चंद्रयान-3 की सफलता के बाद पूरे देशवासी गर्व की अनुभूति कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशी दौरा खत्म करके दिल्ली जाने के बदले सीधे वैज्ञानिकों से मिलने पहुंच गये। उन्होंने नेशनल स्पेस डे की भी घोषणा कर दी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे वैज्ञानिकों ने सचमुच अदभुत करके दिखाया है।
चांद के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदें लेकर गये चंद्रयान-3 चांद की दक्षिणी ध्रुव पर 23 अगस्त को सफल लैंडिंग हुआ। इस चंद्रयान 3 की सफलता के पीछे अनेक वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और भूमिका रही है।
पिछले महीने की 14 तारीख को चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद से बुधवार को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग तक वैज्ञानिक और इंजीनियर लगातार काम कर रहे हैं। प्रोजेक्ट को डिज़ाइन करने से लेकर जीत के तटों को चूमने तक, उन्होंने अपनी टीमों को लगातार लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। चंद्रयान-3 की सफलता की पृष्ठभूमि में उस उपलब्धि के पीछे के वैज्ञानिकों पर यह विशेष आलेख
सोमनाथ भारती, इसरो अध्यक्ष
चंद्रयान-3 की सफलता में इसरो चेयरमैन श्रीधर सोमनाथ भारती ने अहम भूमिका निभाई। उनका जन्म 1963 में केरल के तुरुवुर में श्रीधर फणिक्कर और तंकम्मा दंपत्ति के घर हुआ। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री पूरी की। उन्होंने 1985 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) परियोजना पर काम किया।
भारती ने 2010 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के एसोसिएट निदेशक के रूप में कार्य करते हुए, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-3 के परियोजना निदेशक के रूप में काम किया। जून 2015 से जनवरी 2018 तक उन्होंने तिरुवनंतपुरम के वलियामला में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर के निदेशक के रूप में कार्य किया। इसके बाद विक्रम साराभाई ने इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवन से अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक और जनवरी 2022 में इसरो चेयरमैन के रूप में पदभार संभाला। चंद्रयान-3 के साथ-साथ वे शीघ्र ही शुरू करने वाले गगनयान मिशन और सोलर मिशन आदित्य-एल1 के काम की भी निगरानी कर रहे हैं।
पी वीरमुत्तुवेल, चंद्रयान-3 परियोजना निदेशक
चंद्रयान-3 में नए रोवर और लैंडर के निर्माण में वीरमुत्तुवेल का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने चंद्रयान-2 में भी अहम भूमिका निभाई थी। वीरमुत्तुवेल का जन्म 22 अक्टूबर 1976 को तमिलनाडु के विल्लुपुरम में हुआ। उनके पिता पलनीवेल दक्षिणी रेलवे में एक तकनीशियन के रूप में सेवाएं दी थी। उनकी स्कूली शिक्षा और डिप्लोमा विल्लुपुरम में हुआ। इंजीनियरिंग कॉलेज (ताम्बरम) में एयरोस्पेस का अध्ययन किया। उन्होंने 2019 में चंद्रयान-3 परियोजना निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला। इससे पहले, उन्होंने स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम डिवीजन के उप निदेशक के रूप में कार्य किया।
एम. शंकरन, यूआरएससी निदेशक
एम. शंकरन को इसरो का पावरहाउस माना जाता है। उन्होंने 2021 में यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला। उनके पास उपग्रहों के लिए बिजली प्रणाली विकसित करने का तीन दशकों से अधिक का अनुभव है। भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग और ग्रह अन्वेषण संबंधित उपग्रहों के निर्माण की जिम्मेदारी यूआरएएससी पर है। भौतिकी स्नातक शंकरन ने चंद्रमा की सतह जैसी संरचना पृथ्वी पर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्नीकृष्णन, वीएसएससीसी निदेशक
उन्नीकृष्णन वर्तमान में केरल स्थित तुम्बा में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। चंद्रयान-3 को आकाश में ले गये एलएमवी-3 (पहले जीएसएलवी मार्क-3) को उनके निर्देशन में वीएसएससीसी में बनाया गया। चंद्रयान-2 मिशन में भी रहने वाले उन्नीकृष्णन वीएसएससीसी के अपनी टीम के साथ अहम भूमिका निभाई।
बीएन रामकृष्ण, इस्ट्रैक निदेशक
बीएन रामकृष्ण विक्रम लैंडर को कमांड भेजने वाले बेंगलुरु स्थित इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क सेंटर के निदेशक हैं। भारत का सबसे बड़ा 32 मीटर का डिश एंटीना इसी केंद्र में स्थित है। वैज्ञानिकों द्वारा विक्रम की लैंडिंग प्रक्रिया में ’20 minutes of terror’ (आतंक के 20 मिनट) बताई गई प्रक्रिया की निगरानी भी इसी केंद्र से की गई थी।
के. कल्पना, चंद्रयान-3 उप परियोजना निदेशक
चंद्रयान-3 परियोजना में उपनिदेशक के रूप में सेवा देने वाली के कल्पना चंद्रयान-2 में भी शामिल थीं। चेन्नई में बी.टेक पूरा करने के बाद, वह इसरो में शामिल हो गईं और बैंगलोर में सैटेलाइट सेंटर में काम किया। चंद्रयान के उपनिदेशक के रूप में वह लैंडर और रोवर के डिजाइन में शामिल है।
श्रीकांत, चंद्रयान-3 मिशन संचालन निदेशक
चंद्रयान-3 की सफलता में मिशन संचालन निदेशक श्रीकांत नेअहम भूमिका निभाई। उनके पास इसरो के साथ दो दशकों से अधिक का अनुभव है और उन्होंने अतीत में कई मिशनों में भाग लिया है। उन्होंने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन में भी हिस्सा लिया था।