कविता संग्रह में जीवन के संघर्ष का चित्रण बहुत सुंदर हुआ है। कवयित्री का प्रयास निश्चित ही सराहनीय है।
डॉ आशा मिश्रा ‘मुक्ता’ ने “हरसिंगार पर प्रेम लिखूँ” पर अपनी बात रखते हुए कहा कि भावनाओं की भरीपुरी दुनियाँ से गुजरना कवयित्री को हौसला देता है। पुस्तक में प्रेम के विभिन्न रूपों को शामिल किया गया है। गंभीर चिन्तनशीलता का सुंदर गुफ़न काव्यकृति में हुआ है।
तत्पश्चात् पुष्पक साहित्यिकी त्रैमासिक पर प्रवीण प्रणव ने विचार रखते हुए कहा कि प्रधान संपादकीय विभिन्न स्तंभ साक्षात्कार समीक्षाएँ लघुकथा यात्रा वृत्तांत तथा इन तीन महीनों में जिन साहित्यकारों की जन्म जयंती हो उनको भी इस अंक में याद किया गया है। प्रधान संपादक डॉ अहिल्या मिश्र, डॉ आशा मिश्रा, अवधेश कुमार सिंहा, प्रवीण प्रणव इसकी ज़िम्मेदारियों का वहन कर रहे हैं । विगत पाँच वर्षों से पत्रिका नियमित रूप से निकल रही है।
संबंधित लेख:
तत्पश्चात् मंचासीन अतिथियों के कर कमलों से “हरसिंगार पर प्रेम लिखूँ”, “पूजा या विसर्जन…” और “पुष्पक साहित्यिकी” का लोकार्पण हुआ। साथ ही डॉ संगीता शर्मा और भगवती अग्रवाल का क्लब की ओर से सम्मान किया गया। अन्य संस्थाओं ने भी उनका सम्मान किया।
मुख्य अतिथि डॉ संगीता झा ने कहा कि मुझे यहाँ आकर प्रसन्नता हुई। दोनों बहनों को साधुवाद। कर्नल प्रसाद कहा कि तेलुगू , अंग्रेज़ी , हिंदी तीनों ही भाषाओं में आज समृद्ध साहित्य है। डॉ शर्मा व भगवती ने कहा कि हमे यहाँ लोकार्पण का अवसर मिला है निश्चित ही क्लब के हम आभारी हैं।
संबंधित गैलरी
डॉ ऋषभदेव शर्मा ने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि अहिल्या जी लंबे समय से साहित्य में नवांकुरों को आगे कर रही हैं। भगवती ने काव्य संग्रह में जगबीती को सुंदर वर्णित किया है। वे कहती हैं कि रचनाएँ हीलिंग का कार्य करती हैं डॉ संगीता शर्मा ने शब्दों को ब्रह्म मानकर रचनाएँ लिखीं हैं। वे दोनों ही बहुत ही संभावनशील कवयित्री हैं। उन्होंने सभी रचनाकारों को सुझाव दिया कि वे पूर्व के साहित्यकारों को पढ़ें। सत्र का सुंदर संचालन मीना मुथा ने किया तथा देवा प्रसाद मायला ने आभार व्यक्त किया।
दूसरे सत्र में प्रवीण प्रणव के संचालन में और डॉ मदन देवी पोकरना, जी परमेश्वर और राम सुदिष्ट शर्मा के आतिथेय में कवि गोष्ठी हुई। इसमें उमेश चन्द्र श्रीवास्तव, सीताराम माने, दर्शन सिंह, डॉ आशा मिश्रा, सुनीता लुल्ला, उषा शर्मा, रमा बहेड़, प्रदीप भट्ट, सुहास भटनागर, देवा प्रसाद मायला, विनोदगिरी अनोखा, नीतेश सागर, संतोष रजा, उमा सोनी, सूरज प्रसाद सोनी, तरुणा, चंद्रप्रकाश दायमा, सत्यनारायण काकड़ा, संध्या वीरमानी आदि ने काव्य पाठ किया।
संबंधित लेख :
डॉ मदन देवी पोकरना ने अध्यक्षीय टिप्पणी दी। डॉ रमा द्विवेदी, डॉ सुमनलता, डॉ कृष्णा सिंग, डॉ अनीता मिश्र, मधु भटनागर, के राजन्ना, डॉ सी वसंता, डॉ टी श्रीलक्ष्मी, सुरेंद्र कुमार मिश्रा, सत्यनारायण काकड़ा, शिवकुमार कोहिर, मुरली मनोहर भटनागर, ममता अग्रवाल, शांति देवी अग्रवाल, व नरेश अग्रवाल परिवार जन, तृप्ति मिश्रा, दयाल चंद अग्रवाल आदि कवियों की उपस्थिति रही। सत्र का आभार विनोद गिरी अनोखा ने व्यक्त किया।