केंद्रीय हिंदी संस्थान: विश्व रंग-अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन, यह है लक्ष्य

हैदराबाद: विश्व हिंदी सचिवालय, केंद्रीय हिंदी संस्थान और अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के सहयोग से वैश्विक हिंदी परिवार के तत्वावधान में ‘विश्वरंग-अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन’ पर वैश्विक विद्वानों ने अपने सारगर्भित अनुभव प्रकट किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार अनिल जोशी ने की। मुख्य अतिथि का दायित्व रबिन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल के कुलाधिपति डॉ संतोष चौबे सुशोभित किए। इसमें सभी महाद्वीपों के विद्वानों द्वारा उत्साहवर्धक ढंग से भाग लिया गया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी ने कहा कि पूर्व अनुभवों और भारोपीय हिंदी महोत्सव लंदन के प्रस्तावों के बाद एक कार्यसूची के तहत सामूहिक सत प्रयत्न किया जाए ताकि भारतीय भाषा संस्कृति को वैश्विक बढ़ावा मिले। उन्होंने इसकी शानदार सफलता की कामना की। विश्व रंग के निदेशक एवं कुलाधिपति डॉ संतोष चौबे ने बताया कि 21 से 24 दिसंबर 2023 तक भोपाल में विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस पांचवें सम्मेलन में भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति पर वैश्विक विद्वानों के अनेक सत्र होंगे जिसमें 55 देशों के भाषा साहित्य की स्थिति उजागर होगी।

प्रगामी प्रगति हेतु विश्वविद्यालय में आधुनिक तकनीकीयुक्त आठ विभिन्न नए विभाग स्थापित किए गए हैं। गत सम्मेलन में एक करोड़ से अधिक वैश्विक जन मानस तक विश्व रंग पहुंचा है। प्रति वर्ष 100 वैश्विक पुस्तकों का प्रकाशन किया जाएगा और विभिन्न देशों में 100 केंद्र खोलने का लक्ष्य है। इससे वैश्विक आजादी, समानता और भाईचारे को बढ़ावा मिलेगा। इस अवसर पर हर वर्ग के वैश्विक विद्वानों और विशेषज्ञों को सम्मानित किया जाएगा।

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ब्रिटेन के बर्मिंघम से डॉ वंदना मुकेश ने विश्व रंग के अपने पूर्व अनुभवों के आधार पर महाकुंभ की संज्ञा दी। ब्रिटेन के साहित्यकारों का समन्वय करते हुए उन्होंने सम्मेलनों को प्रवासियों का मैत्री भाव बढ़ाने का अवसर बताया। नीदरलैंड के वरिष्ठ लेखक डॉ रामा तक्षक का अनुभवजन्य कथन था कि विश्व रंग के माध्यम से गैर सरकारी स्तर भी भारतीय भाषा-संस्कृति सहज ढंग से पहुँच रही है। उन्होंने 1920 में कवीन्द्र रबीन्द्र नाथ टैगोर की नीदरलैंड यात्रा के अनुभव साझा किए। दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो रेखा सेठी ने कहा वैश्विक सीमाओं में रहते हुए संभावनाओं की तलाश हो और नई पहचान बने।हिन्दी का वैश्विक पाठ्यक्रम जिज्ञासुओं तक पहुंचे।

अमेरिका से आचार्य सुरेन्द्र गंभीर ने कहा कि अंग्रेज़ी प्रभुत्व की खड़ी दीवार को हमें झुठलाते हुए भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना होगा। इसके लिए विश्व रंग जैसे सामाजिक अभियान निहायत जरूरी हैं। भाषा बचेगी तो साहित्य भी बचेगा। हम सब मिलकर स्थिति बदल सकते हैं। प्रख्यात वयोवृद्ध भाषा विज्ञानी प्रो वी आर जगन्नाथन ने कहा कि भाषाई संरक्षण संवर्धन हेतु अविलंब भाषा आयोग और विश्व हिन्दी नीति बनाना श्रेयस्कर होगा। कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत व्यक्तव्य से रेलवे बोर्ड के राजभाषा निदेशक डॉ बरुण कुमार द्वारा की गई। भोपाल के रबिन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के प्रवासी साहित्य और साहित्यिक शोध केंद्र के निदेशक डॉ जवाहर कर्नावट द्वारा विषय प्रवर्तन के साथ शालीन ढंग से बखूबी संचालन किया गया।

सिंगापुर नेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो संध्या सिंह द्वारा समूचे कार्यक्रम का बखूबी संयोजन हुआ। कार्यक्रम में जापान से पद्मश्री प्रो तोमियो मिजोकामी, अमेरिका से अनूप भार्गव, कनाडा से डॉ शैलेजा सक्सेना, यू के की साहित्यकार दिव्या माथुर एवं डॉ पदमेश गुप्त, प्रो अरुणा अजितसरिया, कवयित्री जय वर्मा, कजाकिस्तान से प्रो उलफत मुहियोबा, थाइलैंड से प्रो शिखा रस्तोगी तथा भारत से डॉ नारायण कुमार, प्रो राजेश कुमार डॉ विजय द्वय, डॉ गंगाधर वानोडे, विनय शील चतुर्वेदी, जितेंद्र चौधरी आदि द्वारा किया गया। तकनीकी सहयोग का दायित्व डॉ मोहन बहुगुणा, डॉ सुरेश मिश्र उरतृप्त तथा कृष्ण कुमार द्वारा बखूबी संभाला गया। शोधार्थियों का समन्वय दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो विवेक शर्मा ने किया।

समूचा कार्यक्रम वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी के कुशल एवं सुयोग्य समन्वयन में संचालित हुआ। अंत में कर्नाटक के बेलगाम से डॉ जयशंकर यादव द्वारा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ को समाहित करते हुए आत्मीय भाव से माननीय अध्यक्ष, मुख्य अतिथि, विशिष्ट वक्ताओं, संचालकों, संयोजकों, प्राध्यापकों, सहयोगियों, शोधार्थियों एवं देश विदेश से जुड़े सुधी श्रोताओं तथा कार्यक्रम टीम सदस्यों आदि के नामोल्लेख सहित कृतज्ञता प्रकट की गई। समूचा कार्यक्रम व्यापक दृष्टिकोण के साथ सुखद आत्मीय अनुभूति और वैश्विक स्तर पर पुनः प्रतिबद्ध और संकल्पित होने सहित सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम वैश्विक हिंदी परिवार शीर्षक से यू ट्यूब पर उपलब्ध है। रिपोर्ट लेखन का कार्य डॉ जयशंकर यादव ने संपन्न किया ।

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