हैदराबाद (सरिता सुराणा की रिपोर्ट) : विश्व भाषा अकादमी, भारत की तेलंगाना इकाई और सूत्रधार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, हैदराबाद, भारत के संयुक्त तत्वावधान में क्रमशः 35वीं एवं 48 वीं मासिक गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया। तेलंगाना प्रदेशाध्यक्ष एवं सूत्रधार संस्थापिका सरिता सुराणा ने सभी अतिथियों और सदस्यों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। तृप्ति मिश्रा ने स्वरचित सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। यह गोष्ठी दो सत्रों में आयोजित की गई थी।
प्रथम सत्र में ‘मातृभाषा का महत्व’ विषय पर चर्चा प्रारम्भ करते हुए सरिता सुराणा ने कहा कि मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है और देशप्रेम की भावना उत्पन्न करती है। मातृभाषा ही किसी व्यक्ति के शब्दों और संप्रेषण कौशल की उद्गम होती है। एक कुशल संप्रेषक अपनी मातृभाषा के प्रति उतना ही संवेदनशील होगा, जितना कि विषय वस्तु के प्रति। मातृभाषा व्यक्ति के संस्कारों की परिचायक है। मातृभाषा मानव की चेतना के साथ-साथ लोकचेतना और मानवता के विकास का अभिलेखागार होती है।
गुजराती भाषी शिक्षिका श्रीमती भावना पुरोहित ने अपनी बात रखते हुए कहा कि गायत्री सहस्त्र नामावली में एक मंत्र आता है- ओम् भाषायैय नमः, अर्थात् भाषा को नमस्कार है। मनुष्य जीवन में भाषा का बहुत महत्व है।
मूलतः तेलुगू भाषी प्रख्यात भाषाविद और सेवानिवृत्त सहायक महाप्रबंधक (राजभाषा) सिंडिकेट बैंक वी वेंकटेश्वर राव ने कहा कि मातृभाषा हमारी संस्कृति की संवाहक होती है। पुरानी और नयी पीढ़ी के संवाद का माध्यम मातृभाषा होती है। इसे सिखाने की पहली जिम्मेदारी माता-पिता की है। लेकिन बढ़ते अंग्रेजीकरण के कारण एक दिन ऐसा आएगा कि दादा-दादी और नाना-नानी बच्चों के साथ संवाद स्थापित नहीं कर सकेंगे। केवल इशारों में और मूक भाषा के माध्यम से संवाद होगा।
नाभिकीय ईंधन सम्मिश्र परमाणु ऊर्जा विभाग, हैदराबाद के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक अधिकारी पंजाबी भाषी दर्शन सिंह ने कहा कि यह आन्दोलन बांग्लादेश से आरम्भ हुआ था और बाद में संयुक्त राष्ट्र संघ ने मातृभाषाओं के संरक्षण हेतु 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा की थी। इन्दौर, म.प्र. से सेवानिवृत्त प्रिंसिपल ममता सक्सेना ने मालवी लोकगीतों के महत्व को बताते हुए भाषा के सौंदर्य और मिठास की बात कही और बच्चे के जन्म के समय गाये जाने वाले सोहर की जानकारी दी। वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती ज्योति नारायण ने मैथिली और अवधी मातृभाषाओं के बारे में जानकारी प्रदान की। वरिष्ठ साहित्यकार अजय कुमार सिन्हा ने प्राचीन वैशाली गणराज्य की भाषा बज्जिका के बारे में जानकारी प्रदान की, जो अब लुप्त होती जा रही है।
कोलकाता से वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती हिम्मत चौरड़िया ने कहा कि वे अपने घर में अपने बच्चों के साथ आज़ भी अपनी मातृभाषा मारवाड़ी में ही बात करती हैं। जबकि उनके बच्चे अपने बच्चों से अंग्रेजी में बात करते हैं। उन्होंने कहा कि आप बाहर अपने काम के लिए किसी भी भाषा का प्रयोग करें लेकिन घर में अपनी मातृभाषा ही बोलनी चाहिए। बैंगलुरू से एडवोकेट अमृता श्रीवास्तव ने कहा कि वे भोजपुरी, मैथिली, मगही, अवधी, कन्नड़, हिन्दी और अंग्रेजी सभी भाषाएं जानती हैं और अपने मुवक्किल के साथ उसी की भाषा में बात करती हैं। इससे उन्हें बहुत सुविधा होती है और मुवक्किल उनकी बात को जल्दी समझ जाते हैं। अपनी भाषा उनमें विश्वास पैदा करती है।
हर्षलता दुधोड़िया ने कहा कि वे अपनी दो वर्षीय पोती के साथ मारवाड़ी में ही बात करती हैं। उनकी पोती मारवाड़ी, हिन्दी और अंग्रेजी तीनों भाषाएं बोलती है। हमें अपने घर में अपनी मातृभाषा में ही बात करनी चाहिए। सरिता सुराणा ने कहा कि प्रथम सत्र में बहुत ही सार्थक और सारगर्भित परिचर्चा हुई। हमें अपने घर से ही बदलाव लाना होगा। अंग्रेजी भाषा के प्रति जो मानसिकता बन गयी है, उसे बदलना होगा। आज़ हिन्दी भाषी लोग भी व्यापार और अन्य क्षेत्रों में सफलतापूर्वक अपना कार्य कर रहे हैं।
द्वितीय सत्र में श्रीमती भावना पुरोहित ने हिन्दी भाषा में, श्रीमती हिम्मत चौरड़िया और डॉ संगीता जी. शर्मा ने मारवाड़ी भाषा में स्वरचित रचनाओं का पाठ किया। श्रीमती तृप्ति मिश्रा ने बुंदेलखंडी में एक सोहर लोकगीत और श्रीमती ज्योति नारायण ने मैथिली भाषा में महाकवि विद्यापति का गीत प्रस्तुत किया। श्रीमती हर्षलता दुधोड़िया ने राजस्थान के प्रसिद्ध लोकगीत केसरिया बालम और घूमर गीतों की शानदार प्रस्तुति दी। ममता सक्सेना ने मालवी लोकगीत सोहर प्रस्तुत किया। दर्शन सिंह ने पंजाबी गीत गाकर सुनाया तो अमृता श्रीवास्तव ने भोजपुरी भाषा में सोहर की शानदार प्रस्तुति दी। अजय कुमार सिन्हा ने हिन्दी भाषा में हास्य रस से ओत-प्रोत रचना और बज्जिका भाषा में कविता प्रस्तुत की।
श्रीमती किरन सिंह ने हिन्दी भाषा में और सरिता सुराणा ने मारवाड़ी भाषा में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। विविध भाषाओं में प्रस्तुत रचनाओं ने बहुभाषी कवि सम्मेलन जैसा समां बांध दिया। अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए वरिष्ठ कवयित्री विनीता शर्मा ने हिन्दी भाषा में अपनी उत्कृष्ट रचनाएं प्रस्तुत करके काव्य गोष्ठी को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी रचनाओं की सभी ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की। इस गोष्ठी में श्रीमती ज्योति गोलामुडी और आर्या झा की भी उपस्थिति रही। सभी सहभागियों ने इस आयोजन की सफलता हेतु संस्था का आभार व्यक्त किया। अमृता श्रीवास्तव के धन्यवाद ज्ञापन से गोष्ठी सम्पन्न हुई।