WAJA Andhra Pradesh: विश्वजीत सपन कृत ‘आदि अनंत’ कहानी संग्रह विषय पर चर्चा-परिचर्चा आयोजित

अमरावती : राइटर्स एण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा), आंध्र प्रदेश द्वारा दि.18.07.2021, रविवार को पूर्वान्ह 11:30 बजे ‘साहित्यिक स्नेह मिलन कार्यक्रम’ के अंतर्गत ‘गूगल मीट’ के माध्यम से ‘श्री विश्वजीत सपन कृत ‘आदि अनंत’ कहानी संग्रह पर चर्चा-परिचर्चा आयोजित की गई| इस कार्यक्रम में कुल 25 ‘साहित्य-प्रेमी’ जुड़कर कार्यक्रम को सफल बनाया।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ वाजा, ए.पी के अध्यक्ष डॉ एस कृष्णबाबु जी के स्वागत भाषण से शुरु हुआ और उन्होंने लेखक ‘श्री विश्वजीत सपन’ का परिचय देते हुए कहा कि वे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं और उन्होंने अब तक पाँच ग्रंथों का प्रकाशन किया है। ‘श्री विश्वजीत सपन’ बंदूक और कलम के धनी हैं।

वाजा, आंध्रप्रदेश की महिला कमेटी अध्याक्षा डॉ पी के जयलक्ष्मी ने कहा…

तत्पश्चात वाजा, आंध्रप्रदेश की महिला कमेटी अध्याक्षा डॉ पी के जयलक्ष्मी ने ‘आदि अनंत’ कहानी संग्रह पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आधुनिक युग के श्रेष्ठ हिंदी सहित्यकर ‘श्री विश्वजीत ‘सपन’ ने पारीवारिक सामाजिक समस्याओं को प्रतिबिंबित करते हुए ‘मानव’ केंद्रित कहानियां-जैसे मानव-स्वाभावगत दुर्बलताओं, उद्वेगों तथा संवेदनाओं को कथावस्तु के रूप में चयनकर, अत्यंत सरल, बोलचाल की भाषा और प्रवाहमान शैली में लिखकर, आम पाठक तक पहुंचाने में सफल प्रयास किया। जीवन के अपने अनुभवों के आधार पर कल्पना के सहारे हर पात्र का ईमानदारी से चित्रण किया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ‘सपन’ की कहानियां सचमुच ही प्रेरक और मार्गदर्शक हैं।

श्रीमती भारती शर्मा की सारगर्भित टिप्पणी

श्रीमती भारती शर्मा ने ‘कालचक्र’ और ‘निर्णय’ कहानियों की समीक्षा करते हुए कहा कि अमुख कहानियों की कथावस्तु वर्तमान परिवेश के इर्द-गिर्द ही घुमती हैं, लेखक ने हर पात्र में जान डालते हुए उसके अंतर्द्वन्द और मनोदशा को हू-ब-हू कहानी में उतारा है। कहानी पढ़ते-पढ़ते पाठक को कहीं न कहीं किसी न किसी पात्र से अपनेपन का एहसास होता है| ऐसी स्थिति में कहानी, कहानी न रह कर यथार्थ लगने लगती है। इन्होंने आगे कहा कि लेखक ने भ्रंष्टाचार और समाज में पनप रही नई कुरीतियों पर प्रहार किया है।

श्रीमती मीना गुप्ता बोली…

श्रीमती मीना गुप्ता ने ‘खंड-खंड जीवन’ कहानी की समीक्षा करते हुए कहा कि सपन जी ने मध्यमवर्गीय नारी जीवन को बखूबी ढंग से दर्शाया है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर करता है। एक और पति का दूसरी औरत से संबंध जैसी समाज की मानसिक स्थिति को दर्शाते हैं, तो दूसरी ओर स्पष्ट करते हैं कि नारी हर रिश्ते को बड़ी सहजता से निभाते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन डट कर सकती है। समाज में उपेक्षा और असुरक्षा की भावना के कारण नारी अपने मातृत्व को भी दांव पर लगाने पर विवश होती है। ‘कलाकार’ कहानी में एक कलाकार का शोषण और उसकी पीड़ा को पाठक तक पहुंचाया गया है, कहानी का मुख्य पात्र मुंबई जैसे शहर के लिए रवाना होना, आज के युवा के सपनों को साफ दर्शाता है।

