हिंदी दिवस पर विशेष: राजभाषा और संविधान संशोधन

आज देश हिंदी दिवस मना रहा है। संविधान ने देवनागरी लिपि यानी हिंदी को आधिकारिक राजभाषा का दर्जा दिया। हिंदी को एक सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए यह एक क्रांतिकारी कदम है। फिर भी आज देश में अंग्रेजी का वर्चस्व बढ़ गया है। भारत में कई भाषाएं बोलीं जाती है। इनमें हिंदी ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।

विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी एक है। इंटरनेट सर्च से लेकर विभिन्न सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर हिंदी का दबदबा है। अनुमान है कि 25.79 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी हैं। हिदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमाऊंनी, मगधी और मारवाड़ी भाषाएं शामिल हैं।

संविधान बनने की प्रक्रिया शुरू हुई तब भारत की भाषा पर लंबी बहस चल पड़ी थी। किसी भी देश की आधिकारिक भाषा वह हो सकती जो राष्ट्र को जोड़ती है। उस समय भारत में हिंदी बोली और पढ़ी-लिखी जाती थी। इसके चलते हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की मांग उठी। इस बात को ध्यान में रखते हुए 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। हिंदी को राजभाषा बनाने को लेकर संसद में 12 सितंबर से 14 सितंबर तक बहस चली थी।

इसके बाद यानी 26 जनवरी 1965 को हिंदी देश की आधिकारिक राजभाषा बन गई। मगर तमिलनाडु में हिंदी के विरोध में आंदोलन शुरू हुआ। कई छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी। दक्षिण भारत के लोगों को डर था कि हिंदी के आने से वे उत्तर भारतीयों की तुलना में विभिन्न क्षेत्रों में कमजोर हो जाएंगे। हिंसा देखकर तत्कालीन लाल बहादुर शास्त्री की कैबिनेट में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं इंदिरा गांधी के प्रयासों से समस्या का समाधान निकाला गया।

इसके चलते 1967 में राजभाषा अधिनियम में संशोधन किया गया। इस संशोधन में तय हुआ कि गैर-हिंदी भाषी राज्य जब तक चाहे, तब तक अंग्रेजी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में आवश्यक माना जाये। इसी संशोधन के चलते आज भी यह व्यवस्था बनी हुई है। अर्थात हिंदी कागजी तौर पर तो राजभाषा बनकर रह गई। अंग्रेजी भाषा फली-फूली और समृद्ध होती गई है।

धीरे-धीरे अंग्रेजी भाषा की पकड़ आधिकारिक तौर पर और मजबूत होती गई। 14 सितंबर 1949 को हिंदी को जब राजभाषा का दर्जा दिया गया और इससे संबंधित महत्वपूर्ण प्रावधान संविधान के भाग-17 में किये गये। इस ऐतिहासिक महत्व के कारण राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की ओर से 1953 से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ के रूप में जाता है।

अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी हिंदी भाषा को प्राथमिकता दी गई। बच्चों की पढ़ाई अपनी मातृभाषा में कराने के साथ ही इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा पाठ्यक्रम भी हिंदी भाषा में शुरू किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अधिकांश संवाद और ट्वीट भी हिंदी में कर रहे हैं। प्रधानमंत्री भी वैश्विक मंचों पर हिंदी में भाषण देते हैं। इस तरह हमारे देश की राजभाषा हिंदी विकास कर रही है।

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