हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच ने मनाया विश्व हिंदी दिवस, इन साहित्यकारों ने दिया इस विषय पर जोर और यह सुझाव

हैदराबाद : हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद और विवेक वर्धिनी शिक्षण संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर विवेक वर्धिनी कला, वाणिज्य, विज्ञान एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रांगण में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के पश्चात महाविद्यालय के प्राचार्य और हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच के महासचिव डॉ. डी. विद्याधर के स्वागत भाषण से हुआ। इस अवसर उन्होंने महाविद्यालय के कार्यकारिणी पदासनीनों, अतिथियों, वक्ताओं का परिचय दिया। इस अवसर पर उन्होंने सभी को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए हिंदी भाषा की समृद्धता व प्रभावोत्पादकता के बारे में बताते हुए इसे हमारी संस्कृति और उत्थान का प्रतीक बताया। हिंदी भाषा हमें एकजुट करती है और हमारी एकता की पहचान भी है। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर आइए हम सभी मिलकर हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए काम करें। इसे हम विश्वस्तरीय भाषा बनाने के यज्ञ में अपनी समीधा अर्पित करें। 

कार्यक्रम तथा विवेक वर्धिनी शिक्षण संस्था के अध्यक्ष सदाशिव सावरीकर ने इस अवसर पर सभी को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी। साथ ही कहा कि इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन होना हमारी संस्था के लिए बड़े गर्व की बात है। मैं एक चार्टेड अकाउंटेंट हूँ, लेकिन मैं हिंदी भाषा के महत्व को समझता हूं। हिंदी भारत की राजभाषा है और विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में एक है। यह एक समृद्ध और लचीली भाषा है जो विकास के हर क्षेत्र में भी अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रही है। हमें हिंदी भाषा पर गर्व होना चाहिए। हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करनी चाहिए। 

इसी अवसर पर विवेक वर्धिनी शिक्षण संस्था के उपाध्यक्ष आनंद कुलकर्णी ने संस्था के ऐतिहासिक महत्व का परिचय देते हुए कहा गया कि स्वदेशी ज्ञान और परोपकारी चिंता, महान आदर्शों और प्रतिबद्धता की भावना के संयोजन को समाहित करते हुए सोसायटी न केवल शिक्षा उत्थान की लहर पर सवार होकर उभरी, बल्कि भाषाई उत्पीड़न और आधिकारिक उदासीनता की धाराओं के खिलाफ भी तैर रही थी। अदम्य भावना और दृढ़ विश्वास के साहस के साथ, हैदराबाद के तत्कालीन निज़ाम के प्रभुत्व में रहने वाले कुछ प्रतिष्ठित देशभक्तों ने मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की एक नई शिक्षा अवधारणा को अस्तित्व में लाया, इस तरह के विचार के आधिकारिक प्रमाण बनने से आधी सदी पहले पंडित श्रीपाद दामोदर सातवलेकर, धर्मवीर वामन नाइक, न्यायमूर्ति केशव राव कोराटकर और अन्य लोगों ने मिलकर अपने प्रयास किए और 25 अक्टूबर 1907 को ‘विवेक वर्धिनी एजुकेशन सोसाइटी’ की स्थापना करने का निर्णय लिया। 

हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच, हैदराबाद के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. रियाजुल अंसारी ने विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर मंच के योगदान और प्रतिबद्धता को सुंदर शब्दों के साथ रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह मंच 2015 का पंजीकृत संगठन है जो विश्व स्तर पर हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए काम करता है। इस मंच का उद्देश्य विश्वस्तर पर एक लोकप्रिय भाषा के रूप में हिन्दी के लिए समर्थन जुटाना और उसकी स्थिति मजबूत करना तथा उसे भारत की राष्ट्र भाषा बनाने के लिए जन चेतना जागृत करना है।

इसके साथ साथ हिंदी भाषा के माध्यम से प्रवासी भारतीयों को जोड़ने के लिए उनसे संपर्क बनाना और उनसे परिवर्तित होती भाषाई गतिविधियों को जानना तथा ‘विश्व भाषा’ के रूप में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से चर्चाएँ करने के लिए नियमित बैठकों का आयोजन भी करता है। यह मंच विश्व भाषा के रूप में हिंदी को स्थान दिलाने हेतु विश्व भर में विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए ‘भाषा मैत्री यात्रा’ का आयोजन करना और ‘विश्व भाषा’ की आवश्यकताओं की समझ विकसित करने के लिए राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समारोह एवं संघोष्ठियों को आयोजित करता है ताकि हिंदी विश्व भर में लोकप्रिय भाषा बनकर उभर सके।

