కాదంబినీ క్లబ్ హైదరాబాద్ 378వ నెలవారీ సెమినార్లో ‘సాహిత్యంలో మహిళల పాత్ర’ అనే అంశంపై ఈ వక్తలు ఇచ్చారు ఈ సందేశం
హైదరాబాద్ : కాదంబినీ క్లబ్ హైదరాబాద్ ఆధ్వర్యంలో వర్చువల్ టెక్నాలజీ ద్వారా క్లబ్ 378వ నెలవారీ సదస్సు నిర్వహించారు. డాక్టర్ అహల్యా మిశ్రా క్లబ్ అధ్యక్షురాలు, ఎగ్జిక్యూటివ్ కోఆర్డినేటర్ మీనా ముఠా మాట్లాడుతూ ఈ సందర్భంగా తొలి సభకు కల్నల్ దీపక్ దీక్షిత్ అధ్యక్షత వహించగా జీ పరమేశ్వర ప్రత్యేక అతిథిగా వేదికపై తన ఉనికిని చాటుకున్నారు. కార్యక్రమాన్ని “సాహిత్యంలో మహిళల పాత్ర” అనే అంశంపై అల్కా జైన్ (ఇన్స్టిట్యూట్ డైరెక్టర్, ముంబై) ముఖ్య వక్తగా తన అభిప్రాయాలను తెలియజేస్తారని మీనా ముతా తెలియజేశారు. శుభ్రా మోహోంటో స్వరపరిచిన సరస్వతి వందనతో సెషన్ ప్రారంభమైంది. డాక్టర్ అహల్యా మిశ్రా అందరినీ మంచి మాటలతో స్వాగతించారు మరియు అల్కా జైన్ని క్లుప్తంగా పరిచయం చేశారు.
हैदराबाद: कादंबिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में क्लब की 378 वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन आभासी तकनीक के माध्यम से संपन्न हुआ। प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी देते हुए डॉ अहिल्या मिश्रा क्लब अध्यक्ष एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मुथा ने आगे बताया कि इस अवसर पर प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर्नल दीपक दीक्षित ने की और विशेष अतिथि के रूप में जी परमेश्वर ने पटल पर अपनी उपस्थिति प्रदान की।
मीना मुथा ने संचालन करते हुए बताया कि अलका जैन (संस्था संचालक , मुंबई) “साहित्य में महिलाओं की भूमिका” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखेंगी। सत्र का शुभारंभ शुभ्रा मोहंतो द्वारा निराला रचित सरस्वती वंदना से हुआ। डॉ अहिल्या मिश्र ने शब्द कुसुमों से सबका स्वागत करते हुए संक्षिप्त में अलका जैन का परिचय दिया।
साथ ही अगले माह 18 फ़रवरी को आयोजित होनेवाले साहित्य गरिमा पुरस्कार की जानकारी संक्षिप्त में देते हुए कहा कि इस बार दो महिला साहित्यकारों को पुरस्कृत किया जाएगा। साथ ही 8 अन्य पुरस्कार भी विभिन्न विधाओं के रचनाकारों को दिये जाएँगे। उन्होंने आगे कहा कि क्लब अपने तीसरे दशक की यात्रा में आगे बढ़ते हुए हिन्दी के प्रति समर्पण के साथ गतिविधि दे रहा है। संगोष्ठी सत्र संयोजक अवधेश कुमार सिन्हा (दिल्ली) विषय प्रवेश के अंतर्गत कहा कि नारी स्वातंत्र्य का अर्थ क्या है? स्वतंत्रता का अर्थ है सामंजस्य। आज़ अलका जी विभिन्न पहलुओं पर ज्ञानवर्धन करेंगी।
अलका जैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लेखन में संवेदना की आवश्यकता होती है। माँ, बेटी, बहन, पत्नी नारी के हर रूप का साहित्य में वर्णन है। वह सहनशील है। आज पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाएँ आगे बढ़ रही है। स्त्री की भूमिका हर जगह है। साहित्य से नारी को हटा दिया जाय तो साहित्य ख़त्म हो जाएगा। उन्होंने अमृता प्रीतम, अरुंधती राय की बातें करते हुए कहा कि आज की लेखिकाओं ने मानवीय रिश्तों पर बहुत लेखन किया है। नारी अपने लेखन में अपने भावों को अधिक उत्कटता से प्रेषित कर सकती है।
