हैदराबाद (डॉ रमा द्विवेदी और दीपा कृष्णदीप की रिपोर्ट) : युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य की चतुर्थ ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई
डॉ रमा द्विवेदी (अध्यक्ष, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा) एवं महासचिव दीपा कृष्णदीप ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि वरिष्ठ साहित्यकार हरिओम श्रीवास्तव जी (भोपाल) ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं बतौर मुख्य वक्ता डॉ बिप्लब भद्रा (भोपाल) मंचासीन हुए।
संस्था का परिचय
कार्यक्रम का शुभारंभ युवा शोध छात्रा वसुंधरा त्रिवेदी (इंदौर) की सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। शाखा अध्यक्ष डॉ रमा द्विवेदी ने अतिथियों का स्वागत किया और उनका परिचय दिया। तत्पश्चात संस्था का परिचय देते हुए कहा- हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ विविध क्षेत्रों की पारंपरिक ललित कलाओं को भी यह संस्था प्रोत्साहित करती है। युवा प्रतिभा को प्रोत्साहित करके उनका मार्गदर्शन एवं उन्हें सम्मानित करती है। वरिष्ठ साहित्यकारों के उत्कृष्ठ साहित्यिक योगदान के लिए समय-समय पर पुरस्कृत करती है। देश भर में इसकी शाखाएं स्थापित हैं। संस्था अपने व्यापक उद्देश्यों की ओर सतत प्रत्यनशील है।
‘स्वस्थ्य मन का महत्व’
प्रथम सत्र ‘अनमोल एहसास’ और ‘मन के रंग मित्रों के संग’ दो शीर्षक के अंतर्गत संपन्न हुआ। मुख्य वक्ता डॉ बिप्लब भद्रा ने ‘स्वस्थ्य मन का महत्व’ विषय पर अपने सारगर्भित वक्तव्य में कहा- “स्वस्थ्य तन में ही स्वस्थ्य मन रहता है। एलोपैथिक दवाइयों के साइड इफेक्ट पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि ये महँगी मँहगी दवाइयां हमें तुरंत लाभ अवश्य देती हैं, किन्तु उनके साइड इफेक्ट हमारे शरीर को बहुत क्षति पहुंचाते हैं। इसलिए हमें आयुर्वेदिक दवाइयों की ओर मुड़ना चाहिए। शोध सर्वेक्षण के अनुसार उन्होंने बताया कि नेचुरोपैथी एवं आयुर्वेदिक दवाईयों से अनेक बीमारियों का इलाज अब किया जा सकता है।”
‘मन के रंग मित्रों के संग’
‘मन के रंग मित्रों के संग’ के अंतर्गत युवा रचनाकार एवं संगोष्ठी संयोजिका शिल्पी भटनागर ने अपने कॉलेज जीवन का एक प्रेरक प्रसंग `मित्रता’ पर सुनाया जो सभी लोगों को बहुत पसंद आया। मित्रता सभी रिश्तों में सबसे सुन्दर और सर्वोत्तम रिश्ता होता है। हर व्यक्ति के लिए मित्रता महत्वपूर्ण और प्रासंगिक होती है।
काव्यगोष्ठी
तत्पश्चात दुसरे सत्र में काव्यगोष्ठी आयोजित की गई। उपस्थित रचनाकारों ने प्रेम, अध्यात्मिक, श्रृंगार, हास्य व्यंग्य एवं विविध विषयों पर काव्यपाठ करके समां बाँध दिया। विनीता शर्मा, किरण सिंह, विनोद गिरि अनोखा, भावना मयूर पुरोहित, संपत देवी मुरारका, संतोष रज़ा गाजीपुरी, शिल्पी भटनागर, दीपा कृष्णदीप, रमाकांत श्रीवास, डॉ रमा द्विवेदी, डॉ ममता श्रीवास्तव (दिल्ली), प्रदीप शर्मा (भुवनेश्वर), दर्शन सिंह, सूरजकुमारी गोस्वामी, वसुंधरा त्रिवेदी (इंदौर), प्रताप सिंग (भोपाल),मीना खोंड ने काव्यपाठ किया। प्रो उषा सिन्हा (लखनऊ) विभा भारती, अमरचंद जैन (फरीदाबाद), प्रीति त्रिवेदी (इंदौर), अतुलित ठाकर, आलोक बनर्जी ,बबिता जागरा, प्रीति रेड्डी, प्रीति गजरा, के राजन्ना (तेलंगाना समाचार), सुषमा देवी और 42 अन्य श्रोताओं ने उपस्थिति दर्ज की।
तन स्वस्थ्य तो मन स्वस्थ्य
श्री हरिओम श्रीवास्तव ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा- “यह संगोष्ठी अविस्मरणीय रहेगी। डॉ भद्रा के वक्तव्य को रेखांकित करते हुए कहा कि यह शत प्रतिशत सत्य है कि तन स्वस्थ्य तो मन स्वस्थ्य रहता है। निरोगी काया ईश्वर का दिया वरदान है पर इसके लिए हमें नियमित व्यायाम और योग करना चाहिए। प्रकृति के नजदीक रहना चाहिए और संतुलित आहार लेना चाहिए। स्वस्थ्य रहना कोरोना काल की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
संचालन और आभार प्रदर्शन
कार्यक्रम को सराहनीय बताते हुए सभी रचनाकारों की रचनाओं की प्रशंसा की। तत्पश्चात अध्यक्षीय काव्यपाठ में उन्होंने देश भक्ति पर गीत, कह मुकरी एवं कई भावपूर्ण कुण्डलियाँ सुनाई। उनकी रचनाएँ सुनकर सभी आनंद विभोर हो गए। पुलकित ठाकर ने रिकॉर्डिंग कर्ता के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन महासचिव दीपा कृष्णदीप ने किया और काव्यगोष्ठी सत्र का संचालन संयुक्त सचिव सुनीता लुल्ला जी ने किया तथा युवा पत्रकार रमाकांत श्रीवास ने आभार प्रदर्शन किया।