आज भव्यता से हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। वस्तुतः इस प्रकार के आयोजन के बारे मे कई बातें कही जाती है। अधिकांश बातें पक्ष में होती है तो कुछ बातें विपक्ष में होती हैं। हिंदी का भविष्य सुनहरा है रूपहला है। हिंदी को लेकर कुछ मतभेद है। कुछ लोग इसे विश्वभाषा के पायदान मे तीसरे क्रमांक मे रखते हैँ। प्रसंगवश, डॉक्टर जयंती प्रसाद नौटियाल के शोध के अनुसार हिंदी विश्व में सबसे ज्यादा बोली समझी और प्रयोग में लाई जाने वाली भाषा है।
MIDHANI
अगर देखा जाए तो तकनीकी तथा व्यापार और व्यवसाय पर ही भाषा का भविष्य टिका हुआ है, क्योंकि किसी भी भाषा की प्रगति तभी हो सकती है, जब वह रोजी-रोटी की भाषा बने, समाज की भाषा बने; जनता की आवश्यकता की भाषा बने। वास्तव में हिंदी के वर्तमान दशा में प्रकाश डाला जाए, तो शिक्षा के क्षेत्र में, विज्ञान, मेडिकल इंजीनियरिंग, जैसे विषयों में अभी भी हिंदी के साहित्य की कमी पाई जाती हैं। इस कमी को दूर करने का प्रयास होना चाहिए।
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शासकीय कामकाज मे हिंदी अभी प्रेरणा, प्रोत्साहन के माध्यम से प्रगति के नीति नियम मे ही दबी पड़ी हैं, इसमें किंचित दंड का भी प्रावधान किया जाना चाहिए; निश्चित तौर पर प्रेरणा और प्रोत्साहन को को 80 फीसदी महत्ता दी जाए किंतु 20 फीसदी दंड का भी विधान हो। भय बिन होय न प्रीति, इस बात को झूठलाया नहीं जा सकता और साथ ही प्रेरणा और प्रोत्साहन के मूल्यों को भी नकारा नहीं जा सकता।
आज का युग और आने वाला युग कंप्यूटर का युग है। कृत्रिम बौद्धिकता का युग है तो हिंदी को कृत्रिम बौद्धिकता से जोड़े जाने के समुचित प्रयास किए जाने चाहिए जितनी ज्यादा हिंदी में कृत्रिम बौद्धिकता होगी और कृत्रिम बौद्धिकता मे हिंदी आएगी उतनी ही हिंदी की प्रगति सुनिश्चित होगी।
हिंदी की प्रगति आगामी पीढ़ी पर निर्भर है। वास्तव में आगामी पीढ़ी की जो मांग है उस मांग की पूर्ति अगर हिंदी करती है तो हिंदी का भविष्य सुनरहा है, और जिस तरीके से तकनीक और हिंदी चल रही है उसकी गति मे और वृद्धि की दरकार है, तथापि जो विकास हो रहे हैं जिस तरीके से भाषा वैज्ञानिक काम कर रहे हैं तो देखकर यह लगता है कि हिंदी की प्रगति जो है वह और बेहतर होगी तथा वैश्विक भाषा के रूप में भी हिंदी की प्रगति होनी सुनिश्चित है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनने के लिए हिंदी से पहले हमारे देश को अर्थात भारत को महाशक्ति बनना और अगर भारत को महाशक्ति बनना है तो उसकी शक्ति प्रदान करने वाली भाषा भी हिंदी ही होगी। व्यापार व्यवसाय मे हिंदी के लिए पूरा विश्व का बाजार आज भारत की ओर और हिंदी की ओर टकटकी लगाकर देख रहा है। इस बात को ध्यान मे रखते हुए हिंदी के विकास पर जोर दिया जाना चाहिए। हिंदी के विकास मे शिक्षण पाठ्यक्रम का योगदान भी होगा। अब प्रश्न यह उठता है कि इन सारी बातों की पूर्ति कैसे की जाए? इन सारी बातों को पूर्ण करने के लिए समेकित रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है। समाज, मीडिया, विज्ञान, शिक्षा, राजनीति और तकनीकी सभी को एक साथ प्रयास करना है।
सरकारी संस्थान के साथ साथ गैर-सरकारी संस्थान भी इस मुहीम मे जुड़ें। हिंदी अनुरागी, साहित्य प्रेमी हिंदी से जुड़े हुए कर्मियों को प्रोत्साहित करने के समुचित प्रयास किए जाएं। हिंदी के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं। व्यापार और व्यवसाय तथा ग्राहकों की भाषा हिंदी है, यह तय शुदा बात है, किंतु इसे पूर्ण रूप से स्वीकार करते हुए इसकी महत्ता को प्रतिपादित की जाए।
ऐसी बहुत सी प्राथमिक बातें हैं जिन पर ध्यान देते हुए हिंदी की प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है और हिंदी के भविष्य को स्वर्णिम बनाया जा सकता है।
वास्तव में हिंदी अपने समृद्ध और गौरवशाली इतिहास को लेकर बढ़ रही है और इसमें संभावनाएं अकूत हैं, इन सारी संभावनाओं को देखते हुए हिंदी की प्रगति और हिंदी की समृद्धि को कोई रोक नहीं सकता। इसीलिए हमने हिंदी का विज़न-2030 लक्ष्य रखा है। हिंदी दिवस की आप सबको हार्दिक बधाई।
– रजनीश कुमार यादव (94133 98863)
मुख्य प्रबंधक (राजभाषा)
भारतीय स्टेट बैंक
अमरावती स्थानीय प्रधान कार्यालय,
हैदराबाद