आर्या झा ने कहा कि स्त्री की धमनियों में भावनाएँ बहती हैं। डॉ आशा मिश्रा ने कहा कि वग़ैर स्त्री के साहित्य संभव ही नहीं है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वह साहित्य में शामिल रहती है। स्त्री है तो ही साहित्य है। डॉ रमा द्विवेदी ने कहा कि स्त्री अपने लेखन के प्रति ईमानदार होती है। आज के युग में लेखन में स्त्री का बहुत बड़ा योगदान है। डॉ अहिल्या मिश्र ने साहित्य में स्त्री का ज़िक्र करते हुए कहा कि नाबालिग से बालिग़ की दुर्गति को पढ़ते हुए दिल में एक पीड़ा सी उठती है। राशि सिन्हा ने कहा कि स्त्री विमर्श ने नारी चेतना को नये आयाम देने की कोशिश की है।
शशि राय ने सुभद्रा कुमारी चौहान का उदाहरण देते हुए कहा कि महिलायें ही महिलाओं की वीरता को प्रकट करती हैं। जी परमेश्वर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि चाहे साहित्य हो या जीवन, जितनी पुरुषों की सहभागिता रही है उतनी ही महिलाओं की भी रही है। नारी ने तो वेदों की रचना भी की है। उनके साहित्य में अस्तित्व को नकारा नहीं जा सकता। विषय पर भावना पुरोहित और प्रवीण प्रणव ने भी अपने विचार रखे। कर्नल दीपक दीक्षित ने अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि पुरुष की तरह स्त्री भी नारी लेखन के बिना अधूरा है। स्त्री की संवेदनशीलता और सहनशीलता से अलका जैन ने परिचय कराया। सबने विषय पर चर्चा की और सत्र सार्थक रहा। अवधेश कुमार सिन्हा ने सत्र का समापन करते हुए कहा कि कादम्बिनी क्लब ख़ुद ही में एक जीता जागता उदाहरण है जहाँ क्लब संचालिका ख़ुद ही एक स्त्री है और यहाँ महिला साहित्यकारों की भागीदारी अधिक होती है।
दूसरा सत्र कवि गोष्ठी का रहा। चन्द्र प्रकाश दायमा ने कवि गोष्ठी सत्र की अध्यक्षता की और मोहित ओझल ने विशेष अतिथि की भूमिका निभाई। इसमें भावना पुरोहित, इन्दु सिंह, डॉ संगीता शर्मा, मोहिनी गुप्ता, किरण सिंह, देवा प्रसाद मायला, शशि राय, डॉ स्वाति गुप्ता, जी परमेश्वर, आर्या झा, डॉ रमा द्विवेदी, विनीता शर्मा, डॉ राशि सिन्हा, भगवती अग्रवाल, दीपक दीक्षित, डॉ आशा मिश्रा, मोहित ओझल, दर्शन सिंह, अलका जैन, रमा बहेड़, प्रवीण प्रणव, मीना मुथा, डॉ अहिल्या मिश्र, सरिता कुमारी ने काव्य पाठ किया। अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए दायमा ने कहा कि सभी ने सुंदर रचनायें प्रस्तुत कीं। रामलला के आगमन से भावविभोर रचनाओं के लिए उन्होंने साधुवाद दिया और अध्यक्षीय काव्य पाठ किया।
अवसर पर सरिता सुराना जैन और रेणु शब्द मुखर की उपस्थिति रही। डॉ रमा द्विवेदी ने सभी को धन्यवाद दिया। तकनीकी सहयोग के लिए डॉ आशा मिश्रा और प्रवीण प्रणव का आभार जताया। उन्होंने आगामी 18 फ़रवरी को साहित्य गरिमा पुरस्कार के आयोजन में सभी से उनकी उपस्थिति हेतु अनुरोध किया। अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हेतु सदस्यों ने शुभकामनाएँ भी व्यक्त की गई।