नई दिल्ली : केद्र सरकार ने बैंक ग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) संशोधन बिल को मंजूरी दे दी गई है। इस एक्ट के जरिए बंद हो चुके बैकों के ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी। बैंक के डूबने की स्थिति पर जमाकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर ही पांच लाख रुपये मिल जाएंगे। पहले 45 दिनों में संकट में फंसे बैंक अपने सभी खातों को जमा करेंगे, जहां क्लेम करने होंगे। इन्हें प्रस्तावित DICGC को दिया जाएगा।
मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए फैसलों पर बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया से रूबरू हुई। इस दौरान केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और राज्यमंत्री एल मुरुगन भी शामिल रहे। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा वित्त वर्ष 2021 के लिए भारत के विकास अनुमान को तीन फीसदी कम कर 9.5 फीसदी पर करने के फैसले के अगले ही दिन सीतारमण ने मीडिया को संबोधित किया।
गौरतलब है कि हाल ही में यस बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक सहित कई बैंक दिवालिया हो गए है। ऐसे में यह खबर जमाकर्ताओं के लिए राहत भरी है। यदि बैंक का लाइसेंस रद्द होता है तो बैंक ग्राहकों को पांच लाख रुपये तक का डिपॉजिट इंश्योरेंस मिलता है। यह नियम चार फरवरी 2020 से लागू है। डिपॉजिट इंश्योरेंस में 1993 के 27 साल बाद पहली बार बदलव किया गया है।
वित्त मंत्री कहा कि 2020 में ही डिपॉजिट इंश्योरेंस की लिमिट पांच गुना बढ़ाई थी। पहले इसकी लिमिट एक लाख रुपये थी। यह अधिनियम सभी प्रकार के बैंकों में पांच लाख तक की सभी प्रकार की जमा राशियों को कवर करेगा। वित्त मंत्री ने आगे बताया कि डीआईसीजीसी अधिनियम द्वारा सभी जमा खातों का 98.3 फीसदी और जमा मूल्य का 50.98 फीसदी कवर किया जाएगा। सीतारमण ने कहा कि हर बैंक में जमा राशि के 100 रुपये के लिए 10 पैसे का प्रीमियम हुआ करता था। लेकिन इसे बढ़ाकर 12 पैसे किया जा रहा है। वहीं यह हर 100 रुपये के लिए 15 पैसे से ज्यादा नहीं हो सकता है। (एजेंसियां)