त्रासदी का यथार्थ अंकन

महानगरों की कठिनाइयों से संबंधित त्रासदी का यथार्थ अंकन किया गया है। अंत में कलाकार स्वयं को कलाकार नहीं मानता है, यह उसके जीवन की सबसे बड़ी विडंबना है। पत्नी और बच्चों के बीच में हार मानकर बुरी तरह टूटने का सहज चित्रण किया गया है। यहाँ पात्र के प्रति लेखक की कसक और वेदना स्पष्ट नजर आती है। ये कहानियां अनुभूति और अभिव्यक्ति दोनों पक्षों में सफल सिद्ध हुई हैं। इनमें अनुभव और आदर्श दोनों मौजूद हैं। लेखक ने दोनों कहानियों के माध्यम से समाज में जागरूकता, करुण भावना और उत्सुकता लाने में सफल प्रयास किया है।

जनाब अस्लम हसन का अनुभव रहा है…

जनाब अस्लम हसन जी ‘सपन’ जी के विषय में कहते हैं कि लेखक ने अपने तपे-तपाये अनुभव से अपना रचना संसार गढ़ा है, इनकी कहानियों में मानव-जीवन सम्पूर्ण रूप से व्यक्त होता है, कहानियों में कहानीपन और सामाजिक-विमर्श स्पष्ट झलकता है। लेखक कहानियों में केवल समस्याओं का वर्णन ही नहीं करते हैं, बल्कि समाधान देने की भी उनमें जिजीविषा मौजूद है| साफ़-सुथरी, सरल भाषा से कहानी अपनी मंज़िल पहुँचती है। कुल मिलाकर मानवीय संवेदनाओं के प्रति जिम्मेदार लेखक का रचना संसार बहुआयामी सिद्ध हुआ है।
डॉ.नाथन ने ‘नयी शुरुआत’ कहानी की समीक्षा करते हुए कहा कि ‘नई शुरुआत’ कहानी में लेखक ने दांपद्य जीवन में बढ़ते तनाव, मनमूटाव और खंडित होते विश्वास आदि का यथार्थ वर्णन किया है।

पारिवारिक जीवन निश्चय ही सुखमय

‘सपन’ जी ने इस तथ्य पर जोर दिया कि पति-पत्नी सानुकूल सोच के साथ समझौता कर ले, तो पारिवारिक जीवन निश्चय ही सुखमय होगा। अर्थात समस्याओं को सरल तरीके से निपटाते हुए रिश्तों को नई शुरुआत करने की बात कही है| यह ‘विषय’ वर्तमान में अत्यंत प्रासंगिक है| इस कहानी में आज की ‘स्कूली शिक्षा’ पर तीखा प्रहार किया गया है। इसके अलावा बच्चों की परवरिश, समय-प्रबंधन, पति-पत्नी के बीच अहम की टकराहट और उसका समाधान भी अत्यंत सहज ढ़ंग से प्रस्तुत किया गया है।

भ्रंष्टाचार का पर्दाफाश

वैसे ही ‘उत्थान संभव’ कहानी के माध्यम से लेखक समाज में निहित भ्रंष्टाचार का पर्दाफाश करते हुए समाज का उत्थान करने की प्रेरणा देते हैं। लेखक कहते हैं कि यदि एक शिक्षक अपने नियम के अनुसार नहीं पढ़ाता है, बच्चों को सही शिक्षा और नैतिक शिक्षा नहीं देता है, तो स्पष्ट है कि वह अपने कर्तव्य के साथ भ्रष्टाचार कर रहा है। वैसे ही यदि एक आम आदमी अपने समाज के विधि-विधानों का आचरण नहीं करता है, तो हमें समझना है कि वह व्यक्ति भ्रष्टाचार का ही आचरण कर रहा है।

कार्यक्रम का संचालन और समापन

कार्यक्रम का संचालन महा सचिव वाजा एपी डॉ सी एच निर्मला देवी द्वारा किया गया| वाजा इंडिया के संस्थापक महासचिव श्री शिवेंद्र प्रसाद द्विवेदी ने इस अवसर पर लेखक, सभी समीक्षकों और कार्यक्रम के संचालकों को अपनी शुभकामनाएं अदा कीं। सुश्री मीना शर्मा के आभार निवेदन से कार्यक्रम समाप्त हुआ।

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