उन्होंने आगे कहा की मंच अब तक पेरिस, मोरिशस और लन्दन में अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठिया का आयोजन कर चुका है और इस वर्ष सिडनी में मनाने का विचार है। यह संस्था अपने आरंभिक लक्ष्यों हिंदी के प्रचार-प्रसार, उन्नति, हिंदी सेवी-सेविकाओं को ‘हिंदी सेवी सम्मान’ से सम्मानित करना, साहित्योपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन भी करता है। मंच ने विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। हिंदी भाषा और साहित्य पर उच्च स्तरीय कार्यक्रम आयोजित करना और हिंदीप्रेमियों, हिंदीसेवियों और हिंदीजिज्ञासुओं को एक सूत्र में बाँधे रखना इसका प्रमुख उद्देश्य है। यह मंच नियमित व सुव्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ने में अपनी सफलता का प्रतीक मानता है। 

विशेष वक्ता के रूप में उपस्थित भारत डायनामिक्स लिमिटेड, रक्षा मंत्रालय, हैदराबाद, भारत सरकार के उप-महाप्रबंधक होमनिधि शर्मा ने इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए कहा कि साहित्य और विज्ञान दोनों ही मानव ज्ञान के क्षेत्र हैं, लेकिन दोनों के ज्ञान प्राप्ति के तरीके और उद्देश्य अलग-अलग हैं। हिंदी साहित्य का ज्ञानमार्गी कबीर जैसे श्रेष्ठ कवियों के आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति पर केंद्रित होता है, जबकि विज्ञान का ज्ञानमार्गी भौतिक दुनिया के ज्ञान प्राप्ति पर केंद्रित होता है। साहित्य के ज्ञानमार्गी के लिए ज्ञान का उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और मुक्ति प्राप्त करना है। वे ज्ञान के माध्यम से ब्रह्मांड और अपने स्वयं के अस्तित्व के रहस्यों को समझने का प्रयास करते हैं। साहित्य के ज्ञानमार्गी के लिए ज्ञान एक साधना का माध्यम है, जिससे वे अपने जीवन को अधिक पूर्ण और अर्थपूर्ण बना सकते हैं।

हिंदी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है। इसका उपयोग करके विज्ञान के क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को बढ़ाया जा सकता है। विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर, हमें विज्ञान के क्षेत्र में हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके लिए हिंदी में विज्ञान के पाठ्यक्रम और सामग्री का विकास किया जाना चाहिए। शोध पत्र और लेख प्रकाशित किए जाने चाहिए। हिंदी में विज्ञान के कार्यक्रम और सम्मेलनों का आयोजन किया जाना चाहिए। हिंदी में विज्ञान के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। 

विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर चार चाँद तब लग गए जब सभागार में उपस्थित केंद्रीय हिंदी संस्थान के विदेशी छात्र अलीना, अर्मेनिया और फहीम, अफगानिस्तान ने अपने मंत्रमुग्ध करने वाले धाराप्रवाह हिंदी से समां बांध दिया। इस अवसर पर दोनों के द्वारा प्रयुक्त शब्द चयन और सोहनलाल द्विवेदी की प्रेरणास्पद कविता लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती से विश्व स्तर पर हिंदी का प्रचार-प्रसार करने की एक नई मिसाल प्रस्तुत की। 

मुख्य वकता के रूप में उपस्थित अंतरराष्ट्रीय हिंदी विद्वान डॉ. गोपाल शर्मा ने इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हिंदी की वैश्विक व्यापकता आज की नगण्य सच्चाई है, जिससे कोई मना नहीं कर सकता। हिंदी भारत की राजभाषा है और भारत की अन्य भाषाओं को साथ लेकर चलने की असीम शक्ति से संपन्न है, जो इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। यह विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसकी बढ़ोतरी के लिए हिंदी भाषा के पाठ्यक्रम और सामग्री का विकास और प्रसार अत्यंत आवश्यक है। हिंदी भाषा सीखने के लिए विश्व स्तर पर उपलब्ध पाठ्यक्रमों और सामग्री को बढ़ावा देना चाहिए। इन पाठ्यक्रमों और सामग्री को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

हिंदी भाषा में फिल्में, टीवी शो, संगीत और अन्य सामग्री का उत्पादन और प्रचार और अधिक मात्रा में होनी चाहिए। हिंदी भाषा में मनोरंजक और सूचनात्मक सामग्री का उत्पादन और प्रचार करना हिंदी भाषा में रुचि पैदा करने में मदद कर सकता है। हिंदी भाषा में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए। हिंदी भाषा में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और कार्यशालाओं का आयोजन हिंदी भाषा के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद कर सकता है। हिंदी भाषा में डिजिटल संसाधनों का विकास और प्रसार बहुत जरूरी है। हिंदी भाषा में डिजिटल संसाधनों का विकास और प्रसार हिंदी भाषा को सीखने और उपयोग करना आसान बना सकता है।  

