केंद्रीय हिंदी संस्थान : इन अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित 477वें नवीकरण पाठ्यक्रम का उद्घाटन समारोह

हैदराबाद: केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र पर 477वें नवीकरण कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र 15 अक्टूबर को आयोजित की गई। महाराष्ट्र राज्य के बीड जिले के माध्यमिक हिंदी अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए आयोजित की गई। यह कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. वी. रा. जगन्नाथन, विशिष्ट वक्ता प्रो. ऋषभ देव शर्मा, अतिथि अध्यापक मैसूर केंद्र के एसोसिएट प्रो. डॉ. रणजीत भारती, डॉ. संध्या दास एवं डॉ. एस. राधा उपस्थित थे। कार्यक्रम के संयोजक केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे एवं पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. फत्ताराम नायक थे।

सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। उसके बाद संस्थान के गुल गीत का आयोजन हुआ और उसके बाद स्वागत गीत प्रस्तुत करके कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत की गई। इस कार्यक्रम में कुल 25 पुरुष प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया। उसके बाद स्वागत गीत द्वारा कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की गई।

विशिष्ट वक्ता प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने अपने संबोधन ने कहा की भाषा हमारे व्यक्तित्व का परिचायक होती है और हमें अपने भाषा के प्रति हीन भावना नहीं रखनी चाहिए। प्रख्यात भाषाविद् प्रो. वी. रा. जगन्नाथन ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सर्वप्रथम नवीकरण कार्यक्रम में आए हुए शिक्षकों को नवीकरण का अर्थ एवं इसकी महत्ता की बात की। उन्होंने शिक्षण में प्रविधियां के संदर्भ में हो रहे प्रौद्योगिकी परिवर्तनों की चर्चा की। इसी संदर्भ में उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की स्थिति की चर्चा की करते हुए कहा कि जब मानव कंप्यूटर को निर्णय करने का दायित्व देता है तो वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धि) कहलाता है। एआई आज एक प्रकार से भूत बनकर काम कर रहा है जो कंप्यूटर पर चेज खेलने से कुछ बेहतर काम का रहा है। आज का कंप्यूटर लार्ज लैंग्वेज मॉडल की पृष्ठभूमि पर आधारित है।

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एआई का दूसरा रूप जिसे मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग कहा जाता है। आज आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क विकसित कर कंप्यूटर को और अधिक इंटेलिजेंस बनाया जा रहा है। आगे उन्होंने भाषा के व्यावहारिकता की चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में प्रयोग होने वाली तकनीकी शब्दावलियों का ज्ञान होना चाहिए। विंडो 11 एवं गूगल डॉक्स ए. में स्पीच टू टेक्स का प्रयोगी कर छात्र उच्चारण की जाँच कर सकते हैं। टी.टी.एस. तकनीकी का उपयोग शिक्षकों को करना चाहिए। तकनीकी का उपयोग से रुचि पूर्ण शिक्षण के लिए कर सकते हैं। शिक्षकों को आधुनिक युग के साथ-साथ चलना चाहिए तकनीकी पर प्रस्तुत करने के लिए भाषा का क्या रूप होना चाहिए? यह महत्वपूर्ण प्रश्न है। अंग्रेजी में लेखन में विविध रूप नहीं मिलते जबकि हिंदी लेखक के अनेक रूप मिलते हैं। अतः हिंदी भाषा का मानकीकरण बहुत ही आवश्यक है। इसके लिए निदेशालय द्वारा निर्धारित मानकीकरण को व्यवहार में लाना चाहिए।

कार्यक्रम के संयोजक एवं हैदराबाद के केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. गंगाधर वानोडे द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागियों एवं अतिथियों का धन्यवाद कर उनको शुभकामनाएँ दी। उन्होंने कहा कि पढ़ना वर्तनी में सुधार के लिए जरूरी होता है। संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता में सर्वप्रथम नवीकरण कार्यक्रम में आए सभी शिक्षक प्रतिभागियों का स्वागत किया और उन्होंने कहा कि हिंदी निदेशालय ने हिंदी वर्णमाला का नवीन संस्करण जारी किया है इस कार्यक्रम में इस के बारे में बताया जाएगा। हिंदी मानक वर्तनी की स्वतंत्र व्याख्यान कराने की बात की। इसके अलावा भाषा प्रौद्योगिकी में हिंदी का प्रयोग भाषा कौशल विकास में साहित्य की भूमिका की समझ विकसित करने की चर्चा की।

इसके बाद बीड जिले से नवीकरण के लिए आए हुए प्रतिभागी अध्यापक चव्हाण लहू लक्ष्मण ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदी के बारे में ज्ञान मिल रहा है। हिंदी एक विषय के रूप में नहीं रखा गया है, बल्कि कौशल विकास के लिए वैकल्पिक विषय के लिए हिंदी रखा गया है। दूसरे प्रतिभागी अध्यापक कोळेकर विजय ने कहा कि हिंदी को वैकल्पिक के तौर पर नहीं बल्कि अनिवार्य विषय के रूप में रखना चाहिए। अंत में डॉ. एस. राधा ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।

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