कादम्बिनी क्लब: अमृत महोत्सव एवं अभिनंदन समारोह में बधाइयों को लगा तांता, गदगद हुई डॉ अहिल्या मिश्र

हैदराबाद: कादम्बिनी क्लब हैदराबाद, ऑथर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया (हैदराबाद चैप्टर) एवं साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति (हैदराबाद) के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को डॉ अहिल्या मिश्र के ७५ वें जन्मदिवस के उपलक्ष्य  में अमृत महोत्सव व अभिनंदन समारोह का आयोजन क़ीमती सभागार रामकोट में किया गया। प्रेस विज्ञप्ति में कार्यक्रम संयोजक मीना मूथा एवं डॉ रमा द्विवेदी ने आगे बताया कि अवसर पर दो सत्रों में विभिन्न पुस्तकों का लोकार्पण, संगीत व कवि गोष्ठी के आयोजन के साथ-साथ डॉक्टर अहिल्या मिश्र को विभिन्न संस्थाओं द्वारा बधाई दी गई।

प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉक्टर शिव शंकर अवस्थी (महासचिव ए जी आई, नई दिल्ली) ने की। अतिथि के रूप में प्रो एम रामचन्द्रम,  डॉ गंगाधर वानोडे, अमृत कुमार जैन एवं पुस्तक लोकार्पण कर्ता के रूप में प्रो ऋषभदेव शर्मा एवं डॉक्टर अहिल्या मिश्र मंचासीन थे। सभी अतिथियों ने माँ शारदे की छवि के सम्मुख दीप प्रज्वलित किया। शुभ्रा महंतो द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई। उपस्थित क्लब सदस्य एवं महानुभावों के कर कमलों से मंचासीन अतिथियों को शॉल और माला से सम्मान किया गया। सत्र में डॉ अहिल्या मिश्र ने शब्द कुसुमों से सभागार में उपस्थित विशाल जन समुदाय का स्वागत करते हुए कहा कि आज इस विशिष्ट अमृत महोत्सव में आप सभी पधारे, आप सबका स्नेह मेरे लिये अविस्मरणीय है। इसी तरह यह कारवाँ आगे बढ़ता रहे यही आशा है।

तत्पश्चात “वट वृक्ष की छाँव” अभिनंदन ग्रंथ, “तेलंगाना प्रदेश एवं हिंदी की स्थिति” व “पुष्पक साहित्यिकी” संयुक्तांक  22-23, अप्रैल-सितंबर त्रैमासिक पत्रिका का लोकार्पण प्रो शर्मा व मंचासीन अतिथियों के कर कमलों से हुआ। “वटवृक्ष की छाँव” के  संदर्भ में संबोधन देते हुए प्रो शर्मा ने कहा कि प्रवीण प्रणव व डॉ आशा मिश्रा मुक्ता संपादकीय युगल को बहुत बधाई। 566 पन्नों के इस ग्रंथ में विभिन्न संदेश, आलेख, साक्षात्कार आदि संकलित हैं। इसे 6 खंडों में बांटा गया है। स्वास्थ्य मंत्री के शुभकामना संदेश के साथ-साथ इस ग्रंथ के साहित्यिक, सामाजिक, पारिवारिक विभिन्न पक्षों पर दृष्टिपात के साथ चर्चा की और कहा कि डॉ मिश्र रिश्ते ज़ोडकर सभी को अपना बना लेतीं हैं जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह पुस्तक है। इस पुस्तक के प्रकाशक गीता प्रकाशन को भी बधाई।

डॉक्टर सुषमा देवी ने डॉ अहिल्या मिश्र की कृति  “तेलंगाना प्रदेश एवं हिंदी की स्थिति” का परिचय देते हुए कहा कि इस कृति में तेलंगाना के किशोर रूप का विस्तृत क्रमबद्ध वर्णन किया गया है। “पुष्पक साहित्यिकी पर विचार रखते हुए डॉक्टर सुरभि दत्त ने कहा कि यह त्रैमासिक पत्रिका विभिन्न साहित्यिक विधाओं का गुलदस्ता है। अमृत कुमार जैन, प्रो एम रामचन्द्रम, डॉ गंगाधर वानोडे ने आदरणीय डॉ अहिल्या मिश्र के दीर्घायु होने की कामना की।

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डॉ अवस्थी ने कहा कि दक्षिण भारत में उन्होंने जो कार्य किया है वह सराहनीय है। उनके निमंत्रण को मैं आदेश मानता हूँ। सत्र के अंत में डॉ मिश्र ने शांति अग्रवाल द्वारा भेंट किए गए केक काटा तत्पश्चात विभिन्न मंडलों के अंतर्गत महिला नवजीवन मंडल की कार्यकारणी, नवजीवन बालिका विद्यालय अध्यापक, जी के काबरा के अध्यापक व प्राचार्या द्वय, ऑफ़िस स्टाफ, वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब, भाग्यनगर कांवर सेवा संघ, सहित्य सेवा समिति, आदि ने शॉल माला गुलदस्ता आदि से डॉ मिश्र का सम्मान किया। सत्र में शुभ्रा मोहंतों द्वारा निर्देशित संगीत सी डी का लोकार्पण भी हुआ तथा संगीत साधना की ओर से सुमधुर गीतों की प्रस्तुति दी गयी। सत्र का संचालन शिल्पी भटनागर ने किया।