ऑनलाइन के माध्यम से जुड़े अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं में स्वीडन से प्रो. हाइंस वरनर वेसलर, चीन से डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी और ऑस्ट्रेलिया से रेखा राजवंशी ने विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर जोरदार और प्रभावी विचार रखे। इन विद्वानों के वक्तव्यों के सारानुसार विदेशों में हिंदी का प्रसार कई कारणों से हो रहा है। इनमें से कुछ प्रमुख कारण भारतीय प्रवासियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। इन प्रवासियों के कारण हिंदी भाषा विदेशों में फैल रही है। भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति: भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति के कारण दुनिया भर के लोग हिंदी भाषा सीखने में रुचि ले रहे हैं। हिंदी भाषा अपनी समृद्ध साहित्यिक परंपरा और संस्कृति के कारण भी विश्व भर में लोकप्रिय हो रही है। विदेशों में हिंदी के प्रसार के कारण हिंदी भाषा का उपयोग और महत्व बढ़ रहा है। कई देशों में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। हिंदी भाषा में कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। हिंदी भाषा में फिल्में, टीवी शो और संगीत भी बन रहे हैं।

विदेशों में हिंदी के प्रसार के लिए भारत सरकार और निजी संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए। इन संगठनों को हिंदी भाषा के पाठ्यक्रमों और सामग्री का विकास और प्रचार करना चाहिए। संयुक्त राज्य अमेरिका में हिंदी भाषा का प्रसार सबसे तेजी से हो रहा है। वहां कई भारतीय प्रवासी रहते हैं और कई विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है। यूनाइटेड किंगडम में भी हिंदी भाषा का प्रसार तेजी से हो रहा है। वहां कई भारतीय प्रवासी रहते हैं और कई विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है। ऑस्ट्रेलिया में भी हिंदी भाषा का प्रसार हो रहा है। वहां कई भारतीय प्रवासी रहते हैं और कई विश्वविद्यालयों में हिंदी भाषा पढ़ाई जाती है। इन देशों के अलावा, कई अन्य देशों में भी हिंदी भाषा का प्रसार हो रहा है। हिंदी भाषा विश्व भर में तेजी से बढ़ती हुई भाषा है।

इन सबके पश्चात सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें राज्य के प्रसिद्ध हिंदी विद्वानों को उनके रचनात्मक व विविधता भरे क्षेत्रों में दी जा रही सेवाओं को रेखांकित करते हुए हिंदी हैं हम विश्व मैत्री मंच ने हिंदी सेवी मानद उपाधि से विवेक वर्धिनी की पूर्व प्राचार्या डॉ. रेखा शर्मा, केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद के निदेशक डॉ. गंगाधर वानोडे, पूर्व राजभाषा अधिकारी डॉ. वेंकटेश्वर राव, जानी-मानी लेखिका डॉ. स्नेहलता शर्मा और प्रसिद्ध पत्रकार एफ.एम. सलीम को धूम-धाम और पूर्ण वैभव के साथ सम्मानित किया गया। इसके पश्चात बड़ी संख्या में विद्यालय और महाविद्यालय स्तर के छात्राओं को पुरस्कृत कर उनकी भाषण, निबंध और प्रश्नमंच क्षमताओं को रेखांकित करने के साथ-साथ सराहा गया।

अतिथियों का स्वागत, कार्यक्रम संचालन में डॉ. सुषमा ने अपनी अद्वितीय भूमिका निभाई। इनके अतिरिक्त मंच के कार्यकारिणी सदस्यों डॉ. राजेश अग्रवाल, डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा, डॉ. लीलावती, डॉ. जयप्रदा, डॉ. राकेश, डॉ. श्रद्धा तिवारी, डॉ. विनीता सिन्हा, रईसा अफरोज़ ने अपने दायित्वों को बखूबी निभाते हुए मंच का सम्मान बढ़ाया। इस कार्यक्रम में विवेक वर्धिनी संस्था के शैक्षिक व गैर-शैक्षिक कर्मचारियों की भूमिका प्रशंसनीय है। इस भव्य कार्यक्रम में डॉ. घनश्याम, पूर्व प्रो. अनीता गांगुली, प्रो. पठान रहीम खान, अफसर उन्नीसा, आदि विद्वानों के साथ सैकड़ों हिंदीप्रेमियों, हिंदीसेवियों, हिंदीकर्मियों ने अपनी बहुमूल्य उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा में चार चाँद लगा दिए।

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