WAJA Bundelkhand Women’s Unit: मां अपने बच्चों में अच्छे संस्कार डालने पर जोर दें- संपत पाल

बुंदेलखंड (उप्र-मध्यप्रदेश) : नई पीढ़ी के नवनिर्माण को समर्पित राष्ट्रीय स्तर पर उभरते संगठन ‘नई पीढ़ी फाउंडेशन’ एवं ‘राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन’ (वाजा इंडिया) की ग्वालियर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में ‘नई पीढ़ी के नवनिर्माण में महिलाओं की भूमिका’ विषयक आनलाइन परिचर्चा देश भर में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, विशाखापट्टणम, तिरुवनंतपुरम और भुवनेश्वर के बाद 15 जुलाई को (उप्र-मध्यप्रदेश) के ऐतिहासिक स्थल बुंदेलखंड से सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती दीपिका गर्ग, नई पीढ़ी फाउंडेशन महिला शाखा बुंदेलखंड ज़ोन ने किया और वह लगातार वक्ताओं का उत्साहवर्धन करती रहीं। कार्यक्रम में विषय प्रवेश करते हुए नई पीढ़ी उत्तर प्रदेश के प्रभारी चंद्रशेखर पांडेय ने महिलाओं को सृजनकर्ता बताते हुए अपने ओजपूर्ण उद्बोधन में कहा कि एक बालक के व्यक्तित्व का सृजन एक माता के हाथ में होता है। विश्व के महान वैज्ञानिक एडिसन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मां चाहे तो एक साधारण से बालक को विश्व का महान वैज्ञानिक भी बना सकती है।

कार्यक्रम की मुख्य अथिति श्रीमती सम्पत पाल संस्थापक गुलाबी गैंग (जिनके ऊपर जूही चावला और माधुरी दीक्षित अभिनीत गुलाब गैंग नामक हिन्दी फिल्म भी बन चुकी है) ने विषय को प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमें अपने एक महिला के रूप में और खास तौर पर एक माँ के रूप में बच्चों में अच्छे संस्कार डालने पर जोर देना चाहिए। अगर हमारी नई पीढ़ी संस्कारवान होगी तो हमारे देश की बहुत सी समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जाएंगी। बहुत ही सरलता के साथ उन्होंने महिलाओं की भूमिका और उसके महत्व की व्याख्या की।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि गीतिका वेदिका अभिनेत्री व लेखिका टीकमगढ़ ने अपने संबोधन से एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि बुंदेलखंड की धरती में ही कुछ बात है जो महिलाओं को एक विशेष व्यक्तित्व प्रदान करती है। रानी झाँसी का उदाहरण रखते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपनी बात कहने का ही नहीं अपने फैसले लेने का भी अधिकार होना चाहिए।

अन्य वक्ताओं में रिचा अग्रवाल ने भी नई पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की महती भूमिका को स्वीकार करते हुए इस विषय के विभिन्न आयाम प्रस्तुत किए। सहायक प्रोफेसर श्रीमती अरुणा शर्मा ने पारिवारिक मूल्यों पर जोर दिया तो अरुणा सक्सेना प्रेसीडेन्ट इनरव्हील क्लब उरई, ने कहा कि हर महिला में जीजाबाई और संपत पाल छुपी है जरूरत है उसे जगाने की। सुनीता अग्रवाल शिक्षिका एवं समाजसेवी छतरपुर ने कहा कि हमें बच्चों की आलोचना और तुलना से बचना चाहिए।

राज्यपाल पुरुस्कार प्राप्त शिक्षिका अंजू गुप्ता बाँदा ने बच्चों की शिक्षा के साथ साथ संस्कारों पर बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डॉ नीलम महेंद्र राष्ट्रीय स्तर पर समाचार पत्रों की लेखिका तथा वाजा इंडिया की ग्वालियर प्रेसिडेंट ने सभी वक्ताओं के वक्तव्य के विशेष बिंदुओं को रेखांकित करते हुए नई पीढ़ी के संस्थापक शिवेन्द्र प्रकाश द्विवेदी को इस प्रकार के आयोजनों के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह विषय, नई पीढ़ी के नवनिर्माण में महिलाओं की भूमिका जितना साधारण सा लगता है उससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

आज जब एक महिला को पुरूष के साथ घर परिवार चलाने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चलना जरूरी हो गया है। ऐसे में एक माँ के लिए यह मुश्किल हो जाता है कि वो अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में बैलेंस किस प्रकार बनाए लेकिन उसके पास कोई विकल्प भी नहीं है। क्योंकि ऑफिस में उसकी जगह कोई भी ले सकता है लेकिन घर में जहां वो एक पत्नी है एक माँ है और एक बहु है, उसकी जगह कोई और नहीं ले सकता। और महिलाओं की भूमिका नई पीढ़ी के निर्माण में इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि नई पीढ़ी किसी भी देश की वो नींव होती है जिस पर उस देश का भविष्य टिका होता है। जितनी मजबूत नई पीढ़ी की नीव होगी उतना उज्जवल देश का भविष्य होगा।

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