हैदराबाद: किडनी की समस्या से जूझ रही अपनी बहन को किडनी दान करने के लिए आगे आये बड़े भाई को तेलंगाना हाई कोर्ट में राहत मिली है। हाई कोर्ट ने अपोलो अस्पताल के इस दावे को खारिज कर दिया कि बिना पत्नी की सहमति के किडनी दान नहीं कर सकते है।
हाई कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी के बीच तलाक का मामला चल रहा है। इसके लिए पत्नी की सहमति की आवश्यकता नहीं है। इसीलिए तुरंत गुर्दा प्रत्यारोपण सर्जरी किया जाये। न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी अमरनाथ गौड़ ने मंगलवार को इस आशय का अंतरिम आदेश जारी किया।
आपको बता दें कि शहर निवासी के वेंकट नरेन (39) और बी माधुरी भाई-बहन हैं। माधुरी की 2012 में शादी हो गई थी। अपोलो के डॉक्टरों ने किडनी की बीमारी से पीड़ित माधुरी की जांच की और निष्कर्ष निकाला कि किडनी ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत है।
मेडिकल जांच के बाद वेंकट नरेन को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए फिट पाया गया। हालांकि अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने वेंकट नरेन को बताया कि वह तब तक किडनी प्रत्यारोपण सर्जरी नहीं करेंगे, जब तक कि उनकी पत्नी की सहमति न हो। इसके चलते वेंकट नरेन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। होई कोर्ट के फैसले से भाई-बहन के चेहरे पर खुशी झलक उठी है।