हमारी राजनीतिक पार्टियां सत्ता में आने के लिए बड़े-बड़े आश्वासन देती और दे रही हैं। फ्री में कुछ नहीं मिलता है तो भी ये पार्टियां फ्री में देने और कर्ज माफ करने जैसे आश्वासन देते हैं। यह सब आश्वासन किसके बल पर करते हैं? इस पर हर व्यक्ति को सोचना की जरूरत है। अगर हम नहीं सोचते हैं तो आने वाले पीढ़ी के साथ हम अन्याय करने वालों में शामिल होंगे। सरकारें लोगों से बनती है। लोग इसीलिए सरकार को चुनते हैं ताकि उनका भला हो। अर्थात उन्हें रोटी, कपड़ा और मकान नसीब हो। अगर सरकारें ऐसा नहीं कर पाती तो क्या फायदा?
कर्ज में डूबा
इन दिनों तेलंगाना सरकार कर्ज में डूब गया है। सरकार के किये जाने वाले खर्च और लागू सभी योजनाओं के लिए हर माह औसतन 19,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है। जीएसटी, स्टैंप, पंजीकरण, शराब की बिक्री, पेट्रोल व डीजल की बिक्री, राज्य मिलने वाले कर को मिलाया जाये तो 12,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है। शेष घाटे को पूरा करने के लिए तेलंगाना सरकार के कर्ज किये जाने के कारण राजकोष पर बेहिसाब बोझ पड़ रहा है।
बेचने पर फोकस
लोगों को रोजगार नहीं है। लाखों लोगों को मकान नहीं है। पहने को बराबर कपड़ा नहीं है। किसानों की दयनीय स्थिति देखी नहीं जाती है। महंगाई आसान को छू रही है। गरीबों का जीना मुश्किल हो गया है। ऐसे हालात तेलंगाना सरकार इस समय कर्ज लेने या जमीन (संपत्ति) बेचने पर फोकस किया है। यह सरकार कर्मचारियों को वेतन देने की स्थिति में नहीं है। इसके चलते सरकार अब कौन-सी जमीन और कौन-सी संपत्ति बेचने योग्य है इस पर ध्यान केंद्रित किया है। पिछली दो सालों में केसीआर सरकार ने पांच हजार करोड़ रुपये की जमीन और संपत्ति बेची है।
नीलामी को हरी झंडी
अब इस साल जमीन या संपत्ति बेचकर उससे भी तीन गुना अधिक आय जुटाने का फैसला लिया है। इसलिए हैदराबाद समेत तेलंगाना के सभी जिलों में सरकारी जमीनों के साथ हाउसिंग बोर्ड, राजीव स्वगृह कॉरपोरेशन लिमिटेड, डेक्कन इंफ्रास्ट्रक्चर लैंड होल्डिंग्स जमीन और संपत्ति की नीलामी को हरी झंडी दे दी है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में जमीन और संपत्ति की बिक्री से 15,500 करोड़ रुपये जुटाने का शुरू में लक्ष्य रखा था। मगर जिस एरिया में रियल इस्टेट के दाम बढ़े हैं, वहां से 17,000 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त करने का निर्ण लिया है।
कर्ज का बोझ
सरकार जहां से तुरंत जमीन की बिक्री से अधिक राजस्व मिलेगा उस पर अधिकारियों से प्रस्ताव मंगवा रही है। तेलंगाना सरकार पर पहले से ही कर्ज का बोझ बढ़ गया है। पिछले साल किये गये कर्ज के साथ गारंटी के नाम पर किया गया कर्ज 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इसके चलते केंद्र सरकार ने नये कर्ज के लिए नये नियम बनाये हैं। नये कर्ज में देरी के कारण मासिक खर्च और पुराने कर्जों पर ब्याज का बोझ राजकोष पर पड़ रहा है। इसके चलते सरकार ने कर्ज नहीं मिलने की स्थिति में संपत्ति और जमीन बेचने पर ध्यान केंद्रित किया है।
सरकारी भूमि की पहचान
रंगारेड्डी और मेडचल मलकाजगिरी जिलों में सरकारी जमीनें धड़ल्ले से बिक रहे हैं। यहां विभिन्न क्षेत्रों में 227 एकड़ जमीन बेचने की सरकार तैयारी कर रही है। पिछली बार कोकापेटा में अधिकतम 60 करोड़ रुपये तक की जमीन बेची गई। पहले चरण की नीलामी में कुल 133.16 एकड़ भूमि बिक्री के लिए रखे थे। इनमें से 49.92 एकड़ की बिक्री हुई है। उसके जरिए सरकार को 2 हजार करोड़ मिले हैं। यदि शेष भूमि बेच दी जाती है, तो सरकार को 4,000 करोड़ रुपये से 6,000 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। अब इसी भूमि को एचएमडी के जरिए नीलामी करने का निर्णय लिया है। खानामेट, पुप्पालगुडा, बुद्वेल और पेटबशीराबाद में अन्य क्षेत्रों में 143 एकड़ सरकारी भूमि की पहचान की गई है।
सरकार को उम्मीद
