सूत्रधार: नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयन्ती एवं गणतंत्र दिवस पर डाली रोशनी

हैदराबाद (सरिता सुराणाकी रिपोर्ट): सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, भारत (हैदराबाद) हाल ही में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जन्म जयन्ती एवं गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में 21वीं मासिक गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। गोष्ठी में देश भर के अनेक साहित्यकारों ने भाग लिया।

संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सहभागियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। श्रीमती ज्योति नारायण की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। हैदराबाद के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री प्रदीप देवीशरण भट्ट ने गोष्ठी की अध्यक्षता की।

सरिता सुराणा ने नेताजी के जीवन से सम्बन्धित संस्मरण सुनाए। चन्द्र प्रकाश दायमा, श्रीमती ज्योति नारायण, डॉ संगीता शर्मा और उपस्थित सभी सदस्यों ने नेताजी के कार्यों से सम्बन्धित अपने-अपने विचार व्यक्त किए।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रदीप भट्ट ने कहा कि नेताजी ने ही पिल्लै जी द्वारा कहे गए शब्द- जय हिन्द का परस्पर अभिवादन स्वरुप प्रयोग करना प्रारम्भ किया। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन के दौरान नरम दल और गरम दल के बारे में जानकारी दी और नेताजी के बारे में बहुत-सी बातें साझा की। यह परिचर्चा सत्र बहुत ही सार्थक रहा।

द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी में उपस्थित सभी साहित्यकारों ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस एवं गणतंत्र दिवस पर आधारित उत्कृष्ट रचनाओं का पाठ किया। इनमें रांची, झारखण्ड से ऐश्वर्यदा मिश्रा ने गणतंत्र दिवस पर अपने बचपन का संस्मरण सुनाकर सबके बचपन की यादें ताजा कर दी।

भागलपुर, बिहार से श्रीमती पिंकी मिश्रा ने बहुत सुन्दर देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया तो कटक, उड़ीसा से श्रीमती रिमझिम झा ने- मेरे देश की माटी चन्दन जैसा देशभक्ति गीत सुनाकर सभी से वाहवाही बटोरी। दर्शन सिंह जी ने-सारे जहां से अच्छा जैसी देशभक्ति से ओतप्रोत रचना प्रस्तुत की तो जयपुर, राजस्थान से चन्द्र प्रकाश दायमा ने समसामयिक विषयों पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल से गोष्ठी में सम्मिलित श्रीमती बबीता अग्रवाल कंवल और श्रीमती भारती बिहानी ने गणतंत्र दिवस पर अपनी विशेष रचनाएं प्रस्तुत की।

बैंगलुरु, कर्नाटक से श्रीमती अमृता श्रीवास्तव ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस पर अपनी रचना का पाठ करके सभी को भाव-विभोर कर दिया। कोलकाता से श्रीमती सुशीला चनानी ने अपने दोहों- धन्य-धन्य मां भारती का वाचन करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया तो श्रीमती हर्षलता दुधोड़िया ने गणतंत्र दिवस पर अपनी विशेष रचना का पाठ किया। निम्बाहेड़ा, राजस्थान से श्रीमती उर्मिला पुरोहित ने- वीरों से हिन्द का गुलिस्तां है गुलजार रचना प्रस्तुत की तो संगीता जी शर्मा ने- मान रहे, स्वाभिमान रहे रचना की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।

श्रीमती ज्योति नारायण ने- स्वर्णिम प्रभात होने को है रचना प्रस्तुत की तो सरिता सुराणा ने- आओ अमृत महोत्सव मनाएं/आजादी की गौरव गाथा गाएं, रचना का पाठ किया। अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए प्रदीप देवीशरण भट्ट ने वर्तमान समय के कटु यथार्थ को दर्शाती हुई अपनी रचना- दोस्तों की अब यही पहचान है/खंजरों के पीठ पर निशान हैं, रचना का पाठ करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

उन्होंने सभी सहभागियों की रचनाओं की प्रशंसा की और गोष्ठी को पूर्णतया सफल बताया। कोलकाता से सुश्री नीता अनामिका और हैदराबाद से श्रीमती भावना पुरोहित और संतोष रजा गाजीपुरी ने भी गोष्ठी में अपनी सहभागिता दर्ज की। श्रीमती ज्योति नारायण के धन्यवाद ज्ञापन के साथ गोष्ठी सम्पन्न हुई।

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