“युद्ध हो या दंगा, जीत का झंडा हमेशा औरत की योनि पर ही गड़ता है”
‘डायरी-अंश, समकाल में स्त्री : कुछ टिप्पणियां’ ‘तेलंगाना समाचार’ में 7 मई, 2024 को प्रकाशित प्रोफ़ेसर ऋषभदेव शर्मा की रचनाओं का संकलन नारियों की आज की स्तिथि पर उनकी गंभीर चिंता को दर्शाति है. समकाल में नारियों से सम्बंधित समय-समय पर घटती घटनाओं पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है.
मुख्य रूप से मणिपुर में दो स्त्रियों को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर जुलुस निकालना और फिर बलात्कार कर मार डालना अपने आप में बहुत ही शर्मनाक घटना है. यह घटना रोंगटे खड़ा कर देती है. मानवता के नाम पर यह एक धब्बा है. यह उस पुण्य धरती पर हो रहा है जहाँ कहा जाता है- ‘यत्र नारी पूज्यंते, रमंते तत्र देवता’ (जहाँ नारी की पूजा होती है वहां देवता का वास होता है.) प्रोफेसर ऋषभदेव की टिप्पणियाँ महिलाओं के बारे में एक बार फिर नये सिरे से हमें सोचने पर मजबूर करती हैं. हर क्षेत्र में महिलों के प्रति भेदभाव अभी भी जारी है. आदिकाल से लेकर आज तक उनका शोषण हो ही रहा है, उन पर घोर जुलम जारी ही है.
ऋषभदेव की इन टिप्पणियों को देखकर हंस संपादक स्व. राजेन्द्र यादव की अपने संपादकीय ‘मेरी तेरी उसकी बात’ में कहे गये उद्धरण- ‘ युद्ध हो या दंगा, जीत का झंडा हमेशा औरत की योनि पर ही गड़ता है’ की अनायस ही याद आ जाती है. डायरी की इन टिप्पणियों के लिए प्रोफेसर ऋषभदेव को बहुत-बहुत बधाई. इन टिप्पणियों के संकलन के लिए गुर्रमकोंडा नीरजा का प्रयास भी बहुत ही सराहनीय है. उन्हें भी बहुत बहुत बधाई.
लेखक एन आर श्याम
12-285 मंचेरियल 504208 (तेलंगाना )
8179117800