Deepawali-2024: गोवर्धन पूजा की मान्यता और परंपरा

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है। इसका काफी महत्व है। गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण की लीला महत्ता को समझाती है। इस त्यौहार की अपनी मान्यता और लोक कथा हैं। गोवर्धन पूजा में गायों की पूजा की जाती है। क्योंकि गाय में सभी देवताओं का निवास माना जाता है। गंगा की तरह गाय को उसी प्रकार पवित्र मानते हैं। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है।

देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गाय के दूध से स्वास्थ्य ठीक रहता है। बछड़े जब बड़े हो जाते हैं तो बैल बन जाते हैं। और उनसे कई जगह पर जहां ट्रैक्टर वगैरा की उपलब्धता नहीं है, वहां खेत जोतने के काम आते हैं। इन बलों से ही खेतों में अनाज उगाने के काम में लिया जाता है। सम्पूर्ण मानव जाति के लिए गाय बहुत लाभदायक है। इसीलिए गाय को माता भी कहा जाता है।

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गोवर्धन पूजा द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के अवतार लेने के बाद शुरु हुई। जब श्रीकृष्ण ने इंद्र देवता की पूजा करते हुए सभी ब्रज वासियों को देखा, तो कृष्ण ने मना किया कि इंद्र की पूजा न की जाए। सब लोग मान गए और इंद्र देवता की पूजा नहीं की। इंद्र देवता क्रोधित होकर भयंकर प्रचंड रूप धारम किये और मूसलाधार बारिश कर दी। तब श्रीकृष्ण ने सबको गोवर्धन पर्वत और गिरिराज के नीचे शरण में आने को सुझाव दिया।

श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को कनिष्ठा उंगली में उठा लिया और सभी ब्रज वासियों की रक्षा की। वह दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रथमा तिथि थी। इस दिन गोबर से गोवर्धन जी का कल्पना चित्र बनाकर पूजा की जाती है। ग्वाल बाल पेड़ पौधे की चित्र आकृति भी बनाई जाती है। भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति पास में रखकर उसकी पूजा अर्चना की जाती है। मंदिरों में अन्नकूट का प्रसाद वितरित होता है।

इंद्र देव को पता चला कि भगवान श्रीकृष्ण तो विष्णु के अवतार हैं। उनका अहंकार टूट गया और उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। गोवर्धन की पूजा पर धूप दीप जल फल निवेश चढ़ाए जाते हैं। गोवर्धन पूजन की व्रत कथा सुनी जाती है और प्रसाद वितरित किया जाता है। गोवर्धन की सात परिक्रमा लगाई जाती हैं। जयकारा लगाया जाता है।

गाय को हरा चारा आदि खिलाने से लाभ प्राप्त होता है और धन-धान्य में वृद्धि होती है। इस दिन मथुरा वृंदावन गोकुल बरसाना नंदगांव की छटा अनुपम निराली होती है, जहां पर कृष्ण भगवान ने बालपन गुजारा था। अपनी लीलाओं से गोकुल वासियों का मन मोह लिया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार गोवर्धन पूजा करने से कई प्रकार के दोषों से छुटकारा मिलता है और सुख समृद्धि धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव:।।
लक्ष्मीर्या लोक पालानाम् धेनुरूपेण संस्थिता।
घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु।।

के पी अग्रवाल , हैदराबाद

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