अधिकारियों ने सरकार को बताया है कि इसके जरिए 5,000 करोड़ रुपये आएंगे। कुल मिलाकर ग्रेटर हैदराबाद शहर के आसपास की भूमि बेचने पर 10,000 करोड़ रुपये से अधिक खजाने में जमा होने की सरकार को उम्मीद है। इसलिए इन्हें पहले बेचने की योजना बना रही है। तेलंगाना सरकार ने राजीव स्वगृह फ्लैट, खुले प्लॉट और खाली जमीनों की बिक्री में तेजी लाई है। इन्हें बेचकर कम से कम 5,325 करोड़ रुपये जुटाने का संकल्प लिया है। हैदराबाद के बंडलगुडा और पोचारम में राजीव स्वगृह फ्लैटों को बेचने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। कुल 2,971 फ्लैट बिक्री के लिए ओपन फॉर ऑल कोटे में आवेदन लिए जा रहे हैं।
अविवादित जमीन
संयुक्त आंध्र प्रदेश में राजीव स्वगृह निगम लिमिटेड की ओर से कुछ अपार्टमेंट बनाए गए थे। कुछ जगहों पर जमीनें ले आउट बना कर छोड़ दिये गये। राजीव स्वगृह के तहत हैदराबाद समेत राज्य के विभिन्न जिलों में 820 एकड़ अविवादित जमीन है। इसमें से निजामपेट, मल्लमपेट, अब्दुल्लापुरमेट और पटनचेरु क्षेत्र में छह सौ एकड़ से ज्यादा जमीन है। जिलों में जिलाधीशों के जरिए हाउसिंग बोर्ड और राजीव स्वगृह भूमि की नीलामी के जरिए 700 करोड़ रुपये से अधिक आय प्राप्त हुई हैं।
जमीन की नीलामी
अधिकारियों ने बताया कि नलगोंडा, महबूबनगर, कामारेड्डी, पेद्दापल्ली, आदिलाबाद, गदवाल और विकाराबाद में ओपन नीलामी से 205 करोड़ रुपये और अन्य जिलों में जमीन की बिक्री से 200 करोड़ रुपये आये हैं। एचएमडीए परिधि के तोर्रूर और बहादुरपल्ली में भूखंडों की बिक्री से 300 करोड़ आय हुई है। पहले नीलाम की गई भूमि के साथ बची हुई जमीन की नीलामी की जा रही है।
दो सालों में 730 करोड़ रुपये की जमीन बेची
पिछली दो सालों में सरकार ने TSIIC के नेतृत्व में 730 करोड़ रुपये की जमीन बेची है। इसके अलावा हैदराबाद में एचएमडीए के नेतृत्व में कोकापेट भूमि की नीलामी के माध्यम से 2,034 करोड़ रुपये खजाने में जमा हो गये। इसी तरह TSIIC और HMDA मिलकर संयुक्त रूप से बेची गई भूमि से अन्य 705 करोड़ रुपये आये हैं। हाल ही में उप्पल भगायत भूमि की बिक्री से 476 करोड़ रुपये एचएमडीए के खाते में जमा हो गये हैं। इनके अलावा हाउसिंग बोर्ड की भूमि, राजीव स्वगृह संपत्ति की बिक्री के साथ सरकार ने दो सालों में बेची गई कुल भूमि और संपत्ति की कीमत 5 हजार करोड़ पार हो गई है।
तेलंगाना सरकार बनने के बाद हाउसिंग बोर्ड डमी बन गई। संयुक्त आंध्र प्रदेश में कमजोर वर्गों के लिए आवासों का निर्माण इसी बोर्ड जरिए किया गया था। तेलंगाना सरकार ने इस बोर्ड के साथ कोई नई परियोजना शुरू नहीं की है। क्योंकि ऐसा करने से नुकसान के अलावा कोई लाभ नहीं है। हाल ही में गणना की गई थी कि बोर्ड के अंतर्गत विभिन्न जिलों के अंतर्गत वर्तमान में 386.2 एकड़ सरकारी भूमि है। अब सरकार इन्हें प्लॉट बनाकर बेचने के पुराने प्रस्तावों की फाइल विचार कर रही है। इसके अलावा डेक्कन इंफ्रास्ट्रक्चर एंड लैंड होल्डिंग्स (डीआईएल) से संबंधित 829.4 एकड़ जमीन बेचने की तैयारी कर रही है। ये सभी जमीन हैदराबाद परिधि में हैं।
मतदाताओं की अग्नि परीक्षा
एक साल में तेलंगाना में चुनाव होने वाले है। अनेक दल चुनाव प्रचार में जुट गई है। मतदाताओं की इस बार अग्नि परीक्षा है। तेलंगाना गठन नील्लू, निधुलु और नियमाकालु (पानी, निधि और नौकरियां) के लिए हुआ था। तेलंगाना आंदोलन में हर वर्ग के लोग शामिल थे। अनेक युवकों ने तेलंगाना के लिए बलिदान दिया। बलिदान दे चुके परिवार कहां है और उनकी हालत कैसी है? तेलंगाना के लोगों ने इन आठ सालों में क्या पाया और क्या खोया है? अगर नील्लू, निधुलु और नियमाकालु के लिए सरकार संपत्ति बेचती है तो लगता कि सरकार ठीक कर रही है। क्या ऐसा हो रहा है। सब जानते है कि ऐसा नहीं हो रहा है।
विपक्षी दलों का आरोप
विपक्षी दलों का आरोप लगा रहे है कि कमीशन के लिए सरकार जमीन और संपत्ति बेच रही है। इस पर अंकुश लगाने के लिए एक बार फिर लोगों को एकजुट होकर आंदोलन करना चाहिए। अगर सरकार को जमीन और संपत्ति बेचने के कानून या नियम है तो उसे भी बदले की जरूरत है। इसके लिए किये जाने वाले आंदोलन को हर तंत्र को सहयोग करने का समय आ गया है। ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए यह जमीन और संपत्ति काम आ सके।