हैदराबाद : ‘पल्ले कन्नीरुपेडुतुंदो कनिपिंचनी कुट्रला… ना तल्ली बंदी अयिपोतुंदो कनिपिंचनी कुट्रला….’ (हिंदी- गांव आंसू बहा रहा है न दिखाई देने वाले एक साजिश की तरह) मेरी मां बंदी बन रही है एक अदृश्य साजिश तरह…’ ग्रामीण इलाकों की जीवन को हूबहू दर्शाने वाले जन कवि, गायक और एमएलसी गोरेटी वेंकन्ना को प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है। केंद्रीय साहित्य अकादमी ने वेंकन्ना को पुरस्कार देने की घोषणा की है।
साहित्य के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए केंद्र सरकार की ओर से दिये जाने वाले प्रतिष्ठित केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए गोरेटी वेंकन्ना का चयन किया है। वर्ष 2021 के लिए तेलुगु साहित्य में वेंकन्ना को चुना गया है।
आपको बता दें कि नागरकर्नूल जिले के गौरारम के पास स्थित तेल्कपल्ली गांव में नरसिम्हा और ईरम्मा दंपत्ति को बेटा वेंकन्ना का जन्म हुआ। वेंकन्ना को बचपन से गाने का बहुत शौक था। स्कूल में उनके शिक्षक के प्रोत्साहन से वामपंथी विचारधारा की ओर आकर्षित हुए।
जब वेंकन्ना छात्र थे तब से ही स्वयं क्रांतिकारी गीत लिखते और गाते आ रहे हैं। एक फिल्म गीतकार रूप में भी कई फिल्मों के लिए गीत लिखे हैं। हस्तशिल्प विलुप्त होते देख उनके द्वारा लिखा गया गीत “पल्ले कन्निरुपेडुतुंदो…” बहुत लोकप्रिय हुआ।
हाल ही में सत्तारूढ़ टीआरएस पार्टी की ओर से एमएलसी के रूप में उन्हें नामित किया गया। केसीआर ने राज्यपाल कोटे में उन्हें विधान परिषद के लिए चुना। इस समय वेंकन्ना टीआरएस एमएलसी के रूप में हैं। कवि और कलाकार कोटे में उन्हें एमएमसी पद मिला है। 2016 में गोरेटी वेंकन्ना को कॉलजी मेमोरियल अवार्ड भी मिला है।