हुजूराबाद उपचुनाव: अपनी छाप छोड़ने में YS शर्मिला पूरी तरह से विफल, खड़ा नहीं कर पाई एक भी उम्मीदवार

हैदराबाद : हुजूराबाद उपचुनाव में वाईएसआरटीपी की अध्यक्ष वाईएस शर्मिला की रणनीति गड़बड़ा गई। शर्मिला की ओर से बेरोजगार युवाओं से बड़े पैमान पर नामांकन दाखिल करके सरकार की नीतियों का विरोध करने का जो एक अच्छा मौका था, वह चला गया है। कम से कम 200 बेरोजगार युवकों को हुजूराबाद उपचुनाव में उतारने की शर्मिला की घोषणा के बावजूद एक उम्मीदवार ने भी नामांकन दाखिल नहीं किया। इस समय चर्चा यह है कि बेरोजगारों के लिए संघर्ष कर रही शर्मिला को उनके ही पार्टी की ओर से इस तरह का व्यवहार किया गया तो भविष्य में तेलंगाना में पार्टी कैसे आगे बढ़ पाएगी।

गौरतलब है कि शर्मिला हर मंगलवार को बेरोजगार युवकों को नौकरी दिने की मांग के समर्थन में दीक्षा कर रही है। इस दौरान वह सरकार से नौकरी की अधिसूचना जारी करने की मांग करती और युवकों से आत्महत्या नहीं करने का आग्रह करती है। भले ही शर्मिला बेरोजगार युवकों के समर्थन में दीक्षा कर रही है, लेकिन ताजा घटनाक्रम से ऐसा लगता है कि बेरोजगार युवक उन पर भरोसा नहीं कर रहे हैं। शर्मिला ने तेलंगाना में अपनी शक्ति साबित करने की अनेक सभाओं और दीक्षा के दौरान ऐलान कर चुकी है। मगर हुजूराबाद में चुनाव लड़ने वाले युवाओं का समर्थन नहीं जुटा पाई है। नामांकन दाखिल करने वाले युवाओं की मदद के लिए शर्मिला ने समन्वयक भी नियुक्त किया है।

हुजूराबाद उपचुनाव नामांकन प्रक्रिया शुक्रवार को समाप्त हो चुकी है। वाईएसआरटीपी की ओर से एक भी उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल नहीं किया। ऐसा होना शर्मिला के लिए नुकसानदायक है। पार्टी के नेताओं मानना है कि शर्मिला बेरोजगारों की ओर से लड़ रही है। मगर कोई भी शर्मिला की परवाह नहीं कर रहा है। हां दो दिन पहले वाईएस शर्मिला ने निर्वाचन अधिकारी से मिलकर शिकायत की है कि हुजूराबाद उपचुनाव में उनके पार्टी के बेरोजगार युवकों को पुलिस और अधिकारियों ने नामांक दाखिल करने नहीं दिया है। साथ ही निर्वाचन अधिकारी को बदलने की मांग की। फिर भी शर्मिला की ओर से हिम्मत दिये जाने के बावजूद एक भी युवक ने नामांकन दाखिल नहीं किया है।

हालांकि हुजूराबाद निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित लोग चुनाव लड़ना चाहते है तो आरडीओ से डिक्लरेशन प्रमाणपत्र लेना होता है। नेताओं ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के लिए YSRTP के नेताओं को सरकार की ओर से बाधाएं उत्पन्न की गई है। ज्यादातर प्रत्याशी नामांकन दाखिल करने के लिए आये, मगर नियमों की आड़ में नामांकन दाखिल नहीं कर पाये हैं। कुल मिलाकर शर्मिला हुजूराबाद उपचुनाव में अपनी छाप छोड़ने में पूरी तरह विफल रही हैं।

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