हैदराबाद : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने माओवादी समस्या को लेकर छह मुख्यमंत्रियों और चार राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दिल्ली में बैठक की। इस दौरान गृहमंत्री ने कहा कि माओवादियों की आय के स्रोतों को खत्म करना बेहद जरूरी है। केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर माओवादियों के वित्तीय स्रोत बंद किया जाना चाहिए।
अमित शाह ने बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे अगले एक साल में माओवादियों की समस्या से निपटने को प्रमुखता दें। ताकि माओादियों की समस्या का स्थायी हल निकाला जा सके। इसके लिए माओवादियों पर दबाव बढ़ाने, उनके खिलाफ अभियान की रफ्तार तेज करने और बेहतर समन्वय की जरूरत है। बैठक में माओवादी प्रभावित इलाकों में सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति और विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर भी चर्चा की गई।
बैठक में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाग लिया। बैठक के लिए पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और केरल के मुख्यमंत्रियों को भी आमंत्रित किया गया था। मगर इन चार राज्यों का प्रतिनिधित्व राज्य के मंत्री या वरिष्ठ अधिकारियों ने किया।
गृहमंत्री ने मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों के साथ माओवादी प्रभावित इलाकों में सुरक्षा स्थिति और चल रहे अभियानों तथा विकास कार्यक्रमों की समीक्षा की। शाह ने इन राज्यों की जरूरतों और माओवादियों से निपटने के लिए तैनात बलों की संख्या, माओवादी प्रभावित इलाकों में किये जा रहे सड़कों, पुलों, विद्यालयों और स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण जैसे विकास कार्यों का जायजा लिया।
बताया गया कि देश में माओवादी हिंसा में काफी कमी आई है। अब माओवादी देश के 45 जिलों में है। नक्सल समस्या को वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) भी कहा जाता है। यह समस्या 2019 में 61 जिलों में और 2020 में 45 जिलों में देखी गई। देश में 2015 से 2020 तक माओवादियों की हिंसात्मक गतिविधियों के कारण लगभग 380 सुरक्षाकर्मी, 1000 असैन्य नागरिक और 900 माओवादी मारे गए हैं। इस बीच कुल 4,200 माओवायों ने आत्मसमर्पण भी किया हैं। (एजेंसियां)