धर्म-कर्म पर विशेष लेख: मोक्षदा एकादशी और ये हैं उसकी मान्यताएं

हिंदू संस्कृति धर्म में हर माह की एकादशी का एक विशेष महत्व होता है। इसी संदर्भ में मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी ही मोक्षदा एकादशी कहलाती हैं। मोक्षदा एकादशी पर तुलसी के पौधे पर घी का दीपक जलाने और ओम वासुदेवाय नमः जाप करने एवं तुलसी के पौधे के आसपास 11 परिक्रमा करने पर पुण्य मिलता है। इस दिन तुलसी के पौधे पर जल नहीं चढ़ाया जाता, क्योंकि तुलसी माता निर्जला व्रत रखती है। इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं।

मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से जहां मन को शांति मिलती है और सभी बिगड़े हुए कार्य पूरे होते हैं। उसी प्रकार महाभारत के युद्ध में अर्जुन अपने गुरुओं रिश्तेदारों और और भीष्म पितामह जैसे लोगों को देखकर शस्त्र उठाना नहीं चाह रहे थे। वह नहीं चाहते थे कि मैं उन सब पर शस्त्र उठाऊं। ऐसे समय में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया और अर्जुन को समझाया कि युद्ध क्यों आवश्यक है। उस दिन मोक्षदा एकादशी थी! इसी दिन गीता जयंती मनाई जाती है।

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कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है,उसकी कथा को भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाया, चंपक नगर में वेखानस नाम का राजा रहता था उसने एक सपना देखा,उसके पूर्वज नरक में रहते हैं उनको मुक्ति दिलाने के लिए राजा ने चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मणों से सलाह मशवरा  किया। उन्होंने बताया कि पूर्व जन्म में उनसे पाप हुआ था और उन्हें नरक जाना पड़ा। उन्होंने राजा को कहां कि भूत भविष्य वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है। वहां जाकर राजा ने कहा- हे स्वामी मेरे राज्य में सब कुशल पूर्वक है लेकिन मेरे पूर्वज नरक में है,मैं बहुत ही असहाय महसूस कर रहा हूं उन्हें किस प्रकार वहां से निकालूं।

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उनकी बात पर श्रेष्ठ मुनि पर्वत ऋषि बोले कि आप मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष में एकादशी को व्रत कीजिए और विधि विधान से दान आदि पूर्ण कीजिए, जिससे आपके आपके पूर्वज नरक से मुक्ति पा जाएंगे। राजा ने एकादशी का व्रत का संकल्प लेकर उसका पुण्य पिता को देने के लिए कहा, जिससे पिता की मुक्ति हो सके। राजा ने पूरे परिवार के साथ एकादशी का व्रत किया और उसका पुण्य पिता को अर्पण किया, जिससे उनके पिता को मुक्ति मिल गई। आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी और इस प्रकार स्वर्ग जाते हुए पुत्र से बोले तेरा कल्याण हो।

इस प्रकार इस दिन भगवान विष्णु व कृष्ण की पूजा अर्चना, गीता का ज्ञान लेने व दान करने से पुण्य मिलता है पापों से मुक्ति मिलती है और शुभ फल प्राप्त होते हैं तथा लोगों का मार्ग प्रशस्त होता है। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पीपल के पेड़ की भी पूजा की जाती है। क्योंकि पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। इस दिन तुलसी का पौधा लगाना भी शुभ माना गया है।

के पी अग्रवाल, हैदराबाद

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