हैदराबाद/मुंबई : एनसीपी (Nationalist Congress Party) के अध्यक्ष शरद पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने मंगलवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि वह पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं। पवार ने अपनी आत्मकथा, ‘लोक माझे संगाई – राजनीतिक आत्मकथा’ के विमोचन के दौरान अपने इस्तीफे की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मैं एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं। इस मौके पर अपनी पत्नी प्रतिभा के साथ मौजूद 82 वर्षीय पवार ने कहा कि मुझे पता है कि कब रुकना है।
मैंने एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं की एक समिति गठित की है, जो अगले अध्यक्ष के बारे में फैसला करेगी। खबर है कि पार्टी की बागडोर कौन संभालेगा और इसे आगे कौन बढ़ाएगा। यह तय करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, अजीत पवार, जयंत पाटिल और पार्टी के कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है।
हालांकि राज्यसभा सदस्य शरद पवार का अभी ऊपरी सदन में तीन वर्ष का कार्यकाल बाकी है। ऐसे में उन्होंने आश्वासन दिया कि वह पिछले 55 वर्षों की तरह सामाजिक-राजनीतिक माध्यम से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहेंगे। शरद पवार की यह घोषणा वहां मौजूद लोगों के लिए झटके से कम नहीं है। कई लोग उस दौरान फूट-फूटकर रोने लगे, तो वहीं उनके समर्थन में कई पार्टी कार्यकर्ताओं ने पवार से अपना फैसला वापस लेने की अपील की।
पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने मांग की कि देश को उनकी जरूरत और इसलिए वह अपना फैसला वापस ले लें। इस्तीफा देने के बाद शरद पवार ने यह भी कहा कि मैंने कई साल तक पार्टी का नेतृत्व किया है।लेकिन अब अध्यक्ष पद पर नहीं रहना है। अब पार्टी के नेताओं को आगे तय करना है कि अब उनका नेतृत्व कौन करेगा।
गौरतलब है कि पवार देश के शीर्ष विपक्षी नेताओं में से एक हैं और महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी सरकार बनाने के लिए शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच एक साथ गठबंधन करने में उनकी बड़ी भूमिका थी। इधर पार्टी कार्यकर्ता ये बात सुनने के साथ ही शरद पवार के समर्थन में नारेबाजी करने लगे। पवार ने स्पष्ट किया कि वह राजनीति से पीछे नहीं हट रहे हैं।
चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे शरद पवार केंद सरकार में रक्षा और कृषि मंत्री की भी जिम्मदारी संभाल चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2019 के राज्य विधानसभा चुनाव के बाद एनसीपी, कांग्रेस और वैचारिक रूप से बिल्कुल विपरीत शिवसेना को एक साथ जोड़कर महाविकास आघाडी (एमवीए) सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वर्ष 1999 में कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) बनाई। सोनिया गांधी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का विरोध करने के कारण कांग्रेस ने 1999 में तीन असंतुष्ट नेताओं को निष्कासित कर दिया था, जिनमें से एक शरद पवार थे। (एजेंसियां)