भोजनोपरान्त दूसरा सत्र प्रारंभ हुआ। जिसमें डॉ उषा रानी राव (बेंगलुरु) मुख्य अतिथि, प्रो शुभदा वांजपे (लोकार्पण कर्ता)  डॉ मोहन गुप्ता, चम्पालाल वैद्य, प्रो ऋषभदेव शर्मा, रमेशचंद्र शर्मा (बिहार) मंचासीन हुए। “साँझ अभी शेष है” है पुस्तक के संपादक डॉ उषा रानी राव ने पुस्तक का परिचय दिया और कहा कि डॉ मिश्र उत्तर भारत की होकर दक्षिण भारत में अपने जीवन को खपाते हुए हिंदी साहित्य के लिए जो प्रयास कर रही हैं उन्हें शब्दों  में बाँधना कठिन है। वे इसी तरह आगे बढ़ती रहें और समाज, शिक्षा व साहित्य के लिए अपनी सेवाएँ देती रहें यही कामना है।

सुपर्णा मुखर्जी ने “मुक्ता की परख” पुस्तक का परिचय देते हुए कहा कि यह अवधेश कुमार सिन्हा और प्रवीण प्रणव का साँझा प्रयास है। इन्होंने इसमें डॉ मिश्र के विभिन्न कृतियों और आलेखों पर समीक्षाएँ लिखी हैं जिसका यह संकलन 124  पृष्ठों में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। डॉ राशि सिन्हा ने डॉ आशा मिश्रा द्वारा संपादित पुस्तक “वैचारिक समालोचन” का सुंदर परिचय प्रस्तुत किया। “मैं मंज़िल का पथिक अकेला” का परिचय देते हुए डॉक्टर संगीता शर्मा ने कहा कि इसका संपादन प्रवीण प्रणव ने किया है। स्वर्गीय सुरेश जैन की रचनाओं को संकलित कर इस कृति के रूप में क्लब की ओर से उन्हें श्रद्धांजली दी गई है। लगभग 80 रचनाएँ इसमें शामिल हैं।

अवसर पर उपरोक्त सभी पुस्तकों का लोकार्पण करतल ध्वनि के साथ प्रो शुभदा वांजपे  के कर कमलों से हुआ। प्रो वांजपे ने डॉ मिश्र  को उनके जन्मदिन की बधाई दी और कहा कि आज का दिन विशेष है जिसमें साहित्य और संगीत का सुंदर मिलाप नज़र आ रहा है। सभी पुस्तकें निश्चित ही पठनीय हैं। डॉ बी बालाजी, अंकिता तिवारी, ऋचा चौधरी, और शुभ्रा मोहंतो ने नए और पुराने गीतों की प्रस्तुति दी। सत्र का संचालन मोहिनी गुप्ता ने किया। डॉ गुप्ता ने भी बधाई दी। रवि वैद्य के संचालन में कविगोष्ठी सत्र  सम्पन्न हुआ। भावना पुरोहित, सीताराम माने, नीलम ठाकुर, शिव कुमार तिवारी,  विनोद गिरि अनोखा, सुनीता लुल्ला, सरिता उमा सोनी, पुरुषोत्तम कड़ेल, डॉ राशि सिंहा, उषा शर्मा सुहास भटनागर, शोभा देशपाण्डे, पुष्पा वर्मा, स्वाति गुप्ता, रूपम सिंह, अंशु  सक्सेना, ईंदू सिंह आदि ने क़ाव्य पाठ किया।

प्रो शर्मा ने अध्यक्षीय काव्य पाठ किया। विनीता शर्मा, प्रो गोपाल शर्मा,  रत्नकला मिश्रा, ललित मुथा, मयूर पुरोहित, प्रो. प्रसाद, कर्ण सिंह  ऊँटवाल, सुख मोहन सरोज अग्रवाल, हर्ष कुमार मुनोत, जसमत पटेल, रंजना, वीणा सिंघवी, वीणा लोया, तारा कीमती, डॉ आशा खीवसरा, सुमन मलिक, श्रद्धा गोलेच्छा, अलका चौधरी, शीला काबरा, शैला रानी मोला, श्री पूनम जोधपुरी, मधू भटनागर, उमेश चन्द्र श्रीवास्तव, दीपा कृष्णदीप, सुनील गौड, मीणा खोंड, नितिन टंडन आदि लगभग 180 सदस्यों की उपस्थिति रही। देवा  प्रसाद मायला और डॉ आशा मिश्रा मुक्ता ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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